यूजीसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्राता परीक्षा में पिछले वर्ष किये गये परिवर्तन के साथ अब यह परीक्षा एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेन्सी अथवा नेशनल टेस्ट एजेन्सी) के द्वारा आयोजित करायी जा रही है। इसी वर्ष जनवरी 2019 में इस परीक्षा के पाठ्यक्रम में अमूल-चूल परिवर्तन किया गया है। यह पुस्तक नवीन पाठ्यक्रम पर आधरित विशिष्ट तथ्यों से परिपूर्ण है जो कि आने वाली परीक्षा जिसका आयोजन जून-2019 में किया जाना है, इस हेतु सर्वोत्तम संकलन है।
UGC NET परीक्षा की कर रहें हैं तैयारी, ये टिप्स आ सकते हैं आपके काम
विद्यार्थी शिक्षण अभिवृत्ति की इस मूलभूत संकल्पना को क्रमबद्धता से समझें और इसके अन्तर्गत नवीन आयाम पर भी अपनी पकड़ बनाये। साथ ही साथ शिक्षार्थी की विशेषताओं और अभिलक्षणों का वरीयतानुक्रम में अध्ययन आवश्यक है। हाल ही के वर्षों में शिक्षण की नवीन पद्धतियों के साथ-साथ परम्परागत पद्धतियों के क्षेत्र में किये गये विकास को भी समझना आवश्यक है तथा शोध अभिवृत्ति के अन्तर्गत शोध के उद्देश्य, इस प्रकार और विशेषताओं के साथ-साथ शोध के क्षेत्र में सूचना संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और भविष्य में उसकी सम्भावनाओं की जानकारी आवश्यक है। अध्ययन अवबोध के लिए आवश्यक है कि दिये जाने वाले ग को भली प्रकार पढ़ें और उसमें प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दों के विभिन्न परिस्थितियों में उनके भावार्थ को संबंधित प्रश्नों के अनुरूप समझकर सर्वोच्चतम क्रम में उत्तर दें। संचार की सामान्य अवधारणा, अनुसंधन विकास, संचार के प्रकार व माध्यम, सिद्धांत और इसके महत्व के संदर्भ में ही अधिकांशतः प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नों की प्रवृत्ति सूचनात्मक एवं तथ्यात्मक होती है।
हाल के वर्षों में जन मीडिया का समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का अवलोकन करना परीक्षा के लिए उपयोगी होगा। गणितीय तर्क में अप्रत्यक्ष रूप से तर्कशक्ति में अंक गणितीय अभियोग्यता की आवश्यकता होती है। अतः विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है कि संख्या श्रेणी, अक्षर श्रृंखला, कूट और सम्बन्ध्, अंश, समय और दूरी, अनुपात, समानुपात, प्रतिशत, लाभ और हानि, ब्याज और छूट, औसत इत्यादि से सम्बन्ध्ति आधरभूत प्रश्नों को उदाहरण सहित समझें।
युक्तिसंगत तर्क में मानसिक क्षमता के साथ-साथ किसी भी घटनाक्रम की स्थिति, अवस्था, दशा और दिशा वर्तमान और भूतकाल तथा भविष्य की योजना, पूर्वानुमान और नवीन धारणाओं पर आधरित विषयों का अध्ययन करें। आँकड़ो की व्याख्या के अन्तर्गत उन गुणों का अध्ययन होता है, जिसके द्वारा एक आदर्श शिक्षक, शिक्षण एवं सामाजिक रूप से होने वाले परिवर्तन का समय दर समय आकलन करता है। इसमें आंकड़ों के सुशासन आधरित प्रश्नों का अभ्यास आवश्यक है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की शिक्षा का प्रचार-प्रसार और प्रशिक्षण में उसकी गुणवत्ता, क्षमता और दक्षता को प्रभावशाली, सरल और बोधगम्य बनाया जा सकता है। प्रश्नों की प्रवृत्ति में सूचना संचार के माध्यम, उसके शैक्षिक एवं सामाजिक प्रभाव के साथ-साथ संचार के क्षेत्र में हो रहे नित्य अनुसंधान और विकास से सम्बन्धित प्रश्न होते हैं।
लोग, विकास और पर्यावरण के लिए मानव के क्रियाकलापों द्वारा पर्यावरण प्रभावित होता है और इन प्रभावों के बारे में जानना और पर्यावरण की समझ रखना एक शिक्षक के लिए अतिआवश्यक है। जन यानी हम भारत के लोग पर्यावरण के प्रति शैक्षिक क्रिया कलाप के माध्यम से उसे कैसे नियंत्रित रख सकते हैं ताकि विकास भी सतत् और संतुलित हो और पर्यावरण ठीक रूप से बना रहे, यह जानना भी एक शिक्षक के लिए आवश्यक है। पर्यावरण शिक्षा में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
उच्च शिक्षा प्रणाली शिक्षा का अनुसंधान विकास किस प्रकार हुआ तथा इस पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों का अध्ययन आवश्यक है। उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए समय-समय पर किये गये सुधार और उसके लिए बनायी गई समितियां और आयोग की सिफारिशों का व्यवहारिक अध्ययन आवश्यक है। उच्च शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत पात्राता हासिल करने वाले विद्यार्थी भविष्य में उच्च शिक्षण संस्थाओं में ही अध्यापन कार्य में संलग्न होंगे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की डॉ. सारिका ने छात्रों के लिए दिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स...
1. विगत 5 वर्षों में पूछे गये प्रश्नों का पुनरावलोकन और प्रवृत्ति विश्लेषण अवश्य करें।
2. विषयवस्तुवार प्रत्येक यूनिट का अलग-अलग अभ्यास करें और प्रत्येक अभ्यास में पहले यूनिट को दूसरे यूनिट और दूसरे यूनिट को तीसरे यूनिट और तीसरे यूनिट को चौथे यूनिट के साथ जोड़ते हुए क्रम से चलें।
3. सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के मॉडल अभ्यास प्रश्न को अवश्य हल करें और जो प्रश्न हल न हों, उनका व्याख्यात्मक शॉर्ट नोट्स तैयार करें।
4. विषयवस्तुवार पूरक अध्ययन का सारिणीगत अध्ययन स्मरण शक्ति को समृद्ध करने और तुलनात्मक अध्ययन करने में सहायक होगा।
5. पर्यावरण नियंत्राण एवं सुधार से संबंधित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सम्मेलन, संधि, समझौते, प्रोटोकाल, अधिनियम, अध्यादेश, नियम इत्यादि का क्रमबद्धता में अध्ययन करें।
6. प्रदूषण के स्रोत, कारण एवं निवारण व राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय प्रयासों का समग्रावलोकन।
7. शैक्षिक विकास, शिक्षा के क्षेत्रा में नवीन पहलें और अवधरणाओं को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
8. सूचना संचार के माध्यम, प्रौद्योगिकियां और शिक्षा, समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण अवश्य करें।
9. संचार की परम्परागत एवं नवीन अवधारणाएं, सिद्धांत और उनकी मान्यताओं का अध्ययन करें।