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Jaipur Foundation Day: 297 साल का जयपुर, वास्तु सिद्धांतों पर बनाया गया, अश्वमेध यज्ञ भी हुआ था; जानें इतिहास

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: उदित दीक्षित Updated Mon, 18 Nov 2024 10:42 AM IST
सार

Jaipur Foundation Day: दुनिया में गुलाबी नगर के नाम से मशहूर जयपुर आज 297 वर्ष का हो गया है। साल 1878 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स के जयपुर आने पर शहर को गुलाबी रंग से रंगा गया था, तब से इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाने लगा।

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जानिए क्या है जयपुर का 297 साल पुराना इतिहास। - फोटो : अमर उजाला

देश का सबसे पहला व्यवस्थित शहर जयपुर आज अपनी स्थापना के 297 वर्ष पूरे कर चुका है। जयपुर प्रशासन की तरफ से अगले एक महीने तक स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान दुनिया के कई देशों के मेयर भी यहां आएंगे। जयपुर देखने में जितना सुंदर है उनता ही रोचक इसका इतिहास है। 


 
जयपुर की स्थापना 1727 में आमेर के कछवाहा राजपूत शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी, जिनके नाम पर इस शहर का नाम रखा गया है। यह आधुनिक भारत के सबसे शुरुआती नियोजित शहरों में से एक है, जिसे विद्याधर भट्टाचार्य ने डिजाइन किया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, यह शहर जयपुर राज्य की राजधानी के रूप में कार्य करता था।

वास्तु सिद्धांतों पर बनाया गया, अश्वमेध यज्ञ भी हुआ था 
जयपुर को बनाने में तंत्र व वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों की पालना की गई थी। जयपुर की स्थापना के समय जल महल के पास अश्वमेध यज्ञ भी किया गया था। इसके लिए यहां बड़े-बड़े पथ्थरों के दीपक बनाए गए थे। जयपुर को नौ ब्लॉकों में बांटा गया था। इनमें से दो ब्लॉक राजकीय भवनों और महलों के लिए थे, जबकि बाकी सात ब्लॉक आम लोगों के रहने के लिए थे। जयपुर शहर को सुरक्षित रखने के लिए चारों ओर विशाल दीवार और सात मजबूत द्वार बनाए गए थे।

यहां के महल और किले विश्वविख्यात  
जयपुर में कई ऐतिहासिेक इमारतें भी हैं, जिनकी पहचान पूरी दुनिया में है। यहां जल महल, आमेर किला, जयगढ़ का किल्ला, पन्ना मीणा की बावड़ी, गैटोर की छतरियां, हवा महल, गोविंद देवजी का मंदिर और मीरा मंदिर विश्वविख्यात है।

विद्याधर भट्टाचार्य बंगाल के एक ब्राह्मण विद्वान थे, जिन्होंने शहर की वास्तुकला को तैयार करने में सवाई जय सिंह की सहायता की थी। प्रमुख स्थानों, सड़कों और चौराहों को पूरा होने में 4 साल लगे और प्रत्येक का निर्माण वास्तु शास्त्र की तकनीकों को ध्यान में रखते हुए किया गया था।

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आमेर किला - फोटो : अमर उजाला

150 साल तक बनता रहा आमेर किला 
आमेर की राजकुमारी जोधाबाई का जन्मस्थान, यह किला राजा मान सिंह द्वारा 967 ई. में बनवाया गया था। किले का निर्माण, जीर्णोद्धार और विस्तार 100-150 वर्षों की अवधि में फैला था। जय मान सिंह प्रथम ने अरावली पर्वतमाला पर किले का विस्तार करने का कार्य अपने हाथों में लिया।

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नाहरगढ़ किला - फोटो : अमर उजाला

नाहरगढ़ का किला यानी बाघों का निवास
शाब्दिक अर्थ 'बाघों का निवास', नाहरगढ़ किले का निर्माण महाराजा जय सिंह द्वितीय ने 1734 में करवाया था। इसके निर्माण की तकनीक इंडो-यूरोपीय वास्तुकला से ली गई है। पहले, महल को एकांतवास के रूप में बनाया गया था। लेकिन, बाद के समय में किले ने मराठों के साथ महत्वपूर्ण संधियों को देखा। इसके अलावा, 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान सवाई राम सिंह ने बाहरी दंगों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यूरोपीय लोगों और ब्रिटिश रेजिडेंट की पत्नी को इस किले में स्थानांतरित कर दिया।

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जयगढ़ का किला - फोटो : अमर उजाला

जयगढ़ का किला, जहां दुनिया की सबसे बड़ी तौप
आमेर शहर में कहीं भी खड़े हो जाइए आपको इस किले की अंतहीन दीवारें आसानी से नजर आएंगी। यह एक रक्षात्मक संरचना थी जिसे 1726 में सवाई जय सिंह ने आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनवाया था। यह किला मुगल राजवंश के दौरान प्रमुख तोपों की ढलाई का स्थान था। क्योंकि, इसके क्षेत्र में लौह अयस्क की खदानें बहुतायत में थीं। विशाल पानी की टंकी जिसका उपयोग 6 मिलियन गैलन पानी के भंडारण के लिए किया जाता था, उसके नीचे कक्ष थे जिनका उपयोग लूट को छिपाने के लिए किया जाता था। इसके अलावा, किला दुनिया की सबसे बड़ी जयवाना तोप का घर है।

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जल महल - फोटो : अमर उजाला

झील के बीच में बना जल महल
जल महल शहर की चहल-पहल से दूर सागर झील के बीच में स्थित है। प्राचीन समय में यह महाराजाओं के लिए शिकारगाह के रूप में काम करता था। इसमें 5 मंजिलें बनी हुई हैं, जिनमें से केवल सबसे ऊपरी मंजिल ही पानी के स्तर से ऊपर है। रात के समय इसे देखने पर यह देखने लायक लगता है। जल महल शहर के शासकों की अलग-अलग सोच का एक और आकर्षक उदाहरण है।

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