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Conch Shell: कैसे हुई शंख की उत्पत्ति, जानिए शंखनाद का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: शिखर बरनवाल Updated Mon, 09 Dec 2024 06:22 PM IST
सार

शंख की ध्वनि में एक अद्भुत शक्ति होती है जो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है। इसलिए आइए इस वीडियो में शंख के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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How did the conch shell originate sankh ki utapatti in hindi
शंख - फोटो : Adobe Stock

Shankh Ki Utpatti: शंख सदियों से हिंदू धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। शंख को न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में बल्कि दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता था। प्राचीन काल से ही शंख को घरों में रखना शुभ माना जाता था और इसे पूजा-अर्चना में उपयोग किया जाता था। ज्योतिष और विज्ञान दोनों ही शंख की ध्वनि को अत्यंत लाभदायक मानते हैं। शंख की ध्वनि में एक अद्भुत शक्ति होती है जो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, शंख की ध्वनि मन को शांत करने में अहम भूमिका निभाती है। यही कारण है कि धार्मिक आयोजनों में शंख बजाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि को ॐ ध्वनि के समान पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शंख की आवाज से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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शंख - फोटो : Adobe Stock

शंख की उत्पत्ति की कहानी
शंख की उत्पत्ति की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब उन चौदह रत्नों में से एक शंख भी निकला था। इन रत्नों में से एक शंख, पांचजन्य नामक, विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ। इसकी अद्भुत ध्वनि और गुणों से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने इसे धारण कर लिया। तब से शंख को भगवान विष्णु का प्रमुख हथियार माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है।

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शंख - फोटो : Adobe Stock

दो प्रकार के होते हैं शंख
शंख कई प्रकार के होते हैं, जैसे दक्षिणावर्ती और वामावर्ती। दोनों शंखों की अपनी विशेषता होती है। आमतौर पर दक्षिणावर्ती शंख को अधिक शुभ माना जाता है। शंख की ध्वनि को बहुत पवित्र माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है और वातावरण को शुद्ध करती है। शंख का उपयोग पूजा-पाठ, यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। शंख भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसे कला और वास्तुकला में भी व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।

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शंख - फोटो : Adobe Stock

शंखनाद का प्रभाव
अथर्ववेद और रणवीर भक्ति रत्नाकर जैसे प्राचीन ग्रंथों में शंखनाद के महत्व को विस्तार से बताया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, शंख की ध्वनि न केवल एक ध्वनि है बल्कि एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है। अथर्ववेद के मुताबिक शंख की ध्वनि में ऐसी शक्ति होती है जो हमारे आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और अशांति को दूर करती है। यह हमें बाधाओं और परेशानियों से बचाने में मदद करता है।

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शंख - फोटो : Adobe Stock

रणवीर भक्ति रत्नाकर में कहा गया है कि ध्वनि (नाद) से बड़ा कोई मंत्र नहीं है। शंखनाद एक ऐसा ही मंत्र है जो हमारे मन और शरीर को शांत करता है। हालांकि, शंखनाद को सही तरीके से करना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हम शंख को गलत तरीके से बजाते हैं तो यह हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए, शंख को हमेशा विधिपूर्वक ही बजाना चाहिए।

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