Yellow Fever Symptoms: येलो फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है जो फ्लैविवायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है, ये वही मच्छर होते हैं जिनके काटने से डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोग होते हैं। यह बीमारी वैसे तो खासकर अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में ज्यादा आम है, लेकिन भारत में भी मानसून के दौरान मच्छरों की बढ़ती संख्या के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है।
Yellow Fever: मानसून में बढ़ जाता है येलो फीवर का खतरा, जान लें इसके लक्षण और बचाव के तरीके
Yellow Fever Prevention: येलो फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो फ्लैविवायरस के कारण होती है और मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है। अगर समय पर इसका इलाज न हो, तो यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए आइए येलो फीवर के लक्षणों, खतरों और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
येलो फीवर के लक्षण
येलो फीवर के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 3-6 दिनों के भीतर दिखाई दे सकता है। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मचलना और उल्टी शामिल हैं। कुछ मामलों में, यह हल्के लक्षणों के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में यह दूसरा चरण शुरू हो सकता है। इसमें पीलिया (जॉन्डिस), पेट दर्द, काला मल, खून की उल्टी और किडनी या लिवर फेलियर जैसी लक्षण दिख सकते हैं।
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मानसून में बढ़ता खतरा
मानसून में बारिश के कारण जलभराव और नमी होता है, जो मच्छरों के लिए अनुकूल होता है। एडीज मच्छर सामान्य तौर पर दिन में सक्रिय होता है और साफ, रुके हुए पानी में प्रजनन करता है। भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खराब स्वच्छता और जल निकासी की कमी इस खतरे को और बढ़ाती है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बच्चे और बुजुर्ग इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
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बचाव के उपाय
येलो फीवर से बचाव के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है टीकाकरण, क्योंकि येलो फीवर का टीका एक खुराक में 99% तक सुरक्षा प्रदान करता है और 10 साल तक प्रभावी रहता है। इसके अलावा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, इससे एडीज मच्छर के होने की आशंका कम हो जाती है। मच्छर भगाने वाली क्रीम, मच्छरदानी का उपयोग करें और फुल-स्लीव कपड़े पहनें, साथ ही घर में मच्छररोधी स्प्रे या कॉइल का उपयोग करें।
येलो फीवर का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है, इसके इलाज में लक्षणों को कम करने वाले तरीकों को प्रयोग में लाया जाता है, जैसे बुखार के लिए दवाएं, हाइड्रेशन और आराम। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और ब्लड टेस्ट कराएं।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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