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कितने दिनों तक उपयोग कर सकते है बिल्व पत्र, भगवान शिव की पूजा में क्या है इसका महत्व

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Mon, 08 Jun 2020 09:28 PM IST
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Importance of Bilva Patra in worship of Shiva
भगवान शिव

भगवान शिव की पूजा में कई वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। जैसे भांग, धतूरा, दूध आदि इन्हीं में से एक है बिल्व पत्र, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वृक्ष पर से तोड़ने के बाद बिल्व पत्र को कितने दिनों तक भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है। साथ ही इसका वृक्ष लगाने के क्या फायदे हैं और इसका औषधिय महत्व क्या है।

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Importance of Bilva Patra in worship of Shiva
शिवलिंग - फोटो : अमर उजाला

भगवान शिव को बिल्ब पत्र अति प्रिय है, इसको भगवान शिव की पूजा में अवश्य चढ़ाया जाता है। शिव पुराण में भी बिल्व पत्र के बारे में बताया गया है। एक ही बिल्व पत्र को धोकर दोबारा पूजा में अर्पित किया जा सकता है। वृक्ष से टूटने के बाद भी बिल्व पत्र को छह माह तक बासी नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि इसका पेड़ जहां पर भी होता है। वहां पर पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

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Importance of Bilva Patra in worship of Shiva
शिवलिंग

औषधिय महत्व

बिल्व पत्र में क्षार तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं कई रोगों के ईलाज में इसका उपयोग किया जाता है। चातुर्मास में कई स्वास्थ समस्याएं हो जाती हैं, जिनमे बिल्व पत्र बहुत लाभकारी है।

गैस कफ और अपच की समस्या में लाभ पहुंचाता है, जिन लोगों को मधुमेह की परेशानी रहती है उनके लिए भी बिल्व पत्र फायदेमंद है।

चोट लग जाने पर उस पर ताजे बिल्व पत्र पीसकर लगाने से घाव ठीक हो जाता है।  

Importance of Bilva Patra in worship of Shiva
शिवलिंग - फोटो : अमर उजाला

वास्तु महत्व
बेल के पौधे को घर के उत्तर-पश्चिम कोण में लगाना शुभ माना जाता है। अगर जगह न हो तो उत्तर दिशा में भी इसे लगाया जा सकता है। जिन घरों में बिल्व का पेड़ लगा होता है वहां पर सदैव सकारात्मकता बनी रहती है।

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शिव जी

बिल्व पत्र तोड़ते समय ध्यान रखने योग्य बातें
 
सोमवार के दिन बिल्ब पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
 
अष्टमी, चतुदर्शी, अमावस्या और संक्रांति के पर्व पर भी बिल्व पत्र नहीं तोड़े जाते हैं।
दोपहर के बाद भी बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
 
भगवान शिव को जो भी बिल्व पत्र चढ़ाए ध्यान रहे कि वे एक दम साफ सुथरे हो कटे-फटे न हो।
 
बिल्व पत्र चढ़ाते समय जल की धारा शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।

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