दो साल से जिस एक फिल्म की चर्चा दुनिया जहान में सबसे बड़ी एक्शन फिल्म के रूप में होती रही है, वह आखिरकार सिनेमाघरों तक आ पहुंची है। फिल्म बनाने वालों ने कभी इस दौरान ये नहीं जाहिर होने दिया कि ये फिल्म है क्या? फिल्म की जब भी बात हुई तो इसके एक्शन की बात हुई, इसके गानों की बात हुई, लेकिन कहानी की बात कभी नहीं हुई। फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म बनाने वालों की प्राथमिकता में कहानी कभी थी ही नहीं। उनके पास एक ऐसा हीरो था जो दो अखिल भारतीय कामयाब फिल्मों (बाहुबली सीरीज) के जरिए पूरे देश के सिनेमा दर्शकों तक पहुंच चुका था और उन्हें लगा कि बस इस हीरो का नाम ही फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए काफी है। साहो सिनेमा का इस साल का सबसे बड़ा सबक है।
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Saaho Review: काम नहीं आया 'बाहुबली' का करिश्मा, प्रभास-श्रद्धा स्टारर साहो को मिले इतने स्टार
मुंबई डेस्क, अमर उजाला
Published by: विजय जैन
Updated Fri, 30 Aug 2019 06:26 PM IST
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Saaho Star
Movie Review: साहो
दो साल से जिस एक फिल्म की चर्चा दुनिया जहान में सबसे बड़ी एक्शन फिल्म के रूप में होती रही है, वह आखिरकार सिनेमाघरों तक आ पहुंची है। फिल्म बनाने वालों ने कभी इस दौरान ये नहीं जाहिर होने दिया कि ये फिल्म है क्या? फिल्म की जब भी बात हुई तो इसके एक्शन की बात हुई, इसके गानों की बात हुई, लेकिन कहानी की बात कभी नहीं हुई। फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म बनाने वालों की प्राथमिकता में कहानी कभी थी ही नहीं। उनके पास एक ऐसा हीरो था जो दो अखिल भारतीय कामयाब फिल्मों (बाहुबली सीरीज) के जरिए पूरे देश के सिनेमा दर्शकों तक पहुंच चुका था और उन्हें लगा कि बस इस हीरो का नाम ही फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए काफी है। साहो सिनेमा का इस साल का सबसे बड़ा सबक है।
दो साल से जिस एक फिल्म की चर्चा दुनिया जहान में सबसे बड़ी एक्शन फिल्म के रूप में होती रही है, वह आखिरकार सिनेमाघरों तक आ पहुंची है। फिल्म बनाने वालों ने कभी इस दौरान ये नहीं जाहिर होने दिया कि ये फिल्म है क्या? फिल्म की जब भी बात हुई तो इसके एक्शन की बात हुई, इसके गानों की बात हुई, लेकिन कहानी की बात कभी नहीं हुई। फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म बनाने वालों की प्राथमिकता में कहानी कभी थी ही नहीं। उनके पास एक ऐसा हीरो था जो दो अखिल भारतीय कामयाब फिल्मों (बाहुबली सीरीज) के जरिए पूरे देश के सिनेमा दर्शकों तक पहुंच चुका था और उन्हें लगा कि बस इस हीरो का नाम ही फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए काफी है। साहो सिनेमा का इस साल का सबसे बड़ा सबक है।
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प्रभास की फिल्म साहो का पोस्टर
- फोटो : सोशल मीडिया
विदेशी फिल्मों की आसानी से मोबाइल पर उपलब्धता ने भारतीय फिल्म दर्शकों को सिनेमा के जो सबक सिखाए हैं, उनमें सबसे अहम है ये सिखाना कि सिनेमा सितारों से नहीं कहानी से बनता है। 350 करोड़ रुपये से बनी फिल्म साहो के बारे में बताया गया कि ये बहुभाषी फिल्म है लेकिन इसका हिंदी संस्करण देखकर तो यही लगता है कि ये सिर्फ तेलुगू में बनी फिल्म है जिसे हिंदी भाषा में डब कर दिया गया है। तमिल और मलयालम संस्करण देखने वालों की भी राय यही बनती दिख रही है। एक अंडरकवर पुलिस वाले और एक अंडरकवर अपराधी की तथाकथित कहानी कहती ये फिल्म इतनी अंडरकवर चलती है कि आखिर तक दर्शक को समझ ही नहीं आता कि इसके निर्माता निर्देशक समझाना क्या चाह रहे हैं।
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साइको सैंया का पोस्टर
- फोटो : सोशल मीडिया
फिल्म साहो में फोकस कहानी की बजाय कारों को कुचले जाने, लोगों को थोक के भाव मारने और शीशों के बार बार टूटने पर इतना ज्यादा है कि कहानी में अगर फेविकोल भी लगाया जाए तो फिल्म के दृश्यों को आपस में शायद ही चिपका पाए। सिद्धांत नंदन साहो को मुंबई पुलिस में काम करने वाली केरल की अमृता नायर से प्यार हो जाता है। एक काल्पनिक शहर वाजी में इतने जाने पहचाने चेहरे हैं कि इनकी कहानी में जरूरत समझना सेक्रेड गेम्स के दूसरे सीजन से भी बड़ा टास्क बन जाता है।
Saaho
फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण इसके एक्शन को बताया गया और फिल्म देखने के बाद यही समझ आता है कि इतना बेसिर पैर का एक्शन तो आजकल बच्चे भी हजम नहीं कर पाते। पैराशूट को पहले फेंक पीछे से छलांग लगाता हीरो हो या फिर फ्लाइंग सूट से खुद को बेहतर समझने वाला हीरो, हर बार हर एक्शन सीन दर्शकों को सिर पकड़ने पर मजबूत कर देता है। दर्द निवारक गोलियो की जरूरत भी इस बीच महसूस होने लगती है और वह इसलिए कि फिल्म के एक्शन सीन्स रोमांच नहीं बढ़ाते बल्कि सिरदर्द पैदा करते हैं। फिल्म के संगीत के बारे में बहुत बड़ी बड़ी बातें होती रही हैं। इनकी लोकेशन्स को लेकर भी तमाम दावे हुए लेकिन गाने संगीत और गीत से बनते हैं, लोकेशंस से नहीं। फिल्म देखकर निकलने के बाद एक गाना भी गुनगुनाने का मन नहीं करता। जैकलीन भले बैड बॉय गाने की याद रह जाएं पर इन्ना सोणा तू बड़े परदे पर अपना असर छोड़ने में बुरी तरह नाकाम रहा।
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साहो का पोस्टर
- फोटो : सोशल मीडिया
तो फिल्म साहो क्या देखी जा सकती है या नहीं? अगर ये सवाल अब भी कायम है तो इसका जवाब भी प्रभास फिल्म के आखिर में मिल ही जाता है। प्रभास के तोड़ू फैंस को ये फिल्म भले अच्छी लगे, आम दर्शकों के लिए इससे बचकर गुजर जाने और अक्टूबर महीने में वॉर की रिलीज होने तक इंतजार करने की वैधानिक चेतावनी देना यहां जरूरी है। तीन घंटे की इस फिल्म को अमर उजाला के वीकली फिल्म रिव्यू में फिल्म साहो को मिलते हैं दो स्टार।