सब्सक्राइब करें

सिर्फ 10 हजार रुपये लेकर घर से निकलने वाले ने आज तय किया अरबों का सफर

amarujala.com: शिवेंदु शेखर Updated Mon, 20 Mar 2017 01:28 PM IST
विज्ञापन
success story of dilip shanghavi of sun pharma
दिलीप शांघवी

लोग कहते हैं कि, 'अजी बड़े काम वही लोग कर रहे हैं जो चांदी के चम्मच के साथ पैदा हुए हैं। बाकी मिडिल क्लास की किस्मत में ही पिसना लिखा है।' ऐसा लगता है जैसे मिडिल क्लास वालों को भगवान ने हाथ-पैर ही नहीं दिया हो और जो लोग बड़े लोग बने हैं या बड़ा काम कर रहे हैं वो पैदा ही बड़े आदमी हुए थे। हर आदमी स्क्सेस की ऊचाइंयों को छूना चाहता है पर कुछ ही लोग मेहनत करके ऐसा कर पाते हैं। इस दुनिया में जो भी आया है उसे अपने हक और सफलता तक पहुंचने के बीच का संघर्ष खुद ही करना पड़ा है। ऐसी ही कुछ कहानी है दिलीप शांघवी की। 

loader


 

Trending Videos
success story of dilip shanghavi of sun pharma
दिलीप शांघवी

दिलीप शांघवी का जन्म गुजरात के एक छोटे से शहर अमरेली में हुआ था। पिता का नाम शांतिलाल सांघवी और मां का नाम कुमुद सांघवी था। स्कूली पढ़ाई के बाद शांघवी ने कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में अपना स्नातक पूरा किया। पिता जी का कोलकाता' में ही दवाइयों का व्यापार था। पिता शांतिलाल कोलकाता में जेनेरिक दवाइयों की सप्लाई करते थे। 

विज्ञापन
विज्ञापन
success story of dilip shanghavi of sun pharma
दिलीप शांघवी

कॉलेज पूरा करने के बाद दिलीप भी दवाइयों के ही काम में लग गए और दवाई डिस्ट्रीब्यूशन शुरू कर दिया। कुछ सालों तक काम करने के बाद दिलीप के दिमाग में आया कि जब मैं दूसरों की बनाई हुई दवाई घूम-घूम कर बेच सकता हूं तो फिर मैं अपनी खुद की दवा बना कर क्यों न बेचूं! 

साल 1982 में गुजरात के वापी में 10,000 रुपये लेकर दिलीप ने अपने एक दोस्त प्रदीप घोष के साथ सन फार्मा की शुरुआत की। शुरू में कंपनी ने बहुत ज्यादा दवाइओं की वेराइटी बनाने पर ध्यान न देते हुए, अच्छी क्वालिटी की दवा पर ध्यान दिया। कंपनी का मार्केट अच्छा चल गया। 

success story of dilip shanghavi of sun pharma
दिलीप शांघवी

ठीक 15 साल बाद 1997 में दिलीप ने घाटे में जा रही एक अमेरिकी कंपनी कारको फार्मा को खरीद लिया ताकि अमेरिकी बाजार में भी पहुंच बनाई जा सके। 

इसके ठीक 10 साल बाद 2007 में कंपनी ने इजराइल की कंपनी टारो फार्मा को खरीद लिया। अब कंपनी आगे बढ़ रही थी, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था और फिर 2012 में सांघवी ने चेयरमैन और सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद इजरैल मकोव को सन फार्मा का सीईओ चुन लिया गया जो कि इससे पहले टेवा फार्मास्युटिकल्स के सीईओ थे और शांघवी खुद कंपनी के एमडी हो गए। 
 

विज्ञापन
success story of dilip shanghavi of sun pharma
दिलीप शांघवी

2014 में सन फार्मा और रैनबक्सी के बीच एक करार के बाद  रैनबक्सी भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी दवा बनाने वाली कंपनी हो गई। इस करार के मुताबिक सन फार्मा रैनबेक्सी के 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के शेयर ले लेगी और सन फार्मा रैनबेक्सी के 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज चुकाएगी। 
 

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Education News in Hindi related to careers and job vacancy news, exam results, exams notifications in Hindi etc. Stay updated with us for all breaking news from Education and more Hindi News.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed