फगवाड़ा वह शहर है जहां बाॅलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र ने अपना बचपन गुजारा। धर्मेंद्र कभी फगवाड़ा में बिताए अपने बचपन को नहीं भूले। अपनी पंजाब यात्राओं के दौरान वह फगवाड़ा में अवश्य रुकते थे और बचपन के दोस्तों से मिलने के लिए समय निकालते थे।
अपने साथी के लिए दुआ मांग रहा फगवाड़ा: यहीं गुजरा था धर्मेंद्र का बचपन, हर मंदिर-गुरुद्वारे में प्रार्थना
बाॅलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र तबीयत खराब होने के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती हैं। उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए फगवाड़ा में प्रार्थनाओं का दाैर जारी है।
फगवाड़ा की गलियों में घूमते थे धर्मेंद्र
फगवाड़ा के लिए, धर्मेंद्र कभी केवल एक फिल्मी हस्ती नहीं रहे हैं। धर्मेंद्र वही लड़का है, जो कभी फगवाड़ा की धूल भरी गलियों में घूमता था, वह दोस्त जो अपनी जड़ों को कभी नहीं भूला, और वह सुपरस्टार जो हर बार शहर के बुलाने पर लौट आता था।
उनके बचपन के सबसे करीबी साथी - समाजसेवक कुलदीप सरदाना, हरजीत सिंह परमार, एडवोकेट शिव चोपड़ा धर्मेन्द्र के साथ तब से खड़े हैं जब उन्हें सिर्फ धरम के नाम से जाना जाता था - एक विनम्र लड़का जिसके सपने इतने बड़े थे कि एक छोटे शहर में समा नहीं सकते थे।
धर्मेंद्र का जन्म बेशक लुधियाना के पास साहनेवाल में हुआ था लेकिन उन्होंने अपने बचपन के दिन फगवाड़ा में बिताए, जहां उनके पिता, मास्टर केवल कृष्ण चौधरी आर्य हाई स्कूल में गणित और सामाजिक अध्ययन पढ़ाते थे। धर्मेंद्र ने 1950 में यहीं से मैट्रिक की। 1952 तक रामगढ़िया कॉलेज में आगे की पढ़ाई की और फिर एक ऐसे सपने के साथ मुंबई चले गए जो एक दिन भारतीय सिनेमा को नया रूप देने वाला था।
आर्य हाई स्कूल में उनके सहपाठी, वरिष्ठ एडवोकेट एस.एन चोपड़ा ने बताया कि धर्मेंद्र मृदुभाषी, विनम्र और हमेशा मुस्कुराते रहते थे। उनमें एक खास चमक थी। प्रसिद्धि ने उनकी विनम्रता को कभी नहीं बदला। हरजीत सिंह परमार ने कहा कि जब भी वह आते, तो हमारे साथ बैठना, पुरानी बातें करना, मजाक करना और पुरानी यादें ताजा करना चाहते थे। वह कभी किसी स्टार की तरह नहीं आए, वह हमारे दोस्त की तरह आए।
प्रसिद्धि के बावजूद, धर्मेंद्र का फगवाड़ा से नाता कभी कम नहीं हुआ। स्कूल के दिनों, शिक्षकों, पुराने पैराडाइज़ थिएटर और शहर के बदलते स्वरूप के बारे में किस्से साझा करते हुए कई अविस्मरणीय शामें धर्मेन्द्र ने फगवाड़ा में बिताईं।
एक किस्से में धर्मेंद्र ने एक बार बताया था कि अभिनय के दिनों से पहले, उन्हें कौमी सेवक रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित एक रामलीला में भूमिका के लिए अस्वीकार कर दिया गया था। कई साल बाद उन्होंने अपने दोस्तों को चिढ़ाते हुए कहा कि क्या अब मुझे रामलीला में कोई भूमिका मिल सकती है।
फगवाड़ा शहर से उनका गहरा जुड़ाव 2006 में तब उजागर हुआ जब वे पुराने पैराडाइज थिएटर की जगह बने गुरबचन सिंह परमार कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करने आए। हजारों लोगों के सामने धर्मेंद्र ने कहा था फगवाड़ा जिंदाबाद!
हरजीत सिंह परमार ने याद करते हुए कहा कि वह और उनकी पत्नी प्रकाश कौर हमारे घर आए और मेरी मां से आशीर्वाद लिया। उन्होंने हमारे साथ परिवार जैसा व्यवहार किया, क्योंकि उनके लिए हम परिवार ही थे।