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क्या वाकई जिंदा है महाभारत का अश्वत्थामा, रहस्यों से भरी है कहानी

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: रुस्तम राणा Updated Thu, 19 Dec 2019 10:42 PM IST
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is Ashwatthama alive know the real mystery
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अश्वत्थामा, महाभारत काल का ऐसा चरित्र है जो आज भी जिंदा है। ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा एक श्राप के कारण अमर है और जंगलों में भटक रहा है। उसके शरीर पर बड़े-बड़े घाव हैं। महाभारत के इस पात्र की कहानी रहस्यमयी और चौंकाने वाली है। एक गलती के कारण अश्वत्थामा को ऐसा श्राप मिला जिसके कारण उसे दुनिया खत्म होने तक जीवन से मुक्ति नहीं मिल पाएगी। वह इधर से उधर भटकता ही रहेगा। अश्वत्थामा को ये श्राप किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था।

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अश्वत्थामा - फोटो : Social media

इसलिए मिला था अश्वत्थामा को श्राप
पौराणिक शास्त्र के अनुसार, अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र है। एकबार महाभारत के युद्घ में द्रोणाचार्य का वध करने के लिए पाण्डवों ने झूठी अफवाह फैला दी कि अश्वत्थामा मर चुका है। इससे द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और पाण्डवों ने मौका देखकर द्रोणाचार्य का वध कर दिया। अपने पिता की छल से हुई हत्या का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों की हत्या कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे ये श्राप दिया।

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पाण्डवों के पुत्रों की हत्या के बाद जब अश्वत्थामा भागा तब भीम ने उसका पीछा किया और अष्टभा क्षेत्र जो वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है। यहां दोनों के बीच गदा युद्घ हुआ। यहां भीम की गदा जमीन से टकराने के कारण एक कुण्ड बन गया है। पास ही में अश्वत्थामा कुंड भी है। यहां लोग मानते हैं कि आज भी रात के समय अश्वत्थामा मार्ग से भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाता है।

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द्रोणनगरी में स्थित टपकेश्वर स्वयंभू शिवलिंग महर्षि द्रोणाचार्य की सिर्फ तपस्थली मानी जाती है। यहीं गरीबी के कारण दूध नहीं मिलने पर अश्वत्थामा ने भगवान से दूध प्राप्ति के लिए छह माह तक कठोर तपस्या की थी। अश्वत्थामा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दूध प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और पहली बार अश्वत्थामा ने दूध का स्वाद चखा।

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अश्वत्थामा - फोटो : Social media

अश्वत्थामा का ऐसे पड़ा था यह नाम
अश्वत्थामा के बारे में इतनी बात जानने के बाद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अश्वत्थामा का नाम कैसे पड़ा। इसकी एक बड़ी रोचक कथा है। अश्वत्थामा ने जब जन्म लिया तब उसने अश्व के समान घोर शब्द किया। इसके बाद आकाशवाणी हुई कि यह बालक अश्वत्थामा के नाम से प्रसिद्घ होगा।

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