नैनीताल के सकुना में दो मंजिला मकान में दबे बिहार के 10 मजदूरों में से सिर्फ एक बच पाया है। उसकी आंखों में साथियों को खोने का गम है। भरे गले से उसने बताया कि बारिश के कारण हम 18 अक्तूबर को ही घर निकलना चाहते थे लेकिन ठेकेदार ने दिवाली और छठ पूजा में घर जाने के लिए कहा था। हम चले जाते तो हमारी जान बच जाती।
सकुना में आई आपदा के कारण 19 अक्तूबर को एक दो मंजिले मकान में मलबा घुस गया। इससे मकान में सो रहे बिहार के नौ मजदूरों की मौत हो गई। किसी तरह जान बचा पाए राजन शाह ने बताया कि वे सड़क निर्माण कर रहे थे। 18 अक्तूबर की रात खाना खाकर वे एक कमरे में सो गए।
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वह बीच में सो रहा था। करीब चार बजे के आस-पास एक तेज आवाज के साथ पानी का रेला आया। जैसे ही नींद टूटी तो मेरे सीने और पैर पर एक पत्थर पड़ा हुआ था। इसी समय पानी का दूसरा रेला आया और पानी के बहाव में वे दूसरे छोर में पहुंच गए। जैसे ही वह उठा तो देखा कि उसके साथी मलबे में दबे हुए हैं।
सकुना में आई आपदा के कारण 19 अक्तूबर को एक दो मंजिले मकान में मलबा घुस गया। इससे मकान में सो रहे बिहार के नौ मजदूरों की मौत हो गई। किसी तरह जान बचा पाए राजन शाह ने बताया कि वे सड़क निर्माण कर रहे थे। 18 अक्तूबर की रात खाना खाकर वे एक कमरे में सो गए।
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