शारदीय नवरात्रि के अंतर्गत जगह जगह गरबा या डांडिया के आयोजन जारी हैं। पूरे नौ दिनों तक उत्साह से भरपूर माहौल में हर उम्र और वर्ग के लोग गरबे के जरिए मां की आराधना का यह पर्व मना रहे हैं। केवल भारत में ही नहीं, दुनियाभर में कई जगह इस समय डांडिया का आयोजन अलग अलग तरह से किया जा रहा है। धूमधाम, उल्लास, रौशनी और संगीत से जुड़े गरबे आकर्षण का केंद्र होते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि नृत्य का यह खूबसूरत प्रकार आपको कई बहुत गहरे और सटीक जीवन मंत्र भी देता है?
नौ दिनों तक सुंदर परिधानों और गहनों से सुसज्जित होकर, अपने मित्रों या परिजनों के साथ गरबे और संगीत का आनंद लेने से कहीं ज्यादा हैं गरबों के फायदे। गरबे करते समय शायद कभी आपने इनके फायदों के बारे में गहराई से न सोचा हो लेकिन असल में नृत्य का यह स्वरूप जीवन को बहुत सकारात्मकता दे सकता है। इनसे आप स्वास्थ्य से लेकर मन की शांति और सफलता तक का जज्बा सीख सकते हैं। जानिए कैसे गरबे की इन 4 बातों से आप सीख सकते हैं जीवन को और भी सफल और आनंदमय बनाने का तरीका।
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एक्सरसाइज का एक तरीका
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फिटनेस और स्वास्थ्य का फायदा
केवल नौ दिनों तक गरबा खेलना ही नहीं इसके पहले की जाने वाली निरंतर प्रैक्टिस भी आपको फायदा देती है। मात्र 15 मिनिट मध्यम लय में गरबा करने पर आप 100-150 कैलोरीज़ तक जला सकते हैं। यदि आप थोड़ी तेज ताल पर आधा घंटे भी गरबे करते हैं तो 500-700 कैलोरीज़ तक यह काउंट पहुँच सकता है। यह गरबा करने की स्पीड पर भी तय करता है लेकिन गरबा करने से आपको ब्रिस्क वॉक से कहीं अधिक फायदा मिल सकता है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इसका फायदा एक साथ पूरे शरीर को मिलता है। आजकल तो कई लोग बकायदा वेट लॉस के लिए भी गरबे करने का विकल्प चुनते हैं। ये फायदा आपको नवरात्रि के बाद भी मिल सकता है अगर गरबे को फिटनेस रूटीन के रूप में अपनाते हैं तो। और अच्छे रिजल्ट के लिए गरबे के साथ एरोबिक्स और ज़ुम्बा को भी शामिल किया जा सकता है।
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दिमाग के लिए थैरेपी है संगीत
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मेडिटेशन का फायदा
शोध यह साबित कर चुके हैं कि संगीत एक ऐसी गतिविधि है जिसमें पूरा ब्रेन भाग लेता है। मतलब बाकी गतिविधियों में जहाँ दिमाग का कोई हिस्सा भाग लेता है, संगीत के साथ पूरा दिमाग एकरूप होकर जुड़ जाता है। इतना ही नहीं संगीत याददाश्त से जुड़े दिमाग के विभिन्न हिस्सों को भी जागृत कर डालता है और संगीत के साथ मोटर सिस्टम भी सक्रिय हो जाता है। यह मोटर सिस्टम ही हमें ताल और लय के साथ नाचने की ओर भी आगे बढ़ाता है। इसी वजह से बकायदा संगीत को एक थैरेपी की तरह प्रयोग में लाया जा रहा है। इसलिए ही जब आप गरबा करते हैं तो संगीत की धुन से आपके पैरों के साथ साथ दिमाग को भी ऊर्जा मिलती है और आप ख़ुशी महसूस करते हैं। ख़ुशी की यह अनुभूति आपको सकारात्मक विचारों से भरती है। ऊपर से गरबे के जोश और उत्साह से भरे तेज बीट पर बजते गीत आपके उत्साह और ख़ुशी को और बढ़ा देते हैं। ठीक ऐसा ही असर मेडिटेशन से भी मिल सकता है।
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साथ मिलकर कदम बढ़ाना सिखाता है डांडिया
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टीम वर्क का फायदा
गरबे या डांडिया टीम वर्क का सबसे शानदार उदाहरण हैं। एक जैसे उत्साह और अनुशासन के साथ हाथों और पैरों का लय पर चलना। एक ऐसी एक्टिविटी जिसमें वाद्ययंत्रों, गायकों और नर्तकों सबकी मेहनत मिलकर परिणाम देती है। नौ दिनों तक लगातार इस अनुशासन के साथ गरबे करने के बाद एक सोच विकसित होती है जो आगे जाकर आपके जीवन और करियर में भी टीम के तौर पर काम करने में मदद कर सकती है। इस दौरान आप जिम्मेदारियों को संभालने, आगे बढ़कर टीम को लीड करने और मिलकर किसी काम को सफलता के अंजाम तक पहुंचाने जैसी चीजें सीखते और करते हैं।
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मिलकर खुशियां मनाने का अवसर
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लोगों से जुड़ने का अवसर
भारतीय त्यौहारों का असली स्वरूप ही है आपसी मेलजोल। लेकिन हमारे जीवन में हुई वर्चुअल वर्ल्ड की एंट्री ने इसपर भी बुरा असर डाला है। ऊपर से कोरोना महामारी के आने के बाद तो घरों में बंद रहना मजबूरी ही हो गई थी। कोरोना के दौरान जिस चीज को लोगों ने सबसे ज्यादा मिस किया वह यही है। एक-दूसरे से मिलना-जुलना, खुशियां बांटना और गप्पें मारना, गरबे इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं। इस अवसर पर मित्र, रिश्तेदार, परिवार सभी एकजुट हो उत्सव मनाते हैं। खासतौर पर वर्तमान स्थितियों में जब हमारा ज्यादातर समय मोबाइल, ;लैपटॉप और टैबलेट या कम्प्यूटर की स्क्रीन पर गुजरता है, गरबे के बहाने हमें अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका भी मिलता है और साथ मिलकर त्यौहार का आनंद उठाने का भी। नौ दिनों का यह उत्सव नए दोस्त बनाने से लेकर लोगों को जानने-समझने का मौका भी देता है।