Akshaya Navami Puja Vidhi: अक्षय नवमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पुण्यदायी और शुभ तिथि मानी जाती है, जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन का विशेष महत्व आंवला वृक्ष से जुड़ा है, जिसे दिव्य और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है और वहीं भोजन पकाकर सबसे पहले भगवान विष्णु और शिवजी को भोग अर्पित किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भी दर्शाती है।
Akshaya Navami 2025: कब है अक्षय नवमी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और योग
Akshaya Navami Shubh Muhurat: अक्षय नवमी 2025 में आंवले के पेड़ के नीचे लक्ष्मी नारायण की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से सुख-समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अक्षय नवमी शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी का पर्व इस बार 31 अक्तूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। हालांकि नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्तूबर को प्रातः 10:06 बजे होगी और समापन 31 अक्तूबर को प्रातः 10:03 बजे पर होगा। चूंकि 31 तारीख को उदयातिथि है, इसलिए शास्त्रों के अनुसार इसी दिन व्रत और पूजा का विधान माना गया है।
अक्षय नवमी के शुभ योग
इस अक्षय नवमी पर कई दुर्लभ और पुण्यकारी योग बन रहे हैं। सबसे पहले वृद्धि योग बन रहा है, जो 31 अक्तूबर की प्रातः 6:17 बजे शुरू होगा और रात भर प्रभावी रहेगा। यह योग समृद्धि और उन्नति देने वाला माना जाता है। इसके साथ ही पूरे दिन रवि योग का भी संयोग रहेगा, जिसमें किए गए कार्य सफल होते हैं और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रातः 10:03 बजे तक शिववास योग भी रहेगा, जो पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए बेहद फलदायी होता है।
करण एवं नक्षत्र
इस दिन दो विशेष नक्षत्रों धनिष्ठा और शतभिषा का संयोग बन रहा है, जो शांति और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। इसके अलावा, दो शुभ करण कौलव और तैतिल भी इस दिन उपस्थित रहेंगे। इन योग में लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
अक्षय नवमी पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूजाघर की सफाई करें और वहां माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा करें।
- शाम के समय दोबारा स्नान करें, क्योंकि मुख्य पूजा संध्या में की जाती है।
- आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करें और पूजा की सभी सामग्री वहीं रखें।
- हल्दी, चावल, कुमकुम, फूल, जल आदि से आंवले के वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा करें।
- पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और 7 बार परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें।
- वहीं पेड़ के नीचे भोजन पकाएं, और सबसे पहले भगवान विष्णु व शिवजी को भोग लगाएं।
- भोग लगाने के बाद वहीं बैठकर भोजन (प्रसाद) ग्रहण करें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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