Vivah Panchami 2025: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह की स्मृति को समर्पित है, जिसे हिंदू परंपराओं में अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है।
Vivah Panchami Rituals 2025: कैसे करें राम–सीता विवाह पूजा? जानें मंत्र, आरती और महत्व
Vivah Panchami 2025 : विवाह पंचमी पर मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का पावन पर्व मनाया जा रहा है। जानें पूजा विधि, अनुष्ठान, मंत्र और शुभ संदेश देकर सभी को दें आशीर्वाद।
राम–सीता विवाह अनुष्ठान का शुभ समय
विवाह पंचमी पर राम–सीता विवाह का पावन अनुष्ठान शाम 4:49 बजे से लेकर शाम 6:33 बजे तक किया जाएगा। यह अवधि अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसी समय पूजन तथा विवाह-लीला का आयोजन श्रेष्ठ माना जाता है।
भोग सामग्री
इस खास दिन भगवान को पंजीरी, पंचामृत, खीर, पीली मिठाई और पीले रंग के फलों का भोग अर्पित किया जाता है। पीले पदार्थों को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इन्हें विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ और साफ वस्त्र पहनें।
- दिन की पूजा या व्रत का संकल्प करें
- पूजा की जगह को साफ कर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- भगवान राम को पीले वस्त्र, चंदन, पुष्प आदि अर्पित करें।
- माता सीता को लाल वस्त्र, सिंदूर और सोलह श्रृंगार का सामान समर्पित करें।
- दोनों को फूलों की माला पहनाकर उनका प्रतीकात्मक विवाह (गठबंधन) कराएँ।
- घी का दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें।
- श्रीरामचरितमानस में वर्णित राम–सीता विवाह प्रसंग का पाठ करें।
- चाहें तो सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। यह दिन के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- अंत में श्रद्धा से आरती करें और किसी भी भूल के लिए भगवान से क्षमा प्रार्थना करें।
पूजन मंत्र
“श्रीं रामाय नमः”
यह मंत्र भगवान श्रीराम की कृपा और संरक्षण पाने के लिए जपा जाता है।
“जय सियावर रामचन्द्र की जय, सीताराम चरण रति मोहि अनुदिन हो”
इस स्तुति से भक्त राम–सीता के चरणों में भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना व्यक्त करते हैं।

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