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Hasrat Jaipuri: शायरी के शौक ने किया बेघर, बस कंडक्टर की नौकरी की; राज कपूर का मिला साथ और ‘हसरत’ बन गए गीतकार
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: कामेश द्विवेदी
Updated Wed, 17 Sep 2025 08:30 AM IST
सार
Hasrat Jaipuri Death Anniversary: 'जिया बेकरार है' से लेकर 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' गीतों से अमर संगीतकार हसरत जयपुरी किसी पहचान के मोहताज नहीं है। आज बुधवार को उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस खास अवसर पर जानेंगे उनके जीवन की अहम बातें।
हसरत जयपुरी को लेखनी के जादूगर कहने में कोई शक नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ऐसे गाने लिखे जो आज की पीढ़ी भी गुनगुनाती नजर आती है। बचपन में शेरों-शायरियों का शौक रखने के कारण हसरत को घर से निकाल दिया गया था। लेकिन गीतकार 'बदन पे सितारे लपेटे हुए' मायानगरी पहुंचे और उन्हें मिली ऐसी पहचान कि हर निर्माता अपने फिल्मों में उनके गानें शामिल करना चाहता था। राज कपूर से लेकर यश चोपड़ा तक की कई फिल्मों में उन्होंने अपनी लेखनी का कमाल दिखाया और शानदार गाने दिए थे। आज 17 सितंबर के दिन हसरत जयपुरी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस अहम मौके पर जानिए कैसे एक लड़का संगीत के क्षेत्र में फिल्मी दुनिया का बादशाह बन गया।
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हसरत जयपुरी
- फोटो : सोशल मीडिया
नाना ‘फिदा’ से सीखे लिखने के गुर
हसरत जयपुरी का जन्म 15 अप्रैल 1922 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। उनके बचपन का नाम इकबाल हुसैन था। पढ़ाई के दिनों से ही उन्हें उर्दू शायरी और कविताओं से गहरा लगाव था। कम उम्र से गजलें और शायरी लिखना उनकी आदत बन गई थी। आपको बताते चलें कि हसरत के नाना फिदा हुसैन कवि थे, उन्हीं को देख हसरत को लिखने और शायरियों को शौक हुआ।
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हसरत जयपुरी
- फोटो : सोशल मीडिया
जब शेरों-शायरी का शौक देख मां ने घर से निकाला
हसरत जयपुरी के पिता फौज में थे उनका नाम नाजिम हुसैन था और उनकी मां फिरदौसी बेगम थी। गीतकार की मां को उनकी शेरों-शायरी बिल्कुल पसंद नहीं थी, लेकिन हसरत भी कहां मानने वाले थे। इसके बाद उनकी मां ने फैसला किया कि अगर उन्हें शायरी करनी है, तो घर से निकल जाएं। फिर क्या अपने सपनों की जद्दोजहद में हसरत बोरिया-बिस्तर लेकर मुंबई के मायानगरी में अपना नाम बनाने निकल पड़े।
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हसरत जयपुरी और राज कपूर
- फोटो : एक्स
जब मिला पृथ्वीराज कपूर का साथ
मुंबई आने के बाद हसरत ने जीवन के असली संघर्ष किए। कुछ पैसे कमाने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ा और कभी-कभी तो वो बिना खाए फुटपाथ पर सो जाते थे। इसके बाद हसरत ने बस कंडक्टर की नौकरी शुरू कर दी। साथ ही वह मुशायरों, कविता पाठ के सम्मेलन में भी सम्मिलित होने लगे और उसमें अपनी कला को दिखाते थे। इसी दौरान उनपर एक दिग्गज अभिनेता पृथ्वीराज कपूर की नजर पड़ी और उन्होंने हसरत जयपुरी के बारे में अपने बेटे राज कपूर को बताया। इसके बाद राज कपूर ने हसरत को अपनी फिल्मों में गीतकार के रूप में काम देने का फैसला किया।
बरसात फिल्म में से चमकी हसरत जयपुरी की किस्मत
राजकपूर उन दिनों अपनी आगामी फिल्म 'बरसात' की तैयारी में लगे हुए थे। इस फिल्म के लिए गीत लिखने लिए उन्होंने हसरत जयपुरी को कहा। फिर क्या गीतकार ने लिखा, ‘जिया बेकरार है छाई बहार है’। यह गाना काफी पसंद किया गया था और इसने उन्हें काफी पहचान दिलाई। इसके बाद गीतकार ने कई गीतों को अमर कर दिया।
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हसरत जयपुरी
- फोटो : एक्स
जब हसरत को हुआ एक लड़की से प्यार
हसरत जयपुरी आशिक मिजाज के भी व्यक्ति थे। उन्हें युवा दौर में अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की राधा से प्यार हो गया था। उन्होंने उस लड़की को प्रेम पत्र लिखा था, जिसका जिक्र उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने कहा, ‘यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि एक मुस्लिम लड़के को केवल एक मुस्लिम लड़की से ही प्यार हो। मेरा प्यार चुप था, लेकिन मैंने उसके लिए एक कविता लिखी, 'ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर के तुम नाराज न होना’। हालांकि फिल्म निर्माता राज कपूर को यह इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे अपनी फिल्म 'संगम' में शामिल किया और यह हिट गीत साबित हुआ।'
शंकर जयकिशन और शैलेंद्र की जोड़ी के साथ हसरत ने किया कमाल
'बरसात' फिल्म में हिट होने के बाद संगीतकार हसरत की शंकर जयकिशन और शैलेंद्र के साथ जोड़ी बन गई थी। इस टीम ने कई फिल्मों के गीत को अमर कर दिया। ‘अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू कहां खतम’ इन्हीं तीनों की जोड़ी का एक सफल उदाहरण है। कुछ ऐसा ही हुआ इनकी जोड़ी के साथ भी। 1971 में जयकिशन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उसके बाद तीनों टूट गए।
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