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World Alzheimer's Day 2023: अकेलापन-लोगों से कम मेल जोल बढ़ा सकता है अल्जाइमर का खतरा, कैसे रहें इससे सुरक्षित
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Thu, 21 Sep 2023 12:30 PM IST
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अकेलेपन के कारण होने वाली समस्याएं
- फोटो : iStock
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अल्जाइमर, मस्तिष्क से संबंधित रोग है, जिसका खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है। डॉक्टर्स बताते हैं, 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में अल्जाइमर रोग होने का जोखिम अधिक रहता है, वैश्विक स्तर पर 5 करोड़ से अधिक लोग इस गंभीर समस्या के शिकार हैं। इससे बचाव के लिए युवावस्था से ही सभी लोगों को प्रयास करते रहना चाहिए। अल्जाइमर रोग के लक्षण, कारण और बचाव के बारे में जानना और प्रयास करते रहना आपको भविष्य में इस समस्या से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ते अल्जाइमर रोग को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम को लेकर प्रयासों के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।
अध्ययनकर्ता बताते हैं, आनुवांशिकी के साथ लाइफस्टाइल में गड़बड़ी, धूम्रपान-शराब जैसी आदतों के कारण इस रोग का खतरा बढ़ा है। कुछ शोध बताते हैं, अगर आप अकेलेपन के शिकार हैं या फिर आपका सामाजिक मेल जोल कम है तो ये स्थिति भी भविष्य में इस रोग के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। आइए जानते हैं कि लोनलीनेस किस प्रकार से मस्तिष्क की सेहत के लिए खतरनाक है और अल्जाइमर से कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है?
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वर्ल्ड अल्जाइमर डे 2023
- फोटो : istock
अकेलापन और अल्जाइमर रोग का खतरा
अकेलापन महसूस करना संज्ञानात्मक गिरावट और अल्जाइमर रोग के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में अकेलेपन और उसके कारण मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों के बारे में बताया गया है।
शोधकर्ताओं ने इसके लिए लगभग 2,300 लोगों को शामिल किया। 10 वर्षों तक किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों को अकेलेपन की समस्या थी उनमें से 22% में अल्जाइमर-डिमेंशिया का निदान किया गया। 60 से 79 वर्ष की आयु वालों में अकेलेपन के कारण इस रोग का खतरा तीन गुना अधिक देखा गया।
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अल्जाइमर में भूलने की बीमारी
- फोटो : Pixabay
क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?
अध्ययनकर्ता कहते हैं, अकेलापन एक व्यक्तिपरक भावना है, ये अपने आप में नैदानिक बीमारी तो नहीं है, लेकिन इसके कारण कई प्रकार के नकारात्मक स्वास्थ्य जोखिम जरूर देखे जाते रहे हैं। लोगों से कम मेल-जोल, रिश्तों में गड़बड़ी के कारण होने वाला अकेलापन समय के साथ मस्तिष्क के लिए समस्याकारक हो सकता है, जिससे अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
मनोचिकित्सा-फार्माकोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के प्रोफेसर और शोधकर्ता वेंडी किउ कहते हैं, इंसानी प्रकृति अकेले रहने वाली नहीं है, इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ता देखा गया है। अल्जाइमर रोग से बचाव के लिए सभी लोगों को प्रयास करते रहना चाहिए।
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अल्जाइमर मस्तिष्क की समस्या
- फोटो : Pearvideo.com
बनाएं मजबूत रिश्ते
अध्ययनों से संकेत मिलता है कि मजबूत सामाजिक संबंध बनाए रखने, अच्छी दोस्ती वाले लोगों में उम्र बढ़ने के साथ मानसिक स्वास्थ्य के ठीक रखने की संभावना अधिक होती है। ये संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के जोखिमों को भी कम करने में मददगार है। विशेषज्ञ कहते हैं, अच्छे रिश्ते और सामाजिक संबंध, मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संबंधों को ठीक रखते हैं और डिमेंशिया जैसे रोगों के जोखिमों को कम करने में भी सहायक हो सकते हैं।
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अल्जाइमर रोग की रोकथाम के लिए करें प्रयास
- फोटो : iStock
लाइफस्टाइल को रखिए ठीक
हार्वर्ड विशेषज्ञ कहते हैं, अल्जाइमर-डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए लाइफस्टाइल को ठीक रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ आहार, अच्छी नींद, रोजाना व्यायाम की आदत न सिर्फ इन रोगों के खतरे को कम करती है साथ ही यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करते हैं उनमें अल्जाइमर जैसे बीमारियों का खतरा कम होता है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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