Children’s Day 2025: हर साल 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे समाज को यह याद दिलाने का अवसर है कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उनकी मुस्कान, मासूमियत और सपने ही भारत की असली ताकत हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन के पीछे इतिहास, उद्देश्य और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी छिपे हैं? आइए जानते हैं बाल दिवस से जुड़ी पांच अहम बातें, जो हर भारतीय को पता होनी चाहिए। बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि बच्चों को सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि सम्मान और अवसर भी मिलने चाहिए। उनकी हंसी ही देश की सबसे बड़ी पूंजी है जिसे सहेजना हम सबका कर्तव्य है।
Children's Day 2025: बाल दिवस से जुड़ी ये पांच अहम बातें, हर बच्चे और बड़े को होनी चाहिए पता
Children’s Day 2025: जानिए बाल दिवस 2025 से जुड़ी 5 अहम बातें, इसका इतिहास, महत्व, उद्देश्य और पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति प्रेम।
बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि यह भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का दिन है। नेहरू जी बच्चों से गहरा स्नेह रखते थे और उनका मानना था कि आज के बच्चे कल के भारत के निर्माता हैं। बच्चों के प्रति उनके इस प्रेम के कारण ही उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहा जाने लगा।
पहले बाल दिवस कब मनाया गया था?
भारत में बाल दिवस की शुरुआत 1956 में 20 नवंबर को हुई थी, जब इसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित यूनिवर्सल चिल्ड्रन्स डे के रूप में मनाया जाता था। लेकिन नेहरू जी के निधन 27 मई 1964 के बाद उनकी जयंती यानी 14 नवंबर को भारत का राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया गया। तब से हर साल इस दिन को बच्चों के नाम समर्पित किया जाता है।
बाल दिवस का उद्देश्य क्या है?
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है, बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना। बाल श्रम, बाल अपराध और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना। बच्चों को स्नेह, प्यार और समान अवसर देना और उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने के लिए प्रोत्साहित करना। बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि बच्चों की हंसी, उनका खेलना-कूदना और उनका पढ़ना-लिखना ही किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार है।
देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में इस दिन बच्चों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएं, ड्रॉइंग, निबंध लेखन और विशेष क्लास गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।कई जगह शिक्षकों और माता-पिता द्वारा बच्चों को तोहफे और मिठाई दी जाती है। मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी इस दिन बच्चों के अधिकारों से जुड़े संदेश साझा किए जाते हैं।