लंबे समय के इंतजार के बाद अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण आखिरकार होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पांच अगस्त को मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। कहा जा रहा है कि यह मंदिर देश का सबसे भव्य मंदिर होगा। आसमान छूती गुंबदें और करीब 50 हजार लोगों की क्षमता वाले इस मंदिर की सुंदरता देखने ही वाली होगी। इन सब जानकारियों के साथ एक सवाल मन में जरूर उठता है कि दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर या अन्य धर्मों में सबसे बड़े धार्मिक स्थल कौन से हैं और उनका महत्व क्या है। जानिए दुनिया के 10 सबसे बड़े धार्मिक स्थलों के बारे में...
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे : जानिए दुनिया के 10 सबसे बड़े धार्मिक स्थलों के बारे में...
अंकोरवाट मंदिर
आपको जानकर हैरानी होगी कि हिंदू धर्म में दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में न होकर किसी और देश में है। जी हां, दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर अंकोरवाट कंबोडिया में है। 162.6 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बने इस मंदिर का निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53 ईसवी) के शासनकाल में हुआ था। यह कंबोडिया के अंकोर में स्थित है जिसका पुराना नाम यशोधरपुर था। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। इस मंदिर की खूबसूरती के साथ-साथ यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा भी बेहद खूबसूरत होता है।
सूर्यवर्मन द्वितीय ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तो इसकी रक्षा के लिए इसके चारों ओर एक खाई का निर्माण भी कराया था। इस खाई की चौड़ाई करीब 700 फुट है। दूर से देखने पर यह खाई झील जैसी लगती है। मंदिर के पश्चिम की ओर एक पुल भी बना है जिसका इस्तेमाल इस खाई को पार करने के लिए किया जाता है। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए करीब 1000 फुट चौड़ा विशाल द्वार है। मंदिर की दीवारों पर पूरी रामायण मूर्तियों के स्वरूप में अंकित है। हालांकि, 12वीं शताब्दी में यह मंदिर बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से अचरज पैदा करने वाला मंदिर है।
हरमंदिर साहब गुरुद्वारा
हरमंदिर साहब गुरुद्वारा या स्वर्ण मंदिर सिख धर्म मतावलंबियों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। यह पंजाब के अमृतसर में स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने से निर्मित है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं। सिखों के चौथे गुरु रामदास ने इस गुरुद्वारे की नींव रखी थी। इस गुरुद्वारे को कई बार नष्ट किया गया लेकिन इसे हर बार फिर बनवाया गया। इससे संबंधित एक रोचक तथ्य यह है कि जितनी बार भी इस गुरुद्वारे को नष्ट किया गया और बनवाया गया, उस हर घटना को यहां दर्शाया गया है। बताते हैं कि हैदराबाद के सातवें निजान मीर उस्मान अली खान इस गुरुद्वारे को सालाना दान दिया करते थे।
शिल्पकला की अनूठी मिसाल इस करीब 400 साल पुराने गुरुद्वारे का नक्शा गुरु अर्जुन देव ने तैयार किया था। गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं। उस समय कई मंदिरों में सभी जाति के लोगों को जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन, इस गुरुद्वारे के चार द्वार चारों जातियों को प्रवेश की अनुमति देने के लिए थे। पूरा गुरुद्वारा सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है जो, जांबाज सिख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगाया गया है। यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है, जिसमें कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है।
सेंट पीटर्स बेसिलिका चर्च, वेटिकन सिटी
वेटिकन सिटी में स्थित सेंट पीटर्स बेसिलिका दुनिया का सबसे बड़ा चर्च या ईसाई धर्म स्थल है। इस चर्च को दुनिया के सभी रोमन कैथोलिक चर्चों की जननी भी कहा जाता है। यह चर्च करीब 15,160 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है। यह चर्च इतना विशाल है कि यहां करीब 60 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। यह चर्च पुनर्जागरण काल की वास्तुकला शैली का अनुपम उदाहरण है। इस चर्च को सबसे पवित्र कैथोलिक धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। वास्तुकला को देखें तो इसे अपने काल की सबसे महान इमारत माना जाता है। सेंट पीटर्स दुनिया के चार उन चर्चों में से एक है जिन्हें मेजर बेसिलिका का दर्जा मिला है।
कैथोलिक मान्यताओं के अनुसार बेसिलिका वह स्थान है जहां सेंट पीटर को दफनाया गया था। वह ईसा मसीह के शिष्यों में से एक थे। इसके साथ ही वह रोम के पहले पोप थे। कहा जाता है कि यह चर्च प्राचीन रोमन शासक कॉन्टस्टीन के समय का है। वर्तमान बेलिसिका का निर्माण कार्य 18 अप्रैल 1506 में शुरू हुई था और 18 नवंबर 1626 को पूरा हुआ था। मान्यता के अनुसार ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने के बाद उनके 12 शिष्यों में से एक संत पीटर ने ईसा मसीह के समर्थकों का नेतृत्व किया था। सेंट पीटर बेसिलिका में रोजाना एक निश्चित समय पर किरणों का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है।
इमाम रजा श्राइन
इमाम रजा मस्जिद क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसका निर्माण इमाम रजा की कब्र के आस-पास किया गया है जो 12 इमामों में से आठवें इमाम थे। ईरान में स्थित मुसलमानों के इस धार्मिक स्थल के परिसर में गौहरशाद मस्जिद, एक म्यूजियम, एक पुस्तकालय, चार मदरसे, एक कब्रगाह, रजावी यूनिवर्सिटी ऑफ इस्लामिक साइंसेज, श्रद्धालुओं के लिए हॉल, बड़े प्रार्थना सभागार और अन्य इमारतें शामिल हैं। ईरान में यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और इसे शिया इरान का हृदय माना जाता है। साल 2007 के एक आंकड़े के अनुसार हर साल करीब 2.5 करोड़ ईरानी और गैर ईरानी यहां आते हैं।
ईरान के मशहाद में स्थित इमाम रजा श्राइन 2,67,079 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनी हुई है। मशहादा ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और इसे ईरान की आस्था की राजधानी (स्पिरिचुअल कैपिटल) कहा जाता है। मशहादा को 'शहादत की जमीन' भी कहा जाता है। इसकी स्थापना साल 818 में मानी जाती है। इसके परिसर में आठ मीनारें हैं और यहां पांच लाख लोगों की क्षमता है। इस स्थान को लेकर 1347 से 1928 के बीच कई अहम परिवर्तन हुए। इस स्थान को ईरान के 100 रियाल सिक्के के पिछले हिस्से पर भी स्थान दिया गया है। ये सिक्के साल 2004 में जारी किए गए थे।