एके हंगल ने हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार अधिकारी के दम पर अलग-अलग किरदार निभाया दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके जरिए निभाए गए हर एक किरदार आज भी दर्शकों को अच्छी तरह से याद है। खासकर 'शोले' के रहीम चाचा बनाकर एके हंगल ने दर्शकों के दिल पर अमिट छाप छोड़ी। 'शोले' के अलावा भी कई फिल्मों में दमदार किरदार निभाकर एके हंगल ने हिंदी सिनेमा को एक महान अभिनेता दिया था। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि दिवंगत अभिनेता ने 50 साल की उम्र के बाद बतौर अभिनेता अपना करियर शुरू किया था और कम समय में ही उन्होंने फिल्मों में अदाकारी का जादू चला हिंदी सिनेमा में अभिनय का सिक्का जमा लिया था। आज एके हंगल की पुण्यतिथि के मौके पर चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें....
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एके हंगल का पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। अभिनेता का जन्म एक फरवरी 1914 को पाकिस्तान के सियालकोट पंजाब में हुआ था और उन्होंने पूरा बचपन पेशावर में बिताया। वह एक कश्मीरी पंडित परिवार से संबंध रखते थे। एके हंगल ने बचपन से ही अपनी जिंदगी में तमाम संघर्ष किए थे। एके हंगल ने अपनी पत्नी के निधन के बाद अपने बेटे की अकेले ही परवरिश की थी। हंगल साहब 18 वर्ष के थे, जब उन्होंने नाटकों में अभिनय करने की शुरुआत की थी। उन्होंने 1936 से 1965 तक स्टेज अभिनय भी किया था। इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों की ओर रुख किया, लेकिन वह अभिनय में अपने करियर की शुरुआत से पहले एक टेलर का काम किया करते थे। फिल्मों के साथ-साथ एके हंगल को नाटक में भी अभिनय करने में सफलता प्राप्त हुई।
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हिंदुस्तान के बंटवारे बाद 1949 में वो मुंबई आ गए थे। एके हंगल एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे और उन्होंने साल 1929 से 1947 के बीच में देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। इसी दौरान उन्हें कराची की जेल में तीन साल बिताने पड़े थे। इसके बाद जब वह जेल से बाहर आए और उसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए थे। उसके बाद उन्होंने अभिनय की शुरुआत की। उन्हें एक्टिंग का शुरू से ही शौक था।
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एके हंगल ने 50 साल की उम्र में फिल्म 'तीसरी कसम' से अपने करियर की शुरुआत की थी। इससे पहले तक वह स्टेज शो किया करते थे। 50 साल से ज्यादा की उम्र होने के कारण उन्होंने बड़े बुजुर्ग के किरदार मिला करते थे, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय से जान डाल दी थी। फिल्म 'शोले' के रहीम चाचा अपने अनूठे अंदाज और बेहतरीन अभिनय के लिए याद किए जाते हैं। शोले फिल्म में उनका एक डायलॉग, 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई', आज भी बहुत मशहूर है। एके हंगल की यादगार फिल्मों में 'नमक हराम', 'शोले', 'बावर्ची', 'छुपा रुस्तम', 'अभिमान' और 'गुड्डी' शामिल हैं। फिल्म 'शौकीन' में भला उनकी भूमिका को कौन भूल सकता है, जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त रसिक बूढ़े शख्स का रोल किया था।
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इसके साथ ही एके हंगल को संगीत से बहुत प्यार था, जिस कारण साल 1993 में मुंबई में होने वाले पाकिस्तानी डिप्लोमैटिक फंक्शन में उन्होंने हिस्सा लिया। एके हंगल के हिस्सा लेने की वजह से शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने एके हंगल के वर्तमान और भविष्य दोनों ही फिल्मों पर रोक लगा दी थी। इस चीज का असर एके हंगल के करियर पर भी पड़ा और दो साल तक उन्हें कोई काम नहीं मिला। यहां तक कि निर्देशक निर्माता भी उन्हें अपनी फिल्म में लेने से कतराने लगे थे।
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