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Ram Mandir Dhwajarohan 2025: रामलला के मंदिर में ध्वजारोहण आज,सूर्य–कोविदार चिह्न का आध्यात्मिक महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Tue, 25 Nov 2025 10:13 AM IST
सार

Dhwajarohan 2025: विवाह पंचमी का पवित्र पर्व आज यानी 25 नवंबर को पूरे देश में मनाया जाएगा। इसी शुभ दिन अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर केसरिया ध्वजा फहराया जाएगा। हिंदू परंपराओं में मंदिर का ध्वज देवता की उपस्थिति, संरक्षण और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

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Ram Mandir Dhwajarohan on November 25 Why the Surya–Kovidara Symbol Is So Special
अयोध्या राम मंदिर - फोटो : amar ujala

Ram Mandir Dhwajarohan on November 25: विवाह पंचमी का पावन पर्व आज, 25 नवंबर को, पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस बार का दिन अयोध्या के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज राम मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहराया जाएगा। पहली बार विवाह पंचमी के अवसर पर होने वाले इस भव्य ध्वजारोहण की ओर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। रामनगरी में यह दिव्य क्षण आस्था और उत्सव का अनोखा संगम बना हुआ है।


Mandir Flag Significance: 25 नवंबर को राम मंदिर पर फहराया जाएगा धर्म ध्वज, जानें इस अनुष्ठान का महत्व
हिंदू परंपराओं में मंदिर के शिखर पर लगाया जाने वाला ध्वज अत्यंत पवित्र माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, लहराता हुआ ध्वज देवता की उपस्थिति, दिव्य संरक्षण और पवित्र ऊर्जा का प्रतीक है। जिस दिशा में यह ध्वज लहराता है, उसे शुभ और पावन माना जाता है। इसी कारण ध्वजारोहण की परंपरा प्राचीन काल से ही मंदिरों में आस्था, सम्मान और आध्यात्मिक वैभव की प्रतीक रही है।
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क्या है ध्वजारोहण का महत्व? - फोटो : सोशल मीडिया

क्या है ध्वजारोहण का महत्व?
राम मंदिर में 25 नवंबर को होने वाला ध्वजारोहण केवल भगवान राम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि अयोध्या की सूर्यवंशीय और रघुकुल परंपरा का गौरवपूर्ण स्मरण भी है। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में ध्वज, पताका और स्वागत द्वार का विशेष वर्णन मिलता है, जो इस परंपरा के प्राचीन वैभव को दर्शाता है। त्रेतायुग में यह उत्सव भगवान राम के जन्म की खुशी में मनाया जाता था, जबकि कलियुग में यह समारोह उनके भव्य मंदिर के पूर्ण होने की प्रसन्नता का प्रतीक बन रहा है। जब 25 नवंबर को यह केसरिया ध्वज मंदिर के शिखर पर लहराएगा, तब यह संदेश सम्पूर्ण विश्व में जाएगा कि रामराज्य की पुनर्स्थापना का अध्याय प्रारंभ हो चुका है।

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Ram Mandir Dhwajarohan on November 25 Why the Surya–Kovidara Symbol Is So Special
कैसा होगा राम मंदिर का ध्वज? - फोटो : ANI

कैसा होगा राम मंदिर का ध्वज?
राम मंदिर पर फहराया जाने वाला ध्वज केसरिया रंग का होगा। सनातन परंपरा में केसरिया त्याग, बलिदान, वीरता, ज्ञान और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। रघुवंशकाल में भी इस रंग का विशेष महत्व रहा है। भगवा रंग साधु-संतों की तपस्या, रामभक्तों की भक्ति और सत्य के लिए किए गए संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि यह ध्वज जब आकाश में लहराएगा, तो वह केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म और सत्य की जीत का संदेश बनकर जगमगाएगा।

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ध्वज पर अंकित पवित्र प्रतीक - फोटो : अमर उजाला

ध्वज पर अंकित पवित्र प्रतीक

  • ध्वज पर दो विशेष चिह्न कोविदार वृक्ष और ‘ॐ’अंकित किए गए हैं। प्राचीन ग्रंथों में कोविदार वृक्ष को पारिजात और मंदार के दिव्य संयोग से उत्पन्न माना गया है, और राम मंदिर परंपरा में इसका अत्यंत महत्व है। यह वृक्ष देखने में कचनार जैसा प्रतीत होता है और सूर्यवंश के राजाओं के ध्वज पर भी इसी का प्रतीक अंकित होता आया है। वाल्मीकि रामायण में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है, जब भरत श्रीराम से मिलने वन में पहुंचे थे।
  • इसके साथ ही ध्वज पर अंकित ‘ॐ’ केवल एक अक्षर नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि, ऊर्जा और मंत्रों की सार्वभौमिक शक्ति का प्रतीक है। यह चिह्न राम मंदिर के ध्वज को दिव्यता और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण बनाता है।
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राम–सीता विवाह पंचमी, धर्म ध्वजा का रोहण और अयोध्या की भव्य सजावट, मिलकर एक ऐसा दिव्य माहौल बना रही हैं। - फोटो : अमर उजाला डिजिटल

25 नवंबर: इतिहास में दर्ज होने वाला दिन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या पहुँच चुके हैं और कुछ ही समय में राम जन्मभूमि परिसर में बने भव्य राममंदिर पर ध्वजारोहण करेंगे। मंगलवार सुबह 9:35 बजे पीएम मोदी का विमान अयोध्या एयरपोर्ट पर उतरा, जिसके बाद वह 9:50 बजे साकेत महाविद्यालय पहुँचे। ध्वजारोहण का शुभ समय दोपहर 11:58 बजे से 12:30 बजे तक निर्धारित है। मंदिर के शिखर पर फहराया जाने वाला धर्म ध्वज 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है। ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री वहाँ उपस्थित श्रद्धालुओं और अतिथियों को संबोधित भी करेंगे। कार्यक्रम के अंत में, प्रधानमंत्री के ध्वजारोहण के उपरांत शाम को पूर्णाहुति का आयोजन किया जाएगा।
ज्योतिषविदों का मानना है कि राम–सीता विवाह पंचमी, धर्म ध्वजा का रोहण और अयोध्या की भव्य सजावट, मिलकर एक ऐसा दिव्य माहौल बना रही हैं जैसा त्रेतायुग में हुआ करता था। जैसे ही धर्म ध्वजा मंदिर के शिखर पर फहरेगा, यह क्षण सदियों की प्रतीक्षा का अंत करेगा। यह दिन रामराज्य की पुनर्स्थापना का प्रतीक बनकर न केवल श्रद्धालुओं के हृदय में बसेगा, बल्कि इतिहास के पन्नों में भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया जाएगा।




डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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