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MP Election 2023: नए चेहरों को ज्यादा पसंद करते हैं मतदाता, भाजपा-कांग्रेस आजमाते रहे हैं यह दांव

Kamlesh Sen कमलेश सेन
Updated Wed, 04 Oct 2023 12:43 PM IST
सार

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में भी पिछले तीन चुनावों में पहला और दूसरा चुनाव लड़ने वाले ज्यादातर नेता जीतते रहे हैं। गुजरात में नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारना भाजपा के पक्ष में रहा है। जानिये क्या कहता है मध्य प्रदेश का चुनावी इतिहास...

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MP Election 2023: How Voters React To New Candidates From Political Parties All You Need To Know
ग्राफिक्स - फोटो : अमर उजाला

ब्रिटिश सरकार के आर्थिक सलाहकार और अर्थशास्त्री सर थामस ग्रेशम ने मुद्रा को लेकर एक सिद्धांत करीब 500 वर्ष पूर्व प्रतिपादित किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि पुरानी मुद्रा को नई मुद्रा चलन से बाहर कर देती है। यह सिद्धांत सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में भी लागू होता है। जब घर में नई बहू आती है तो नए आगंतुक की पूछ-परख अधिक ही होती है। इसी तरह चुनावी मैदान में भी नए चेहरों को मतदाता काफी पसंद करते हैं। 



चुनावों में भी मुद्रा का उक्त नियम मतदाताओं ने अपना लिया है। चुनावों में किसी भी पार्टी के नए उम्मीदवारों को ज्यादा पसंद किया जाता है। गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने नए चेहरों पर विश्वास जताया और मतदाताओं ने उस पर मुहर लगा दी।
 

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MP Election 2023: How Voters React To New Candidates From Political Parties All You Need To Know
ग्राफिक्स - फोटो : अमर उजाला

मतदाताओं की पहली पसंद नए उम्मीदवार
मध्य प्रदेश की बात करें तो पिछले तीन विधानसभा चुनावों के परिणामों में साफ दिखता है कि प्रदेश के मतदाताओं की पहली पसंद पुराने नेताओं के बजाय एक या दो चुनाव लड़े नेता ही होते हैं। 2008, 2013 एवं 2018 के विजयी उम्मीदवारों का विश्लेषण देखें तो उनमें 65% नेताओं ने पहला या दूसरा चुनाव लड़ा था। 2008 में विधानसभा पहुंचने वाले नए चेहरों में भाजपा के 103, कांग्रेस के 39 एवं अन्य पार्टियों के 15 विधायक शामिल थे। 2013 में भाजपा के 107, कांग्रेस के 45 और अन्य पार्टियों के सात विधायक नए थे।

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ग्राफिक्स - फोटो : अमर उजाला
2018 में 72.8% नए चेहरे सफल 
2018 में भी यह ट्रेंड जारी रहा। भाजपा के 57, कांग्रेस 83 एवं अन्य दलों के छह नेता पहला या दूसरा चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे। 2018 के चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर पहला या दूसरा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के जीतने का प्रतिशत 72.8% था, जबकि भाजपा के विधायकों में यह 52.3% था। 
 
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ग्राफिक्स - फोटो : अमर उजाला
जल्द ही घोषित होंगी तारीखें
चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में मतदान की तारीख की घोषणा करने वाला है। कुछ दलों ने चुनिंदा सीटों पर उम्मीदवार घोषित भी कर दिए हैं। प्रदेश की 230 सीटों पर सभी राजनीतिक पार्टियां किस तरह टिकट वितरण करती हैं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यदि भाजपा गुजरात फॉर्मूला अपनाती है तो निश्चित तौर पर नए चेहरों की संख्या ज्यादा होगी। 

रोचक जानकारी 
  • 2013 में अन्य दलों से सात उम्मीदवार जीते थे, जो पहली बार चुनाव लड़ थे। भाजपा-कांग्रेस के अलावा नए चेहरों के जीतने का प्रतिशत 100% था। 
  • 2013 में कांग्रेस को प्रदेश में 58 स्थानों पर विजय हासिल हुई। इनमें प्रथम और द्वितीय बार के विजयी उम्मीदवारों की संख्या 45 थी यानी 77.8% 
  • 2018 में कांग्रेस को 114 सीटें प्राप्त हुई थीं, उनमें पहला और दूसरा चुनाव लड़े नेताओं की संख्या 83 थी, जो 72.8% रही थी। 
  • 2018 में भाजपा को 109 स्थानों पर जीत हासिल हुई थी। उनमें पहला और दूसरा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की संख्या 57 थी, जो 52.3% थी।
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