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डिजिटल: तकनीक बन रही हर नागरिक की सच्ची साथी... अब हर आंख से आंसू पोंछना हुआ मुमकिन

Ashwini Vaishnav अश्विनी वैष्णव
Updated Thu, 03 Jul 2025 08:23 AM IST
सार

डिजिटल इंडिया की जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) ट्रिनिटी की बदौलत हर आंख से आंसू पोंछना मुमकिन हुआ है।

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Digital India Jandhan UIDAI Mobile Trinity Technology aid for common man during PM Modi regime
अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियां बताईं - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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अभी कुछ ही महीने पहले मैं दिल्ली दौरे पर आईं यूरोप की एक वरिष्ठ मंत्री से मिला, जो भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति को देखकर आश्चर्यचकित थीं। उत्सुकतावश उन्होंने पूछ ही लिया कि भाषाई और भौगोलिक विविधता से भरे भारत ने यह बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की? मैंने उन्हें 500 रुपये का नोट दिखाया। उस पर ‘पांच सौ रुपये’ 17 भाषाओं में लिखा होता है। यह एक साधारण, मगर शक्तिशाली प्रतीक है, भारत की विविधता का। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस भाषा और संस्कृति की विविधता को तकनीक के जरिये जोड़ा गया है और आज यही हमारी सबसे बड़ी ताकत बन गई है।

प्रधानमंत्री मोदी की दस वर्ष पुरानी स्पष्ट सोच से इस यात्रा की शुरुआत हुई कि एक ऐसा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना, जो पूरे देश की सेवा करे, न कि कुछ गिने-चुने लोगों की। यहीं से इंडिया स्टैक की नींव पड़ी, जिसे आज पूरी दुनिया सराह रही है। इन सबके केंद्र में दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली आधार है। यह देश के 140 करोड़ लोगों को एक अनूठी डिजिटल पहचान देता है। हर दिन नौ करोड़ से ज्यादा आधार सत्यापन होने से लोगों तक जरूरी सेवाएं तेजी और भरोसे के साथ पहुंच रहीं हैं।
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अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियां बताईं - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
यूपीआई अब तक सात देशों में शुरू हो चुका है
डिजीलॉकर ने तो शासन और जनसेवाओं को बहुत आसान बना दिया है। अब ड्राइविंग लाइसेंस, शैक्षिक प्रमाणपत्र सहित जरूरी कागजात सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। आज भारत में लगभग 90 फीसदी लोग मोबाइल का उपयोग करते हैं। मोबाइल ने तकनीक की ताकत को सीधे जनता के हाथों में पहुंचाया है। जी 20 सम्मेलन में भारत ने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को बढ़ावा दिया और एक वैश्विक डीपीआई भंडार (ग्लोबल डिपॉजिटरी) बनाने का प्रस्ताव रखा। यूपीआई अब तक सात देशों में शुरू हो चुका है, और कई अन्य देश भी इसे अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। आज देश में 55 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खोले गए हैं, तो डीबीटी के जरिये सीधे जनता की जेब में 44 लाख करोड़ रुपये भी भेजे गए। 10 करोड़ से ज्यादा एलपीजी कनेक्शन और स्वास्थ्य लाभ सीधे बांटे गए। यह सब डिजिटल इंडिया की जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) ट्रिनिटी की बदौलत संभव हुआ, जिसे हर आंख से आंसू पोंछने वाली योजना के रूप में जाना जाता है।
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अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियां बताईं - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
हमारे युवा एआई, साइबर सुरक्षा और ब्लॉकचेन में...
मॉईजीओवी (MyGov) व उमंग जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों को 2000 से अधिक सरकारी सेवाओं से सीधे जोड़ते हैं। भारत के राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-संजीवनी ने 38 करोड़ डॉक्टरों से परामर्श की सुविधा प्रदान की है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का लक्ष्य है कि हर नागरिक की एक अनूठी डिजिटल स्वास्थ्य आईडी तैयार हो। अब तक 79 करोड़ से अधिक हेल्थ आईडी, छह लाख से अधिक डॉक्टर और हेल्थ वर्कर और 60 करोड़ से ज्यादा हेल्थ रिकॉर्ड सिस्टम से जुड़ चुके हैं। दीक्षा, स्वयं और पीएम ई विद्या जैसे डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्म अब लाखों छात्रों तक उनकी स्थानीय भाषाओं में पहुंच रहे हैं। स्किल इंडिया डिजिटल हब और फ्यूचर स्किल्स प्राइम हमारे युवाओं को एआई, साइबर सुरक्षा और ब्लॉकचेन में कौशल प्रदान कर रहे हैं।

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किसान मौसम संबंधी अपडेट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और बाजार मूल्य डिजिटल रूप से प्राप्त कर रहे हैं। भारत के बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ ही साइबर सुरक्षा ढांचे को भी मजबूत किया गया है। सीईआरटी-इन, 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन और डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 जैसी पहलें यूजर्स की प्राइवेसी और डाटा सुरक्षा के प्रति भारत के पक्के इरादों को दिखाती हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसका एक मजबूत उदाहरण देखा गया, जब हमारी एजेंसियों ने एक साथ हो रहे कई साइबर हमलों को सफलतापूर्वक रोक लिया।
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अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियां बताईं - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा
भारत आज 1.8 लाख से ज्यादा स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत अब डिजिटल पब्लिक गुड्स का निर्यात कर रहा है। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देश अब इंडिया स्टैक मॉडल अपना रहे हैं। आज भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गया है। भारत अब मोबाइल फोन का निर्यात भी करने लगा है। इस तेजी से बढ़ते उत्पादन को मजबूत टेलीकॉम ढांचे का भी पूरा सहयोग मिला है। कई वर्षों बाद बीएसएनएल फिर से मुनाफे में आ गया है। आज 4जी नेटवर्क लगभग पूरे देश में उपलब्ध है, और भारत ने दुनिया का सबसे तेज 5जी रोलआउट करके रिकॉर्ड बनाया है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन अब भारत में बने चिप के सपने को हकीकत में बदल रहा है।

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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं। हमारा लक्ष्य बिल्कुल साफ है-डिजिटल सेवाओं को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना, लोगों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाना, और सभी के लिए साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना और अंत में, हमारी कोशिश है कि तकनीक हर नागरिक की सच्ची साथी बने।
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