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विशेषज्ञ से जानिए: अगर नहीं मिली तय समय पर वैक्सीन की दूसरी डोज, तो क्या हो सकते हैं नुकसान?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला Published by: Abhilash Srivastava Updated Mon, 31 May 2021 11:43 AM IST
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कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज जरूरी - फोटो : iStock

डॉ विक्रमजीत सिंह

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डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेल मेडिसिन
आकाश हेल्थकेयर, दिल्ली
Medically Reviewed by Dr. vikramjeet Singh


कोरोना संक्रमण से बचने के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान को तेज कर दिया है। विशेषज्ञ टीकाकरण को ही कोरोना से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय मानते हैं। भारत की बात करें तो यहां अब तक 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल चुकी है। इस बीच देश में टीकों की कमी के मामले भी सामने आ रहे हैं, जिससे वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंका है। जिन लोगों को वैक्सीन की एक डोज मिल चुकी है, वह दूसरी डोज के इंतजार में हैं। हाल ही में सरकार ने दोनों डोज के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है। टीकाकरण को लेकर तमाम खबरों के बीच लोगों के मन में सवाल है कि अगर दूसरी डोज के लिए भी देश में वैक्सीन की कमी रहती है और तय समय पर उन्हें खुराक नहीं मिल पाती है तो इसका शरीर पर क्या असर हो सकता है? दूसरी डोज को तय समय से और कितने दिनों तक आगे बढ़ाया जा सकता है?

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दोनों डोज के बीच में अंतराल - फोटो : iStock

दोनों डोज में 12-14 सप्ताह का अंतराल
अमर उजाला ने इस बारे में जानने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेल मेडिसिन के डॉ विक्रमजीत सिंह से बातचीत की। डॉ विक्रमजीत बताते हैं कि दुनियाभर के तमाम स्वास्थ्य संगठन पहली और दूसरी डोज में अंतराल रखने की सलाह देते हैं। पहले यह अंतराल 4-6 हफ्ते था जिसे बाद में बढ़ाकर 6-8 हफ्ते और अब 12-14 हफ्ते का कर दिया गया है। वैक्सीन की दोनों डोज में 12-14 हफ्ते हफ्ते का अंतराल रखने से इसकी प्रभाविकता 90 फीसदी से ऊपर की पाई गई है। 

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कोरोना वायरस वैक्सीनेशन (फाइल फोटो) - फोटो : iStock
तय समय पर दूसरी खुराक न मिलने के प्रभाव
डॉ विक्रमजीत सिंह बताते हैं कि यदि किसी को किन्हीं कारणों से तय समय पर दूसरी खुराक नहीं मिल पाती है तो इससे घबराना नहीं चाहिए। आप कुछ दिनों बाद भी टीकाकरण करा सकते हैं। हां, यह ध्यान रखें कि दूसरी खुराक के तय समय से बहुत ज्यादा देर न हो। ऐसी स्थिति में पहली डोज के बाद बनी इम्यूनिटी कमजोर पड़ सकती है और शरीर में एंटीबॉडीज को ज्यादा बूस्ट नहीं मिल पाएगा।
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16 हफ्तों से ज्यादा न बढ़ाएं दूसरी डोज - फोटो : iStock
दूसरी खुराक के तय समय को कितना और बढ़ाया जा सकता है?
इस सवाल के जवाब में डॉ विक्रमजीत सिंह बताते हैं कि वैक्सीन की दोनों खुराक के बीच का अंतराल 16 हफ्तों से अधिक का नहीं होना चाहिए। दूसरी डोज को बूस्टर डोज माना जाता है, इसलिए इसे लगवाना बेहद जरूरी है। इससे शरीर में पहले से बनीं एंटीबॉडीज को ज्यादा शक्ति मिल पाती है। दूसरी डोज लग जाने के बाद व्यक्ति को वायरस के खिलाफ 90 फीसदी तक सुरक्षित माना जा सकता है।
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कोरोना की बूस्टर डोज बेहद जरूरी - फोटो : Social media
क्या दोनों खुराक में अलग-अलग वैक्सीन ले सकते हैं?
डॉ विक्रमजीत बताते हैं कि भारत में बनी दोनों वैक्सीन- कोवैक्सीन और कोविशील्ड की कार्यप्रणाली अलग-अलग है, इसलिए दोनों डोज में अलग-अलग वैक्सीन लेने से इसकी प्रभाविकता कम हो सकती है। दोनों डोज में वैक्सीन अलग-अलग होने से आपको वैक्सीन का बूस्टर डोज नहीं मिल पाता है। कोविशील्ड वैक्सीन को वायरस के प्रोटीन स्पाइक के आधार पर तैयार किया गया है वहीं कोवैक्सीन की डोज में कोविड के निष्क्रिय वायरस को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। ऐसे में अगर दोनों डोज में अलग-अलग वैक्सीन दी जाएं तो शरीर को वैक्सीन का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
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नोट: यह लेख  दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर में डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेल मेडिसिन के डॉ विक्रमजीत सिंह से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। डॉ विक्रमजीत को इंटरनेल मेडिसिन के क्षेत्र में 17 वर्षों का अनुभव है। इसके अलावा थायराइड, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, डेंगू और अन्य के रोगियों में महारथ हासिल है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें तथा किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें। 
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