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NEET 2025: 10वीं के बाद खुद की मजदूरी, लोगों के झूठे बर्तन धोकर पिता ने पाला परिवार...अब श्रवण ने रचा इतिहास
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बाड़मेर
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Sun, 15 Jun 2025 06:25 PM IST
सार
Rajasthan: श्रवण ने बताया कि उसने 10वीं कक्षा सरकारी स्कूल सेजिया नाडा माधासर से की थी। आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उसे दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी। पढ़ें पूरी खबर
बाड़मेर 14 जून का दिन रेखाराम के लिए हमेशा यादगार रहेगा। इस दिन उनके बेटे श्रवण कुमार ने नीट (NEET) की परीक्षा में सफलता हासिल की। जिससे परिवार की ज़िंदगी में एक नया सवेरा आया। श्रवण ने 700 में से 556 अंक प्राप्त किए और ऑल इंडिया में 9754 रैंक हासिल की।
श्रवण की सफलता की कहानी संघर्ष और लगन की मिसाल है। 10वीं कक्षा सरकारी स्कूल से पास करने के बाद परिवार की आर्थिक तंगी के कारण श्रवण को मजदूरी करनी पड़ी। लेकिन शिक्षा के प्रति उसकी लगन कम नहीं हुई। बाड़मेर की फिफ्टी विलेजर्स नामक एक संस्था ने उसकी मदद की और उसे आगे की पढ़ाई करने का अवसर मिला। 11वीं-12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ, श्रवण ने नीट की तैयारी जारी रखी और तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की।
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श्रवण
- फोटो : अमर उजाला
श्रवण के पिता रेखाराम शादी-ब्याह में झूठे बर्तन धोने और सीजन में खेतीबाड़ी करने का काम करते हैं। जब उन्हें बेटे की सफलता का पता चला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनकी आँखों में आँसू थे और उन्होंने कहा कि अब बर्तन नहीं मांजने पड़ेंगे। गरीबी के कारण परिवार के पास रहने के लिए एक पक्की छत तक नहीं है। परिवार में श्रवण के अलावा उसके माता-पिता, छोटी बहन और दादी हैं।
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परिवार संग श्रवण
- फोटो : अमर उजाला
श्रवण ने बताया कि उसने 10वीं कक्षा सरकारी स्कूल सेजिया नाडा माधासर से की थी। आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उसे दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी। इस दौरान टीचर चिमनाराम ने फिफ्टी विलेजर्स संस्था के बारे में बताया कि यह संस्था गरीब छात्रों की पढ़ाई में मदद करती है। फिफ्टी विलेजर्स संस्था का ऑफिस बाड़मेर में है जो आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों का टेस्ट लेकर उनका चयन किया।
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परिवार संग श्रवण
- फोटो : अमर उजाला
नीट का रिजल्ट आते ही, श्रवण के घर पर गांव के लोग और फिफ्टी विलेजर्स संस्था के सदस्य मिठाई लेकर पहुंचे। उन्होंने परिवार का मुंह मीठा करवाया और श्रवण की सफलता का जश्न मनाया। श्रवण की सफलता ने साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से गरीबी को भी मात दी जा सकती है। श्रवण ने 10वीं में 97% और 12वीं में 87.80% अंक हासिल किए थे, जो उसकी लगन और समर्पण को दर्शाते हैं। अब श्रवण का सपना है कि वह एक डॉक्टर बने और समाज की सेवा करे।
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