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MonkeyPox: संक्रमण के नए लक्षणों को लेकर अलर्ट, जानिए भारत में सामने आया A.2 स्ट्रेन कितना खतरनाक?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 09 Aug 2022 02:43 PM IST
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मंकीपाॅक्स संक्रमण को लेकर अलर्ट - फोटो : istock
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देश में इन दिनों कोरोना संक्रमण के साथ मंकीपॉक्स का भी कहर जारी है। भारत के सहित 85 से अधिक देशों में भी मंकीपॉक्स के संक्रमण को लेकर डर की स्थिति देखी जा रही है। 27, 600 से अधिक लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां अब तक 9 लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया है, इसमें से केरल के 5 और दिल्ली के 4 रोगी शामिल हैं। हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स के बढ़ते संकट को देखते हुए वायरस को लेकर 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है। विशेषज्ञों ने सभी लोगों को लगातार इस संक्रमण को लेकर सावधानी बरतते रहने की अपील की है।

इस बीच हालिया रिपोर्ट में देश में मंकीपॉक्स के A.2 स्ट्रेन के पाए जाने की खबर है। इसके अलावा अध्ययनकर्ताओं की एक टीम ने मंकीपॉक्स संक्रमण से संबंधित दो नए लक्षणों को लेकर भी लोगों के सचेत किया है।

वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स संक्रमण की स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर देशों में वायरस का B.1 स्ट्रेन लोगों की मुसीबतें बढ़ा रहा है। आइए जानते हैं कि भारत में पाया गया मंकीपॉक्स का यह स्ट्रेन कितना गंभीर हो सकता है? साथ ही सामने आए नए लक्षणों के आधार पर किस प्रकार से संक्रमण की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है?
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मंकीपॉक्स को लेकर अध्ययन - फोटो : ANI
अध्ययन में दो नए लक्षणों की पुष्टि

मंकीपॉक्स संक्रमण की गंभीरता और इसकी स्थिति को जानने के लिए किए जा रहे अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इससे संबंधित दो नए लक्षणों का पता लगाया है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यूके स्थित 197 मंकीपॉक्स रोगियों के डेटा की जांच की गई। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि मंकीपॉक्स के पिछले स्ट्रेन्स के विपरीत, वर्तमान स्ट्रेन का प्रकोप रोग के सामान्य लक्षणों के अलावा कुछ नए प्रकार की समस्याओं का भी कारण बन रहा है, जिसको लेकर लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

अध्ययन में शामिल 71 रोगियों ने मलाशय में दर्द, गले में खराश, पेनाइल एडिमा, मुंह में छाले और टॉन्सिल की दिक्कतों के बारे में बताया। आइए उन दो नए लक्षणों के बारे में जानते हैं जिनको लेकर विशेष सभी को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
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संक्रमण में त्वचा पर घाव की स्थिति - फोटो : pixabay
त्वचा पर घाव जैसी स्थिति

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि मंकीपॉक्स के इस प्रकोप में नए वैरिएंट्स के कारण जो नए लक्षण देखे जा रहे हैं, उनमें त्वचा पर नजर आने वाली घाव की समस्या भी शामिल, इसे मेडिकल की भाषा में 'सालेटरी लेसंस' के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर इस तरह के घार छोटे आकार के होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन घावों के निदान को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि यह त्वचा की  अन्य समस्याओं की तरह ही दिखाई देते हैं। 
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संक्रमितों में टॉन्सिल की समस्या - फोटो : istock
टॉन्सिल की समस्या

मंकीपॉक्स के कुछ संक्रमितों ने गले में टॉन्सिल बढ़ने की दिक्कत को लेकर भी सूचित किया है। इससे पहले के वैरिएंट्स में इस तरह के लक्षण नहीं देखे जा रहे थे। टॉन्सिल के साथ गले में सूजन की भी दिक्कत हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी रोगी में त्वचा पर छोटे-छोटे घावों के साथ टॉन्सिल की दिक्कत हो रही है तो उसका मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए जांच अवश्यरूप से किया जाना चाहिए। शुरुआती स्थिति में बीमारी का पता लगाकर इसे गंभीर रूप लेने से रोका जा सकता है। 
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मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय जरूरी - फोटो : istock
कितना गंभीर है भारत में देखा गया मंकीपॉक्स का A.2 स्ट्रेन

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प्रज्ञा यादव एक रिपोर्ट में देश में मंकीपॉक्स का A.2 स्ट्रेन के पाए जाने की पुष्टि की है, गौरतलब है कि यही स्ट्रेन पिछले साल अमेरिका में भी पाया जा चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह से पिछले वर्षों में इस स्ट्रेन की प्रकृति देखी गई है, ऐसे में कहा जा सकता है कि यह  ज्यादा गंभीर समस्याओं का कारण नहीं बनता है।

यह लोगों की प्रतिरक्षा के साथ किस प्रकार से प्रतिक्रिया करता है इसको लेकर शोध जारी है। फिलहाल किसी भी तरह से इन नए वैरिएंट्स को हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए। मंकीपॉक्स के अभी देश में कम केस हैं, अगर अभी से बचाव के तरीकों को सख्त कर दिया जाए तो इसे फैलने से रोका जा सकता है।

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स्रोत और संदर्भ
symptoms of monkeypox

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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