देश के सबसे बड़े फिल्म प्रोडक्शन हाउस यशराज फिल्म्स की स्थापना के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाला जश्न रविवार से शुरू हो चुका है। इसके संस्थापक यश चोपड़ा के बेटे आदित्य ने इस मौके पर एक नया लोगो भी कंपनी का जारी किया, लेकिन क्या आपको पता है कि यशराज फिल्म्स के पहले कर्मचारी का नाम क्या है? चलिए हम आपको बताते हैं।
मिलिए यशराज फिल्म्स के इस पहले कर्मचारी से, सहायक से शुरू हुआ सफर कार्यकारी निर्माता के पद तक पहुंचा
कई दिनों की खोजबीन और लगातार यशराज फिल्म्स की टीम से जानकारी लेते रहने के बाद पता ये चला कि यश चोपड़ा ने जब वी. शांताराम के स्टूडियो में एक कमरे से अपनी कंपनी शुरू की तो उनके पहले सहायक बने थे महेन वकील। वह यश चोपड़ा का उस समय सारा काम देखते थे और हर काम में उनकी मदद करते रहे। महेन वकील की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में पिछले 50 साल में आया बदलाव ही यशराज फिल्म्स का असली रिपोर्ट कार्ड है।
महेन करते हैं, ‘यश चोपड़ा ने हम लोगों को काम करना सिखाया है। शूटिंग के तय समय से डेढ़ घंटे पहले पहुंचकर वह गेट पर सबका हाथ जोड़कर अभिवादन करते मिलते थे। अब जब बॉस इतना जल्दी पहुंच जाए तो बाकी लोगों का समय से पहले आना निश्चित ही है। उन्होंने कभी बड़े छोटे का भी फर्क नहीं किया। फिल्म की शूटिंग अगर किसी दूसरे शहर में हो रही है तो जिस होटल में वह या फिर फिल्म के सितारे ठहरते, उसी होटल में पूरी यूनिट का हर स्टाफ यहां तक कि स्पॉट ब्वॉय भी ठहरता था।’
यश चोपड़ा के काम करने की शैली का जिक्र चलने पर महेन बताते हैं, ‘एक बार फिल्म शुरू हो जाए तो फिर उनको कुछ और सूझता नहीं था। वह कलाकारों को हर सीन पूरा करके दिखाते थे और कई बात तो इतना बेहतरीन करके बताते थे कि हम लोगों को लगता कि ये ही शूट भी कर लेते तो कितना अच्छा रहता। उनका काम करने का तरीका ही बहुत भव्य होता था। सिनेमा उनके लिए जुनून था। जो काम उन्होंने आज से 50 साल पहले शुरू किया, उसे आज देखो तो भी वह विशाल नजर आता है। उनके सेट्स, उनकी लोकेशंस, उनकी तकनीक सब समय से आगे की बातें हैं।’
कम लोगों को ही पता होगा कि यश चोपड़ा खाने के बहुत शौकीन थे। उनके सहायक से शुरू करके यशराज फिल्म्स में कार्यकारी निर्माता तक का ओहदा पाने वाले महेन वकील बताते हैं, ‘वैसे तो यश जी की सारी फिल्मों की शूटिंग बहुत ही अनुशासित माहौल में ही होती थी लेकिन अगर किसी दिन शूटिंग लंबी खिंची भी तो सबसे पहला काम जो वह करते थे, वह था भव्य भोजन का इंतजाम सारी यूनिट के लिए। एक बार किसी ने उसे चेंबूर के मशहूर पराठों के बारे में बता दिया, अगले ही दिन उन्होंने उस पराठे वाले को मय तंदूर के अपने सेट पर बुला लिया और पूरी यूनिट को वे पराठे खिलवाए।’
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