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Ram Mandir Flag Hoisting: आज राम मंदिर की ध्वज स्थापना आस्था, ऊर्जा और संरक्षण का दिव्य प्रतीक

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 25 Nov 2025 11:49 AM IST
सार

Ram Mandir Flag Hoisting: धर्मग्रंथों के अनुसार ध्वज विजय, बल और संरक्षण का प्रतीक माना गया है। प्राचीन युद्धों में सेना के झंडे जिस प्रकार पहचान और शक्ति का संकेत होते थे, उसी प्रकार मंदिर का ध्वज बताता है कि यह स्थान किसी दिव्य शक्ति का केंद्र है।

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ram mandir dhwajarohan flag hoisting on 25 November know the symbol Flag Hoisting In Temple
Ram Mandir Flag Hoisting - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Ram Mandir Flag Hoisting: आज, 25 नवंबर 2025 को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजा लगाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भगवा ध्जज फहराएंगे। इस ध्वजा में ऊं, सूर्य और कोविदारा के पेड़ की तस्वीर बनी है। इस मौके पर अयोध्या को सजाया गया है। हिंदू धर्म में ध्वजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू मंदिर में ध्वज देवता की उपस्थिति, संरक्षण और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। भारतीय संस्कृति में मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि ऊर्जा, विश्वास और आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र माने जाते हैं। मंदिरों की ऊंचे शिखर पर लहराता हुआ ध्वज इस आस्था का जीवंत प्रतीक है। यह सिर्फ सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि दिव्य शक्ति का ऐसा संकेत माना गया है जो भक्त और देवता के बीच एक पवित्र संवाद स्थापित करता है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है और भविष्य में भी हमारी सांस्कृतिक पहचान को सहेजती रहेगी।

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ध्वज का अर्थ और उसकी आध्यात्मिक प्रतीकात्मकता
धर्मग्रंथों के अनुसार ध्वज विजय, बल और संरक्षण का प्रतीक माना गया है। प्राचीन युद्धों में सेना के झंडे जिस प्रकार पहचान और शक्ति का संकेत होते थे, उसी प्रकार मंदिर का ध्वज बताता है कि यह स्थान किसी दिव्य शक्ति का केंद्र है। ध्वज की ऊंचाई, उसका रंग और उसका लहराना सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाता है। जब मंदिर का ध्वज दूर से दिखाई देता है, तो वह भक्त के मन में श्रद्धा जगाता है और यह संकेत देता है कि यहां दिव्य उपस्थिति सक्रिय है।
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ध्वज और देवत्व का आह्वान
पुराणों में वर्णित है कि जहां ध्वज फहरता है, वहां देवत्व का आशीर्वाद स्थिर रहता है। स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर पर ध्वज लगाने से देवता प्रसन्न होते हैं और ध्वज चढ़ाने वाले को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। मंदिर पर लगातार लहराता ध्वज भक्तों को बताता है कि इस स्थान पर पूजा, ध्यान और आध्यात्मिक क्रियाएं निरंतर होती रहती हैं। यही कारण है कि तीर्थ स्थानों पर ध्वज का विशेष महत्व है और इसे नियमित रूप से बदला भी जाता है।

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ध्वज और नकारात्मक ऊर्जा का शमन
धर्मशास्त्रों में यह भी माना गया है कि मंदिर का ध्वज नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की क्षमता रखता है। जब हवा ध्वज से टकराती है, तो उससे सूक्ष्म कंपन उत्पन्न होते हैं, जो वातावरण को पवित्र बनाते हैं। यह कंपन आसपास के क्षेत्र में एक सुरक्षात्मक ऊर्जा-घेरा बनाते हैं। हनुमान मंदिरों और शक्ति पीठों में ध्वज बदलने की परंपरा इसलिए अधिक प्रचलित है ताकि दिव्य ऊर्जा लगातार सक्रिय बनी रहे।

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वास्तु में मंदिर के ध्वज का महत्व
वास्तु शास्त्र भी मंदिर पर लगे ध्वज को शक्तिशाली ऊर्जा-स्रोत मानता है। उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर फहरता ध्वज शुभ माना गया है, क्योंकि इन दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश सर्वाधिक होता है। किसी मंदिर का ध्वज जितना ऊँचा और सुस्पष्ट दिखाई देगा, उस क्षेत्र में ऊर्जा संतुलन उतना ही बेहतर माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार घर के आसपास स्थित ऐसे मंदिर जिन पर नियमित रूप से ध्वज बदलते हों, वे स्थान आध्यात्मिक रूप से अधिक शांत और उन्नत ऊर्जा वाले माने जाते हैं।

ध्वज बदलने का शुभ फल
ध्वज बदलना अत्यंत पुण्यकारी कार्य माना गया है। भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर नए ध्वज चढ़ाते हैं जो एक प्रकार की कृतज्ञता मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे घर में सुख, समृद्धि और शुद्ध ऊर्जा का प्रवेश होता है। ध्वज चढ़ाने वाला व्यक्ति देवता के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करता है और उसे आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होता है। मंदिर का ध्वज केवल परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का सशक्त संकेत है। यह हमारी संस्कृति का वह प्रतीक है जो श्रद्धा, ऊर्जा और संरक्षण तीनों को साथ लेकर चलता है।

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