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Lancet Study: बच्चे भी इस 'साइलेंट किलर' की चपेट में, 20 साल में दोगुना बढ़ गए मामले

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Thu, 13 Nov 2025 03:40 PM IST
सार

  • Hypertension in children: द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण के अनुसार, पिछले दो दशकों में बच्चों और किशोरों में उच्च रक्तचाप के मामले लगभग दोगुना हो गए है।
  • साल 2000 में 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में ये छह प्रतिशत से अधिक हो गया है।

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lancet study says Prevalence of high blood pressure among children doubled in the last two decades
बच्चों में बढ़ती ब्लड प्रेशर की समस्या - फोटो : Freepik.com

लाइफस्टाइल और खान-पान की गड़बड़ी के कारण हाल के वर्षों में जिन बीमारियों के मामले सबसे तेजी से बढ़े हैं, हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन उनमें से एक है। ब्लड प्रेशर बढ़ने को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता है। इससे हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थितियों का खतरा तो होता ही है, साथ ही ये ब्रेन स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, तंत्रिकाओं और आंखों को भी प्रभावित कर सकती है।



हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो काफी चिंता बढ़ाने वाले हैं।

कुछ दशकों पहले तक माना जाता था कि हाई बीपी की सिर्फ बुजुर्गों को होती है, हालांकि अब ये कम उम्र के लोगों में भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसी से सबंधित द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण के अनुसार, पिछले दो दशकों में बच्चों और किशोरों में उच्च रक्तचाप के मामले लगभग दोगुना बढ़ गए हैं। साल 2000 में बच्चों में बीपी के मामले 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में ये छह प्रतिशत से अधिक हो गए हैं।

विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है कि अगर समय रहते इस गंभीर समस्या पर ध्यान न दिया गया तो हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय रोग और किडनी के मरीजों की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ सकती है।

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कम उम्र में ब्लड प्रेशर की समस्या - फोटो : Freepik.com

बच्चों में मोटापा और ब्लड प्रेशर का खतरा

ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय सहित अन्य शोधकर्ता बताते हैं, दुनियाभर में मोटापे से ग्रस्त लगभग हर पांचवा बच्चा और किशोर उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। स्वस्थ वजन वाले बच्चों (2.4 प्रतिशत) की तुलना में ये लगभग आठ गुना अधिक है। मोटापा के साथ हाई ब्लड प्रेशर की ये समस्या और भी घातक हो सकती है। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की समस्याओं का जोखिम हो सकता है।

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ब्लड प्रेशर के हो सकते हैं गंभीर दुष्प्रभाव - फोटो : Adobe stock photos

क्यों बढ़ रहे हैं ब्लड प्रेशर के मामले?

बच्चों में बढ़ते हाई ब्लड प्रेशर के मामलों के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं? इस बारे में किए गए अध्ययन में मोटापे की स्थिति को जिम्मेदार पाया गया है। मोटापे की स्थिति अन्य समस्याओं जैसे इंसुलिन प्रतिरोध और रक्त वाहिकाओं और स्ट्रोक को भी बढ़ाने वाली हो सकती है, जिसके कारण हाल के वर्षों में मेडिकल क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव काफी बढ़ गया है।

इसके अलावा, अध्ययन में पाया गया कि दुनिया भर में आठ प्रतिशत बच्चों और किशोरों में प्री-हाइपरटेंशन हो सकता है, जो उच्च रक्तचाप का एक चेतावनी संकेत है। समय रहते इसपर ध्यान दे दिया जाए तो भविष्य की गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। 

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हाई बीपी हो सकती है खतरनाक - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अध्ययन के लेखक और एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इगोर रुडान कहते हैं, पिछले 20 वर्षों में युवा-बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के मामलों में  दोगुनी वृद्धि खतरे की घंटी है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि हम अभी कदम उठा सकते हैं। समय रहते स्क्रीनिंग और रोकथाम के प्रयासों में सुधार से बच्चों में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने और भविष्य में इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं  को कम करने में मदद मिल सकती है।

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रक्तचाप नियंत्रण करने के उपाय जरूरी - फोटो : अमर उजाला

कम उम्र से ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के उपाय जरूरी

साल 2000 और 2020 के बीच, बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले लड़कों में 3.40 प्रतिशत से बढ़कर 6.53 प्रतिशत और लड़कियों में 3.02 प्रतिशत से बढ़कर 5.82 प्रतिशत हो गए हैं। दुनियाभर में नौ प्रतिशत से ज्यादा बच्चों और किशोरों में छिपा हुआ ब्लड प्रेशर हो सकता है। ये आमतौर पर केवल अस्पतालों की जांच में ही दिखाई देता है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराएं, संतुलित आहार लें, रोजाना थोड़ी एक्सरसाइज करें और तनाव को कम करने की कोशिश करें। आहार में नमक कम करें, ताजे फल-सब्जियां ज्यादा खाएं और अच्छी नींद लें। कम उम्र से ही लाइफस्टाइल और खानपान को ठीक रखना जरूरी है।



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स्रोत
Global prevalence of hypertension among children and adolescents aged 19 years or younger: an updated systematic review and meta-analysis


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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