Shankh Bajane Ke Niyam: हिंदू परंपराओं में शंख को अत्यंत शुभ माना गया है। अधिकतर हर शुभ काम की शुरुआत शंखनाद से होती है। माना जाता है कि शंख की ध्वनि वातावरण में मौजूद नकारात्मकता को दूर करती है और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इसी सकारात्मक प्रभाव के कारण सदियों से घर-घर में पूजा के समय शंख बजाने की परंपरा चली आ रही है। शंख सिर्फ आध्यात्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि इसे ऊर्जा, साहस और विजय का प्रतीक भी माना जाता रहा है। लेकिन वर्षों से एक सवाल उठता रहा है, क्या महिलाओं को शंख बजाने की अनुमति है? कुछ परिवारों में यह मान्यता है कि महिलाएं शंख नहीं बजातीं, जबकि कई स्थानों पर इसे धार्मिक नियम की तरह माना जाने लगा है। वास्तव में इस मान्यता की सच्चाई क्या है? क्या यह परंपरा, शास्त्रों पर आधारित है, या सिर्फ एक पुराना मिथक? आइए शास्त्रों, परंपराओं और ज्योतिषीय मान्यताओं के बारे में जानते हैं।
Shankh: क्या महिलाओं को नहीं बजाना चाहिए शंख? जानें यह मिथक है या सच
Kya Mahila Shankh Baja Sakti Hai: कुछ परिवारों में यह मान्यता है कि महिलाएं शंख नहीं बजातीं, जबकि कई स्थानों पर इसे धार्मिक नियम की तरह माना जाने लगा है। वास्तव में इस मान्यता की सच्चाई क्या है? क्या यह परंपरा, शास्त्रों पर आधारित है, या सिर्फ एक पुराना मिथक? आइए शास्त्रों, परंपराओं और ज्योतिषीय मान्यताओं के बारे में जानते हैं।
क्या शास्त्रों में महिलाओं को शंख बजाने की मनाही है?
यदि धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो किसी भी वेद, शास्त्र या पुराण में यह उल्लेख नहीं मिलता कि महिलाएं शंख नहीं बजा सकती हैं। शंख को भगवान विष्णु का प्रिय माना गया है और हर शुभ कार्य में इसका उपयोग होता है। ऐसे में महिलाओं पर प्रतिबंध का दावा केवल एक प्रचलित मान्यता है, न कि कोई शास्त्रीय निर्देश।
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महिलाओं के शंख बजाने से जुड़े मिथक
पुराने समय में यह माना जाता था कि महिलाओं के फेफड़े पुरुषों की तुलना में कम मजबूत होते हैं, इसलिए उनके लिए शंख बजाना कठिन होगा। घरेलू जिम्मेदारियों और शारीरिक थकान के कारण उनकी क्षमता कम मानी जाती थी, और धीरे-धीरे यह बात परंपरा बन गई कि महिलाएं शंख न बजाएं। जबकि वास्तव में यह दावा वैज्ञानिक या शास्त्रीय आधार पर गलत है। आज भी कई राज्यों में महिलाएं मंदिरों और त्योहारों के दौरान बड़े गर्व से शंख बजाती हैं। कोलकाता की दुर्गा पूजा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है, जहां महिलाएं पूरे उत्साह के साथ शंखनाद करती हैं।
क्यों किया जाता है मना?
दरअसल शंख बजाते समय सरी ऊर्जा नाभि क्षेत्र में केंद्रित होती है। माना जाता है यह प्रेशर महिलाओं के गर्भाशय पर हल्का प्रभाव डाल सकता है, इसलिए उन्हें रोजाना या लगातार शंख बजाने से बचना चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं या शारीरिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए यह सावधानी बताई जाती है। हालांकि यह कोई धार्मिक मनाही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए एक सलाह है।
धार्मिक दृष्टि से महिलाओं के लिए शंख बजाना पूरी तरह शुभ माना गया है। यह केवल शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है कि कोई महिला रोज शंख बजा सकती है या नहीं। यदि स्वास्थ्य अनुकूल है, तो शास्त्रों में महिलाओं पर कोई मनाही नहीं है। महिलाएं भी पुरुषों की तरह शंखनाद कर सकती हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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