Types of Hell: अक्सर बड़ों के द्वारा दान पुण्य से जुड़े कार्य करने की सलाह दी जाती है। उनका मानना है कि इससे मनुष्य के भाग्य में वृद्धि होती है और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार स्वर्ग एक ऐसा स्थान है, जहां मरने के बाद व्यक्ति को भेजा जाता है और वह अपने पुण्य क्षीण (कम होने) होने तक वहां रहता है। यहां देवी-देवताओं का वास भी होता है। वहीं नरक में मनुष्य अपने पाप का दंड भोगता है। इसे यमलोक भी कहते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार देवी-देवता और पूर्वजों का अपमान करने वाले लोग हमेशा मृत्यु के बाद नरक में जाते हैं। नरक का कष्ट आत्मा के लिए बेहद ही दुखदायी होता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि नरक कितने प्रकार के होते हैं ? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
Types of Hell: कितने प्रकार के होते हैं नरक ? किस आधार पर मिलती हैं सजा, यहां जानें सबकुछ
Types of Hell: अक्सर बड़ों के द्वारा दान पुण्य से जुड़े कार्य करने की सलाह दी जाती है। उनका मानना है कि इससे मनुष्य के भाग्य में वृद्धि होती है और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं।
नरक के कितने प्रकार है ?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब पक्षीराज गरुड़ ने सृष्टि के संचालक विष्णु जी से कहा कि आप उन नरकों के स्वरूप के बारे में बताएं, जिनमें पापी अत्यधिक कष्ट भोगता है। पक्षीराज गरुड़ की इस बात पर विष्णु जी बोले नरक तो कई प्रकार के होते हैं। उन सभी के बारे में बताना मुश्किल है। लेकिन कुछ प्रमुख नरकों के बारे में बताता हूं।
रौरव नरक
विष्णु जी ने कहा सभी नरकों के मुकाबले रौरव नरक को सबसे ज्यादा कष्टदायक माना जाता है। यह लगभग 2000 योजन तक में फैला हुआ है। इतनी ही नहीं यहां पर अंगारों से भरा गड्ढा बना हुआ है, और यहां की आग से हमेशा भूमि जलती रहती है।
अतिशीत नरक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह एक ऐसा नरक है, जहां पापी व्यक्ति को असहनीय कष्टों को झेलना पड़ता है। कहा जाता है कि इस नरक का तापमान बेहद ठंडा होता है और यहां सभी पापियों को लाकर बांधा जाता है।
महारौरव नरक
महारौरव सभी नरकों में प्रमुख है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां पर व्यक्ति लगभग हजारों सालों तक कष्ट भोगता है।
असिपत्रवन नरक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार असिपत्रवन नरक 1000 योजन में फैला है। यहां की जमीन हर समय आग से जलती रहती है। कहा जाता है कि इस नरक में आने वाली आत्माएं आग और तपिश से जलती है। कहते हैं कि जो लोग अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते उन्हें इस नरक में भेजा जाता है।
अप्रतिष्ठ नरक
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो लोग धार्मिक व्यक्तियों की आत्मा का ठेस और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। उन्हें अप्रतिष्ठ नरकमें भेजा जाता है। यहां उन्हें मल, मूत्र पीब में उल्टा कर के गिराया जाता है, जो बेहद ही कष्टाकारी होता है।
एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि नरक 36 प्रकार के होते हैं। इनमें महापायी, निरुच्छवास, अंड्गरोपचय, महाज्वाल, क्रकच, वज्रकुठार, परिताभ, गुडपाक, छुरधार, अंबरीष, कालसूत्र, कश्मल, उग्रगंध, दुर्धर, वज्रमहापीर आदि समेत कई अन्य नाम शामिल है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

कमेंट
कमेंट X