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Indore News: चंपत राय को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार, भागवत ने बताई राम मंदिर आंदोलन शुरू करने की वजह

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: दिनेश शर्मा Updated Mon, 13 Jan 2025 08:36 PM IST
सार

इंदौर में सोमवार को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार श्री रामभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया।

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Indore: Bhagwat said- Ram Mandir movement was not started to oppose anyone, but to awaken India's self
इंदौर में देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में मौजूद भागवत - फोटो : अमर उजाला
इंदौर में सोमवार को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार श्री रामभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया।


इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत का स्व राम कृष्ण शिव है। शिव देश के कण-कण में है। कोई किसी भी पूजा पद्धति को माने लेकिन स्व सभी पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि रामजन्भूमि आंदोलन नहीं यज्ञ है। कुछ शक्तियां राम मंदिर नहीं बनने देना चाहती थी, इसलिए संघर्ष लंबा चला। जन्मभूमि का आंदोलन चलता था तो विद्यार्थी पूछते थे कि रोजी रोटी के बजाए ये मंदिर क्यों लगा रखा है। तब मैं उनसे कहता था कि यह आंदोलन भारत के स्व की जागृति के लिए है। अब वही हो रहा है। 

 
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Indore: Bhagwat said- Ram Mandir movement was not started to oppose anyone, but to awaken India's self
चंपत राय को दिया गया देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार - फोटो : अमर उजाला
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं, "हमारी 5000 साल पुरानी परंपरा क्या है? जो भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई। वो हमारी अपनी है। हमारे अपने जागरण के लिए एक आंदोलन था। बैठकों में, कॉलेज के छात्र सवाल पूछते थे कि आपने लोगों की आजीविका की चिंता छोड़कर मंदिर क्यों बनाए। किसी ने उन्हें यह पूछने के लिए कहा होगा। तो मैं उन्हें बताता था कि यह 80 का दशक है, हमें 1947 में आजादी मिली, इजरायल और जापान ने हमसे शुरुआत की और वे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचे। हम हर समय लोगों की आजीविका के बारे में चिंता करते थे। हमने समाजवाद की बात की और सारे नारे दिए लेकिन क्या इससे मदद मिली?... भारत की आजीविका का रास्ता भी श्री राम मंदिर से होकर जाता है। इसे ध्यान में रखें। तो यह पूरा आंदोलन भारत के आत्म जागरण के लिए था।" 

1992 के बाद लोग बोलते थे मंदिर वही बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे। पिछले वर्ष मंदिर की प्रतिष्ठा हुई। कोई झगड़ा नहीं हुआ। कोई कलह सामने नहीं आया। उन्होंने कहा कि अहिल्या ने अपना राज्य राम राज्य की तरह चलाया। प्रतिष्ठा द्वादशी 11 जनवरी को मनाई गई। अयोध्या में मंदिर बन गया। अब मन में बनना चाहिए।

चंपत राय ने कहा कि अयोध्या, मथुरा, काशी के देव स्थानों को मुक्त करने का समय आ गया है। यह बात कांग्रेस सांसद दाऊ दयाल ने सबसे पहले 1983 में एक आयोजन में उठाई थी। फिर धीरे धीरे यह आंदोलन के स्वरूप में आ गया। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि के लिए 75 लड़ाइयां लड़ी गईं। यह पुरस्कार उन सभी को समर्पित है।
 
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Indore: Bhagwat said- Ram Mandir movement was not started to oppose anyone, but to awaken India's self
इंदौर में देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में मौजूद भागवत - फोटो : अमर उजाला
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि पहले देवी अहिल्या का उत्सव सादगी से मनाया जाता था, लेकिन वर्ष 1995 के बाद अहिल्या मां की कीर्ति के अनुसार समारोह का स्वरूप बढ़ता गया। सालभर कुछ न कुछ आयोजन होते हैं। अतिथियों का स्वागत अशोक डागा, राम मूंदड़ा, सरयू वाघमारे, सुधीर दांडेकर, सुनील धर्माधिकारी, नीलेश केदार ने किया। संचालन नितिन माहेश्वरी ने किया।  

कौन हैं चंपत राय
चंपत राय विहिप नेता और श्री राम भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव है। वे लंबे समय से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। राय उत्तरप्रदेश के बिजनौर के निवासी हैं। उन्हें सोमवार को देवी अहिल्या पुरस्कार दिया गया।
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