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Yellow Fever: मानसून में बढ़ जाता है येलो फीवर का खतरा, जान लें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Tue, 08 Jul 2025 04:14 PM IST
सार

Yellow Fever Prevention: येलो फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो फ्लैविवायरस के कारण होती है और मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है। अगर समय पर इसका इलाज न हो, तो यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए आइए येलो फीवर के लक्षणों, खतरों और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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risk of yellow fever increases during monsoon know its symptoms and prevention
बुखार - फोटो : Adobe Stock
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Yellow Fever Symptoms: येलो फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है जो फ्लैविवायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है, ये वही मच्छर होते हैं जिनके काटने से डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोग होते हैं। यह बीमारी वैसे तो खासकर अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में ज्यादा आम है, लेकिन भारत में भी मानसून के दौरान मच्छरों की बढ़ती संख्या के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है।

मानसून की नमी और जगह-जगह पानी जमा होने से मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ती है, जिससे येलो फीवर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इस बीमारी में शुरुआती लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन अगर समय रहते इसका सही इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है, जिससे गुर्दे और लिवर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए आइए येलो फीवर के लक्षणों, खतरों और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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मच्छर - फोटो : Freepik.com
येलो फीवर के लक्षण
येलो फीवर के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 3-6 दिनों के भीतर दिखाई दे सकता है। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मचलना और उल्टी शामिल हैं। कुछ मामलों में, यह हल्के लक्षणों के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में यह दूसरा चरण शुरू हो सकता है। इसमें पीलिया (जॉन्डिस), पेट दर्द, काला मल, खून की उल्टी और किडनी या लिवर फेलियर जैसी लक्षण दिख सकते हैं।

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डेंगू-मलेरिया का खतरा - फोटो : Freepik.com
मानसून में बढ़ता खतरा
मानसून में बारिश के कारण जलभराव और नमी होता है, जो मच्छरों के लिए अनुकूल होता है। एडीज मच्छर सामान्य तौर पर दिन में सक्रिय होता है और साफ, रुके हुए पानी में प्रजनन करता है। भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खराब स्वच्छता और जल निकासी की कमी इस खतरे को और बढ़ाती है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बच्चे और बुजुर्ग इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। 

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बुखार - फोटो : Adobe Stock
बचाव के उपाय
येलो फीवर से बचाव के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है टीकाकरण, क्योंकि येलो फीवर का टीका एक खुराक में 99% तक सुरक्षा प्रदान करता है और 10 साल तक प्रभावी रहता है। इसके अलावा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, इससे एडीज मच्छर के होने की आशंका कम हो जाती है। मच्छर भगाने वाली क्रीम, मच्छरदानी का उपयोग करें और फुल-स्लीव कपड़े पहनें, साथ ही घर में मच्छररोधी स्प्रे या कॉइल का उपयोग करें। 
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डेंगू बुखार - फोटो : Freepik.com
उपचार और सलाह
येलो फीवर का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है, इसके इलाज में लक्षणों को कम करने वाले तरीकों को प्रयोग में लाया जाता है, जैसे बुखार के लिए दवाएं, हाइड्रेशन और आराम। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और ब्लड टेस्ट कराएं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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