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Bihar: भाजपा से क्यों नाराज हैं नीतीश कुमार, क्या है जदयू की नई प्लानिंग? तीन बिंदुओं में समझें पूरा खेल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Mon, 08 Aug 2022 01:51 PM IST
सार

2020 में जब जदयू और भाजपा ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तभी से ये कयास लगने शुरू हो गए थे कि सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी। इसका एक बड़ा कारण ये था कि जदयू के मुकाबले भाजपा के पास ज्यादा सीटें थीं।

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Bihar Politics : Why Nitish Kumar angry From BJP, what is JDU's new planning?
नीतीश कुमार भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं। - फोटो : अमर उजाला
बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अटकले हैं कि जदयू और भाजपा का गठबंधन टूट सकता है। इसके साथ ही नए गठबंधन की कवायद भी शुरू हो गई है। जदयू और राजद के एक बार फिर साथ आने की भी चर्चा है। 




अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि जदयू और भाजपा की दोस्ती टूटने की कगार पर आ गई? आखिर क्यों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सबसे पुराने साथी भारतीय जनता पार्टी से नाराज हैं? जदयू की नई प्लानिंग क्या है? आइए समझाते हैं...
 
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Bihar Politics : Why Nitish Kumar angry From BJP, what is JDU's new planning?
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते नीतीश कुमार - फोटो : अमर उजाला
दो साल में क्या-क्या हुआ? 
हमने ये समझने के लिए बिहार के वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर झा से बात की। उन्होंने कहा, '2020 में जब जदयू और भाजपा ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तभी से ये कयास लगने शुरू हो गए थे कि सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी। इसका एक बड़ा कारण ये था कि जदयू के मुकाबले भाजपा के पास ज्यादा सीटें थीं। इसके बावजूद भाजपा हाईकमान ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। इससे भाजपा के एक बड़े खेमे में काफी नाराजगी थी। जो समय-समय पर जाहिर भी होते रही।'

झा कहते हैं, 'कई बार भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दिया। तब मजबूरन नीतीश कुमार ये सब सुनना भी पड़ा। कहा तो ये भी जाता है कि मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हों, लेकिन बड़े फैसले बिना भाजपा की सहमति के वह नहीं ले सकते थे। फ्री स्टाइल में काम करने वाले नीतीश कुमार को इससे काफी परेशानी होने लगी।'
 
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Bihar Politics : Why Nitish Kumar angry From BJP, what is JDU's new planning?
नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो) - फोटो : PTI
फिर अचानक क्या हो गया कि अब गठबंधन टूटने की कगार पर पहुंच गया? 
1. केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ नहीं बोल पाते थे : कृषि बिल, जाति आधारित जनगणना, बिहार को विशेष राज्य देने की मांग हो या अग्निवीर का मसला। हर बार नीतीश कुमार केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ खड़े होना चाहते थे, लेकिन भाजपा के साथ की मजबूरी ने उन्हें रोक दिया। वह चाहते हुए भी इसके खिलाफ कुछ नहीं बोल पाते थे। 
 
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नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी और चिराग पासवान - फोटो : Amar Ujala
2. लोक जनशक्ति पार्टी की फूट ने दिया अल्टीमेटम : दयाशंकर झा बताते हैं कि रामविलास पासवान की मौत के बाद लोक जनशक्ति पार्टी में भी विवाद खड़ा हुआ था। उस दौरान रामविलास पासवान के बेटे और उनके भाई के बीच पार्टी को लेकर लड़ाई शुरू हुई। चिराग खुले मंच से हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफें किया करते थे, लेकिन जब उनकी ही पार्टी में फूट पड़ी तो भाजपा ने उनका साथ नहीं दिया। यहां तक की चिराग का फोन भी भाजपा हाईकमान ने नहीं उठाया। रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने सांसदों का सपोर्ट दिखाते हुए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया और खुद केंद्रीय मंत्री बन गए। चूंकि चिराग खुद लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रहे थे, इसलिए तब नीतीश ने कुछ नहीं बोला। लेकिन नीतीश कुमार ने इसे खुद के लिए एक अल्टीमेटम समझा। 
 
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Bihar Politics : Why Nitish Kumar angry From BJP, what is JDU's new planning?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आरसीपी सिंह - फोटो : अमर उजाला
3. भाजपा तोड़ना चाहती थी पार्टी : पिछले एक साल के अंदर नीतीश कुमार को कई बार लगा कि भाजपा अब उनकी ही पार्टी में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। मतलब जदयू के विधायकों, सांसदों और नेताओं को तोड़कर भाजपा अकेले दम पर सरकार बना सकती है। ऐसे में उन्होंने अपनी पार्टी की निगरानी शुरू कर दी। ये देखने लगे कि उनकी पार्टी के किस-किस नेताओं के रिश्ते भाजपा से मजबूत हो रहे हैं। ऐसे लोगों को नीतीश चुन-चुनकर निकालने लगे। 

सबसे पहले निशाने पर आए जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक, पार्टी के प्रदेश महासचिव अनिल कुमार, विपिन कुमार यादव, भंग समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज। अजय आलोक टीवी चैनलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की जमकर तारीफें किया करते थे। ऐसे में इन सभी को नीतीश कुमार ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इसके बाद अगला नंबर आरसीपी सिंह का आया। चूंकि आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में जदयू कोटे से मंत्री थे, इसलिए नीतीश कुमार ने बड़े ही प्लानिंग और धैर्य के साथ फैसला लिया। जैसे ही आरसीपी सिंह की राज्यसभा सदस्यता खत्म हुई और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया पार्टी ने उनपर कार्रवाई शुरू कर दी। पार्टी ने उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया। जिसके बाद आरसीपी सिंह ने खुद इस्तीफा दे दिया। 
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