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44 शहर और 16 साल की रिसर्च: कड़ाके की ठंड के बाद अब भयंकर गर्मी के आसार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Thu, 13 Feb 2020 08:20 PM IST
फरवरी का महीना आने के साथ ही अब गर्मी का अहसास भी होने लगा है। जहां जनवरी में पूरा उत्तर भारत भयंकर ठंड झेलता रहा, अब गर्मी के कहर की आशंका सताने लगी है। 13 फरवरी का तापमान अन्य दिनों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही महसूस हुआ। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार गर्मी पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है। ऐसे में फिर वही सवाल उठ रहा है कि क्या गर्मी पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगी। ऐसे हालात में गौर करते हैं विशेषज्ञों की रिसर्च और उनकी ओर से दिए गए लगातार संदेशों की जिसने हर मोड़ पर हमें चेताया है।
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हाल ही में आईआईटी खड़गपुर ने लंबे अध्ययन में सचेत किया कि भारतीय गांवों की अपेक्षा शहरों में ज्यादा गर्मी बढ़ रही है। देश के गांवों के मुकाबले शहर ज्यादा गर्म हो रहे हैं। इस समस्या को वैज्ञानिकों की भाषा में अर्बन हीट आइलैंड कहा जाता है। यह खुलासा आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने 16 साल तक देश के 44 शहरों में रिसर्च के बाद किया है। आईआईटी के मुताबिक ये गर्मी भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकती है। हालांकि पुणे, कोलकाता, गुवाहाटी जैसे शहरों में हरियाली के कारण गर्मी कुछ हद तक काबू में है।
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सड़क निर्माण से गर्मी
- फोटो : Social
क्या है वजह
शहरों में बढ़ती गर्मी की वजह है यहां इस्तेमाल की जाने वाली भवन सामग्री। ये सूर्य से ऊर्जा को सोखती है जिससे गर्मी बढ़ रही है। डामर, स्टील, ईंट जैसे पदार्थ गहरे काले, भूरे रंग के होते हैं जो प्रकाश ऊर्जा की तरंगों को जल्दी अवशोषित करते हैं। फिर इसे ऊर्जा में बदल देते हैं। इसलिए ये चीजें गर्म हो जाती हैं। दूसरी ओर पेड़ों की बेतहाशा कटाई और लगातार बन रहीं पक्की सड़कें भी तापमान को बढ़ाने में भूमिका अदा कर रही हैं।
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नासा
- फोटो : NASA
नासा कर रहा काम
नासा के वैज्ञानिक इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। वे इस प्रयास में लगे हैं कि किस तरह से समूची धरती को ठंडा रखा जा सकता है। नासा की सैटेलाइट, लैंडसेट तमाम क्रियाओं पर गहरी नजर रख रही है ताकि हर परिवर्तन को रिकॉर्ड किया जा सके। सतह का तापमान और पौधों की वृद्धि पर भी नजर रखी जा रही है। वैज्ञानिक इन्हीं आधारों पर लगातार हो रहे परिवर्तनों का विश्लेषण कर रहे हैं।
नासा विशेषज्ञों की सलाह है कि आने वाले समय में निर्माण और विकास कार्य मौजूदा हालात को देखकर ही किए जाएं। डामर की सड़कों, पार्किंग एरिया और छतों को अगर रिफलेक्टिव ग्रे कोटिंग से कवर कर दिया जाए तो बदलाव नजर आएंगे। ऐसा करने पर शहरी तापमान को कम किया जा सकता है खासतौर पर गर्मी के मौसम में।
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भीषण गर्मी
- फोटो : अमर उजाला
क्या कहता है मौसम विज्ञान
भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 1901 के बाद साल 2018 और फिर साल 2019 में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी थी। ये देश का सातवां सबसे गर्म साल था। दिल्ली में पिछले साल 46.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। इसके अलावा दक्षिणी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और सौराष्ट्र में भी जबरदस्त गर्मी दर्ज हुई। पूरे उत्तर भारत में जबरदस्त गर्मी पड़ी और कई शहरों में तो इसने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
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गर्मी का कहर
- फोटो : अमर उजाला
भारत के 15 शहर सबसे गर्म शहरों में
जलवायु वेबसाइट एल डोराडो के कुछ समय पहले जारी आंकड़ों के मुताबिक, मध्य भारत के कुछ शहरों को दुनिया के 15 सबसे गर्म शहरों में शामिल किया गया। इनमें राजस्थान के चुरू और श्रीगंगानगर का नाम प्रमुख है, जहां तापमान 48.9 और 48.6 डिग्री सेल्सियस रहता है। 2019 में चुरू में तो तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को छू गया था।
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