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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ जलाभिषेक करते समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरे होंगे सारे काम

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sat, 22 Feb 2025 10:30 AM IST
सार

Jalabhishek Niyam: भगवान शिव की पूजा के लिए कई नियम निर्धारित हैं। हालांकि भोलेनाथ केवल एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन इसमें भक्त की गहरी श्रद्धा होना आवश्यक है। जल अर्पित करते समय दिशा का ध्यान रखना और कुछ मंत्रों का जाप करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है।

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Mahashivratri 2025 Jalabhsihek Niyam kaise karein mahashivratri ke din shivling ka jalabhishek
mahashivratri 2025 - फोटो : amar ujala
Mahashivratri Par Kaise Karein Jalabhishek : भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और नीलकंठ के नामों से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में संहारक के रूप में पूजे जाते हैं। शिव भक्तों के लिए जलाभिषेक एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर जलाभिषेक के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं भोलेनाथ को जल चढ़ाने का सही नियम साथ जलाभिषेक के समय कौन से मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। 

 

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Maha Shivratri 2025 - फोटो : अमर उजाला

शिवलिंग पर जलाभिषेक के नियम

1. अशुद्ध जल का उपयोग: जलाभिषेक के लिए हमेशा स्वच्छ और पवित्र जल का उपयोग करना चाहिए। गंदा या अशुद्ध जल अर्पित करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।

2. जल अर्पित करने का सही तरीका: शिवलिंग पर जल को धीरे-धीरे और धारा के रूप में अर्पित करना चाहिए। जल को छिड़कना या फेंकना उचित नहीं माना जाता है।

3. मन में नकारात्मक विचार: जलाभिषेक करते समय मन में किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार नहीं आने चाहिए। इसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करना आवश्यक है।
4. दिशा का रखें ध्यान:जलाभिषेक करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए; दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाभिषेक नहीं करना चाहिए।

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Mahashivratri 2025 Jalabhsihek Niyam kaise karein mahashivratri ke din shivling ka jalabhishek
Maha Shivratri 2025 - फोटो : freepik
इन मंत्रों का करें जाप 

ॐ नमः शिवाय:
यह शिव का पंचाक्षरी मंत्र है और यह सबसे प्रसिद्ध मंत्रों में से एक माना जाता है। इसका अर्थ है "मैं शिव को प्रणाम करता हूँ"। इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥:

यह महामृत्युंजय मंत्र है, जिसे मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला माना जाता है। इसका जाप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु में वृद्धि होती है।


 
Mahashivratri 2025 Jalabhsihek Niyam kaise karein mahashivratri ke din shivling ka jalabhishek
Maha Shivratri 2025 - फोटो : freepik
महाशिवरात्रि तिथि 
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ: 26 फरवरी, प्रातः11:08 बजे से 
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी , प्रातः 08:54 बजे तक
चतुर्दशी तिथि का प्रदोष और निशिता काल 26 फरवरी 
इसलिए, महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी 2025 को रखा जाएगा 
 
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Mahashivratri 2025 Jalabhsihek Niyam kaise karein mahashivratri ke din shivling ka jalabhishek
Maha Shivratri 2025 - फोटो : freepik

चार प्रहर की पूजा का समय
प्रथम प्रहर पूजा का समय: सायं 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर पूजा का समय: रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर पूजा का समय: मध्यरात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे तक
चतुर्थ प्रहर पूजा का समय: 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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