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Shraddha Murder: नार्को टेस्ट में ये दवा देते ही श्रद्धा की हत्या का राज खोलेगा आफताब? जानें टेस्ट के बारे में
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Tue, 22 Nov 2022 08:41 AM IST
सार
आखिर नार्को टेस्ट होता क्या है? इसकी प्रक्रिया क्या होती है? इसमें कौन सी दवा दी जाती है, जिससे कोई भी इंसान सच बोलने लगता है? क्या इस टेस्ट में आरोपी झूठ भी बोल सकता है? नार्को टेस्ट में आफताब से कौन-कौन से सवाल पूछे जाएंगे? आइए समझते हैं...
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श्रद्धा मर्डर केस
- फोटो : अमर उजाला
दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड में अगले दो दिन में आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट हो सकता है। आफताब की पुलिस रिमांड खत्म होने वाली है, इसलिए बचे हुए समय में पुलिस कई और सबूत जुटाने की कोशिश में है। पुलिस को भरोसा है कि नार्को टेस्ट में आफताब कई राज खोल सकता है।
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नार्को टेस्ट
- फोटो : अमर उजाला
पहले नार्को टेस्ट के बारे में जान लीजिए
नार्को एक ग्रीक शब्द है। जिसका अर्थ है एनेस्थीसिया या टॉरपोर होता है। इसका उपयोग मेडिकल टर्म में किया जाता है, जो साइकोट्रोपिक दवाओं विशेष रूप से बार्बिटुरेट्स का उपयोग करता है। इसे ट्रुथ सीरम भी कहा जाता है। इसमें एक तरह की दवा दी जाती है, जिससे उसकी चैतन्यता कम होती जाती है। इसी दौरान उससे सवाल पूछा जाता है, जिसका बिना संकोच किए वह जवाब देता है। चूंकि इस दौरान वह कुछ और सोचने और समझने की हालत में नहीं होता है, इसलिए जो सच रहता है वही बोलता है।
नार्को एक ग्रीक शब्द है। जिसका अर्थ है एनेस्थीसिया या टॉरपोर होता है। इसका उपयोग मेडिकल टर्म में किया जाता है, जो साइकोट्रोपिक दवाओं विशेष रूप से बार्बिटुरेट्स का उपयोग करता है। इसे ट्रुथ सीरम भी कहा जाता है। इसमें एक तरह की दवा दी जाती है, जिससे उसकी चैतन्यता कम होती जाती है। इसी दौरान उससे सवाल पूछा जाता है, जिसका बिना संकोच किए वह जवाब देता है। चूंकि इस दौरान वह कुछ और सोचने और समझने की हालत में नहीं होता है, इसलिए जो सच रहता है वही बोलता है।
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श्रद्धा मर्डर केस
- फोटो : अमर उजाला
किस दवा को देते ही इंसान सच बोलने लगता है?
हमने इसे समझने के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक चंद्रा से बात की। उन्होंने कहा, इस टेस्ट में इंसान की नसों में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल इंजेक्ट किया जाता है। एनेस्थीसिया के जरिये जिसे ये इंजेक्शन दिया जाता है, इसके चलते शख्स की चैतन्यता कम होती जाती है। मतलब वह बेहोशी जैसी हालत में रहता है, हालांकि पूरी तरह से बेहोश नहीं रहता है। इस दौरान उसमें अलग से कुछ सोचने और समझने की क्षमता नहीं रहती है। ऐसे में जो भी सवाल पूछा जाता है, आमतौर पर वह सबकुछ सही बताता है।
हमने इसे समझने के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक चंद्रा से बात की। उन्होंने कहा, इस टेस्ट में इंसान की नसों में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल इंजेक्ट किया जाता है। एनेस्थीसिया के जरिये जिसे ये इंजेक्शन दिया जाता है, इसके चलते शख्स की चैतन्यता कम होती जाती है। मतलब वह बेहोशी जैसी हालत में रहता है, हालांकि पूरी तरह से बेहोश नहीं रहता है। इस दौरान उसमें अलग से कुछ सोचने और समझने की क्षमता नहीं रहती है। ऐसे में जो भी सवाल पूछा जाता है, आमतौर पर वह सबकुछ सही बताता है।
श्रद्धा मर्डर केस
- फोटो : अमर उजाला
डॉ. चंद्रा के अनुसार, नार्को टेस्ट के दौरान मालिक्यूलर लेवल पर व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है। नींद जैसी अवस्था में उससे वह सबकुछ कहलवाया जाता है, जिसकी जानकारी उसके पास होती है। इंजेक्शन का डोज इंसान लिंग, आयु, स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, व्यक्ति के पल्स रेट और ब्लड प्रेशर की लगातार निगरानी होती है। अगर ब्लड प्रेशर या पल्स रेट गिर जाता है तो आरोपी को अस्थाई तौर पर आक्सीजन भी दी जाती है।
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श्रद्धा मर्डर केस का आरोपी आफताब।
- फोटो : अमर उजाला
क्या नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी झूठ भी बोल सकता है?
डॉ. अभिषेक ने इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'हां, ये सौ फीसदी सिक्योर नहीं है कि नार्को टेस्ट के दौरान इंसान सच ही बोले। कई मामलों में शातिर अपराधी नार्को टेस्ट को भी धोखा दे देते हैं। निठारी कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब इस टेस्ट के जरिए पुलिस को कुछ खास नहीं मालूम चल पाया था। इसी तरह 2007 में हैदराबाद के दोहरे बम ब्लास्ट मामले के आरोपी अब्दुल करीम और इमरान से भी नार्को टेस्ट में जांच एजेंसी कुछ खास नहीं कबूल करवा पाई थी।'
उन्होंने बताया कि कई शातिर बदमाश खूब नशे में रहते हैं और इसके बावजूद वह अपनी बातों को जाहिर नहीं होने देते हैं। ऐसे में कई तरह का ट्रिक लगाकर नार्को टेस्ट को भी धोखा दे सकते हैं।
डॉ. अभिषेक ने इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'हां, ये सौ फीसदी सिक्योर नहीं है कि नार्को टेस्ट के दौरान इंसान सच ही बोले। कई मामलों में शातिर अपराधी नार्को टेस्ट को भी धोखा दे देते हैं। निठारी कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब इस टेस्ट के जरिए पुलिस को कुछ खास नहीं मालूम चल पाया था। इसी तरह 2007 में हैदराबाद के दोहरे बम ब्लास्ट मामले के आरोपी अब्दुल करीम और इमरान से भी नार्को टेस्ट में जांच एजेंसी कुछ खास नहीं कबूल करवा पाई थी।'
उन्होंने बताया कि कई शातिर बदमाश खूब नशे में रहते हैं और इसके बावजूद वह अपनी बातों को जाहिर नहीं होने देते हैं। ऐसे में कई तरह का ट्रिक लगाकर नार्को टेस्ट को भी धोखा दे सकते हैं।