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Damoh Fake Doctor Case: फर्जी डॉक्टर के इलाज से दम तोड़ने वालों के परिजनों ने सुनाई व्यथा, भरा है गुस्सा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 09 Apr 2025 01:06 PM IST
सार

दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर के इलाज से सात मौतों पर जांच जारी है। पीड़ितों ने लापरवाही और धोखाधड़ी के आरोप लगाए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने बयान दर्ज किए। अस्पताल संचालक अजय लाल पर पुराने गंभीर आरोप हैं और कांग्रेस फिर केस दर्ज करने की मांग कर रही है।

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Damoh Fake Doctor: The families of those who died due to treatment by the fake doctor narrated their ordeal, n
दमोह में पीड़ितों के परिजनों ने सुनाई व्यथा - फोटो : अमर उजाला
देश में दमोह को सुर्खियों में लाने वाले फर्जी डॉक्टर और मिशन अस्पताल में सात लोगों की मौत के मामले में जांच जारी है। फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव को लेकर भी नए-नए खुलासे हो रहे हैं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने यहां आकर पीड़ितों के बयान भी दर्ज कर लिए हैं। हालांकि टीम कुछ भी बताने से परहेज कर ही है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में ही मामले की जानकारी साझा की जाएगी।


बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के ट्वीट के बाद मामला अचानक तूल पकड़ गया था। सात लोगों की मौत की खबर ने सबकों चौंका दिया था। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने पीड़ियों के बयान ले लिए हैं, उनकी बातों में अपनों को खोने का गम तो है ही साथ ही फर्जी डॉक्टर के खिलाफ गुस्सा भी है। हम आपको बताते हैं कि पीड़ितों की ओर से क्या कहा गया।  

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मृतक मंगल सिंह और उनके बेटे जितेंद्र सिंह - फोटो : अमर उजाला
ऑपरेशन के थोड़ी देर बाद पिता चल बसे
जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि हम अपने पिता को लेकर मिशन अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टर का कहना था कि इनके हार्ट का ऑपरेशन होना है। आप कुछ पैसों का इंतजाम कर लीजिए। फिर पूछा इनका आयुष्मान कार्ड है, तो हमने कहां है। हमें आयुष्मान कार्ड लाने भेजा फिर पिताजी का ऑपरेशन करने ले गए। ऑपरेशन के बाद पिता से बात हुई थी, पर थोड़ी देर के बाद उनकी मौत हो गई। उन्हें एक दिन के लिए भर्ती किया गया था। उनको सीने में दर्द की तकलीफ थी। कोई एन. जॉन कैम नाम के डॉक्टर थे, जिन्होंने इलाज किया था। 


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मृतक रहीशा बेगम और उनके बेटे नवी कुरैशी - फोटो : अमर उजाला
लापरवाही तो हुई है
रेशमा बेगम के मामले में बेटे नवी कुरैशी ने बताया कि हमारी मां की तबीयत खराब हो गई थी। सरकारी अस्पताल ले गए थे। वहां से उन्होंने रेफर कर दिया तो मिशन अस्पताल लेकर गए। वहां जो ड्यूटी डॉक्टर थे, उन्होंने कहा कि आप 50 हजार रुपये जमा करें। फिर हमने उन्हें डिस्चार्ज करा लिया। प्राइवेट अस्पताल में चेक कराया, ईको वगैरह तो वहां बताया गया कि दो नसें ब्लॉक हो गईं, एक 92% तो दूसरी 80% तक। हमने जब ईको की जांच मांगी तो उन्होंने जांच नहीं दी। दो दिन चक्कर लगवाए। फिर हमने मैनेजर से बात की तो उन्होंने डॉक्टर से इस विषय़ में बात की। हम डॉक्टर से मिले तो उन्होंने कहा कि ब्लॉकेज हैं और ऑपरेशन हो जाएगा। उन्होंने ऑपरेशन किया, पर इस दौरान हमारी मां की मौत हो गई। नवी कुरैशी ने बताया कि मां को पहले भी अटैक आया था एक साल पहले, पर वो इलाज से ठीक हो गई थीं। उनका मानना है कि मिशन अस्पताल में लापरवाही तो हुई है। मेरी मां की उम्र तकरीबन 63 साल थी। हार्टअटैक से मौत होना बताया गया था तो हमने पोस्टमार्टम भी नहीं कराया। हमें तो अभी पता चला है कि डॉक्टर फर्जी है। 

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पीड़ित आशाराम पटेल और उनके पोते कृष्णा पटेल - फोटो : अमर उजाला
पीड़ित कृष्णा पटेल ने क्या बताया ?
कृष्णा पटेल ने पहली शिकायत बाल कल्याण आयोग अध्यक्ष दीपक तिवारी से की थी। पीड़ित कृष्णा पटेल ने बताया कि उनके रिश्तेदार को  डॉक्टर ने बिना टेस्ट के ही हार्ट में ब्लॉकेज बता दिए थे। तब उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि एंजियोग्राफी के उपरांत ही हार्ट के ब्लाकेज का पता चलता है। इस पर उनसे डॉक्टर ने पढ़ाई के बारे में पूछा था। हालांकि बाद में उनके रिश्तेदार की  एंजियोग्राफी हुई थी। हालांकि उसके विजुअल फुटेज  मांगने पर उनको डांटा गया था। बाद में उन्होंने अपने रिश्तेदार को डिस्चार्ज करा लिया था।



पहले भी चर्चा में आया मिशन अस्पताल 
ऐसा पहली बार नहीं है कि दमोह शहर के राय चौराहे पर स्थित मिशन अस्पताल सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी यह कई बार चर्चा में रहा है। अस्पताल के संचालक अजय लाल पर मानव तस्करी और धर्म परिवर्तन कराने जैसे गंभीर आरोप में केस दर्ज हो चुका है। फिलहाल, डॉक्टर अजय लाल कोर्ट से जमानत पर चल रहे हैं। सात मरीजों की मौतों के मामले में कांग्रेस उन पर भी केस दर्ज करने की मांग सरकार से कर चुकी है। अगर, ऐसा होता है तो अजय लाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं।
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