अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पैतृक गांव बिंझौल में उनके पिता लालंचद और चचेरे भाई मेजर विकास ने उनको मुखाग्नि दी। इस दौरान मेजर आशीष अमर रहे और भारत माता के जयकारों से आसमान गुंजायमान हो उठा। वहीं बेटे को अंतिम विदाई देते मां कमला ने जब जय जवान, जय किसान और मेरा बेटा देश की शान, मेरा बेटा देश पर कुर्बान की बात कही तो सभी की आंखें नम हो गईं।
सबसे पहले शहीद मेजर आशीष धौंचक के पार्थिव शरीर को टीडीआई स्थित उनके नए मकान पर सुबह करीब छह बजे लाया गया। इस नए मकान में मेजर आशीष को अपने जन्मदिन पर 23 अक्टूबर को गृह प्रवेश करना था। ऐसे में परिजनों की इच्छा से शव को पहले टीडीआई स्थित नए मकान पर लाया गया, जहां मां कमला, पिता लालचंद, पत्नी ज्योति समेत तीनों बहनों ने मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को गले लगाया।
सबसे पहले शहीद मेजर आशीष धौंचक के पार्थिव शरीर को टीडीआई स्थित उनके नए मकान पर सुबह करीब छह बजे लाया गया। इस नए मकान में मेजर आशीष को अपने जन्मदिन पर 23 अक्टूबर को गृह प्रवेश करना था। ऐसे में परिजनों की इच्छा से शव को पहले टीडीआई स्थित नए मकान पर लाया गया, जहां मां कमला, पिता लालचंद, पत्नी ज्योति समेत तीनों बहनों ने मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को गले लगाया।