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हर साल 15 दिन के लिए क्यों बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ? जानें इससे जुड़ी कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 15 Jun 2025 12:34 PM IST
सार

Jagannath Madhav Das Story: पुरी में जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार हो गए हैं। प्राचीन परंपरा के अनुसार अब वो 14 दिन तक भगवान आराम करेंगे। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा। 

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Jagannath Yatra 2025 Reason behind why lord jagannath fall ill for 15 days every year
पुरी में जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार हो गए हैं। - फोटो : अमर उजाला

15 Days Quarantine Bhagwan Jagannath Story: पुरी में जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार हो गए हैं। प्राचीन परंपरा के अनुसार अब वो 14 दिन तक भगवान आराम करेंगे।  भगवान का स्वास्थ्य बिगड़ा होने के चलते मंदिर में भक्तों का प्रवेश बंद कर दिया गया है।  केवल पुजारी और वैद्यजी को ही इलाज हेतु सुबह-शाम भगवान तक पहुंचने की इजाजत है। इस बार रथ यात्रा 27 जून 2025 को निकाली जाएगी।  


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दरअसल पुरी के श्रीमंदिर में हर वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा 108 कलशों से स्नान करते हैं, जिसे ‘स्नान पूर्णिमा’ कहा जाता है। इस विशेष स्नान के बाद भगवान कुछ दिनों के लिए ‘अनवसर’ यानी बीमार हो जाते हैं और 14 दिन तक आराम करते हैं। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और केवल पुजारी एवं वैद्यराज ही भगवान की सेवा कर सकते हैं। लेकिन इस परंपरा के पीछे एक बेहद भक्तिमय कथा जुड़ी है।  आइए जानते हैं विस्तार से। 
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Jagannath Yatra 2025 Reason behind why lord jagannath fall ill for 15 days every year
जब बीमार हुआ भगवान का भक्त - फोटो : Adobe Stock

जब बीमार हुआ भगवान का भक्त
एक समय पुरी में माधवदास नामक एक परम भक्त रहते थे। वे प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना करते थे। एक दिन उन्हें अतिसार का गंभीर रोग हो गया। इतनी कमजोरी हो गई कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया, फिर भी उन्होंने किसी से सहायता नहीं ली और यथाशक्ति स्वयं सेवा करते रहे।

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Jagannath Yatra 2025 Reason behind why lord jagannath fall ill for 15 days every year
प्रभु ने स्वयं निभाई सेवा - फोटो : amar ujala

प्रभु ने स्वयं निभाई सेवा
जब माधवदास बिल्कुल अशक्त हो गए, तब स्वयं भगवान जगन्नाथ एक सामान्य सेवक के रूप में उनके घर आए और उनकी सेवा करने लगे। जब माधवदास को होश आया, तो उन्होंने प्रभु को पहचान लिया। भावविभोर होकर उन्होंने पूछा “प्रभु! आप त्रिलोक के स्वामी होकर मेरी सेवा क्यों कर रहे हैं? यदि आप चाहते तो मेरा रोग ही समाप्त कर सकते थे!”
भगवान ने उत्तर दिया “भक्त की पीड़ा मुझसे देखी नहीं जाती, इसलिए स्वयं सेवा करने आया हूं। परंतु हर व्यक्ति को अपना प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है। तुम्हारे प्रारब्ध में जो 15 दिन का रोग शेष है, वह मैं अपने ऊपर ले रहा हूं।”

Jagannath Yatra 2025 Reason behind why lord jagannath fall ill for 15 days every year
भगवान जगन्नाथ हर वर्ष स्नान पूर्णिमा के बाद बीमार हो जाते हैं और ‘अनवसर काल’ में विश्राम करते हैं। - फोटो : adobe stock

तभी से भगवान हर साल होते हैं बीमार
इसी घटना के बाद से यह परंपरा बनी कि भगवान जगन्नाथ हर वर्ष स्नान पूर्णिमा के बाद बीमार हो जाते हैं और ‘अनवसर काल’ में विश्राम करते हैं। यही कारण है कि हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जब भगवान स्वस्थ होते हैं, तब  अपने भक्तों के बीच भ्रमण के लिए रथ यात्रा पर निकलते हैं।

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जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व - फोटो : adobe stock

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का महत्व
भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण के अवतार माने जाने वाले प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकलते हैं।  यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण करते हैं और भक्तों को अपने दिव्य दर्शन देते हैं। सैंकड़ो लोग पुरी की सड़कों पर भगवान के रथ को खींचने के लिए आतुर रहते हैं। मान्यता है रथ यात्रा एक फलदायी धार्मिक आयोजन है, जिसमें शामिल होने से व्यक्ति की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म के आस्था और विश्वास का प्रतीक है। 



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। 

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