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Mokshada Ekadashi 2025: गीता के पाठ और मोरपंख के उपाय से आएगी जीवन में शांति, खुलेंगे मोक्ष के द्वार

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Sat, 29 Nov 2025 09:08 PM IST
सार

Mokshada Ekadashi Upay: मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर 2025 को है। जानें इस पवित्र दिन के महत्व, पूजा विधि और उपाय जो जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष दिला सकते हैं। 

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Mokshada Ekadashi 2025 special Gita Path and Peacock Feather Remedies for Peace and Prosperity
मोक्षदा एकादशी - फोटो : amar ujala

Mokshada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साल 2025 में यह पवित्र व्रत 1 दिसंबर, सोमवार को रखा जाएगा। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में श्रीमद्भागवत गीता का दिव्य ज्ञान दिया था।


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मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस पावन दिन पर किए गए कुछ विशेष उपाय और पूजा विधियां जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और मोक्ष के द्वार खोलने में सहायक हो सकती हैं।
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मोरपंख - फोटो : Ai

मोरपंख के चमत्कारी उपाय
मोरपंख भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना जाता है और इसे श्री कृष्ण का प्रतीक माना जाता है। मोक्षदा एकादशी के दिन मोरपंख से जुड़े कुछ सरल उपाय करने से घर में सुख-समृद्धि, धन लाभ और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पूजा घर में मोरपंख की स्थापना
मोक्षदा एकादशी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के पास एक या तीन मोरपंख स्थापित करें। स्थापना से पहले मोरपंख को शुद्ध जल से धोकर धूप और दीप दिखाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वातावरण पवित्र बनता है।

धन लाभ के लिए मोरपंख
यदि आप लंबे समय से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो अभिमंत्रित मोरपंख को पूजा के बाद अपनी तिजोरी या घर में धन रखने की जगह (जैसे अलमारी या गल्ला) पर रख दें। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन आगमन के नए मार्ग खुलते हैं।

नकारात्मकता दूर करने के लिए
घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख लगाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती और पूरे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह उपाय घर को सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

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geeta - फोटो : adobe stock

श्रीमद्भागवत गीता के सरल उपाय
मोक्षदा एकादशी का दिन गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों का स्मरण, पठन और मनन करना मोक्ष के द्वार खोलने का सबसे सरल और प्रभावशाली तरीका माना जाता है।

गीता का पाठ और श्रवण
इस दिन जितना संभव हो, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। यदि पूरा पाठ न कर सकें तो कम से कम किसी एक अध्याय, विशेषकर 11वां अध्याय का पाठ या श्रवण अवश्य करें। यह उपाय मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल को बढ़ाता है।

गीता का दान
मोक्षदा एकादशी के पावन अवसर पर किसी ब्राह्मण, विद्यार्थी या जरूरतमंद व्यक्ति को श्रीमद्भागवत गीता की पुस्तक दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इससे व्यक्ति के घर में सुख-शांति बढ़ती है और धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

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मोक्षदा एकादशी का महत्व - फोटो : freepik

मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन रखा गया व्रत न केवल व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करता है, बल्कि उसके पूर्वजों की आत्मा को भी मुक्ति मिलती है। इसी कारण इसे पितृमोक्ष एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से व्यक्ति को वही पुण्य और फल प्राप्त होता है जो किसी तीर्थस्थल पर लंबी तपस्या या साधना करने से मिलता है। यह दिन आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

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मोक्षदा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त - फोटो : adobe stock

मोक्षदा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त 
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ समय सुबह 06:57 बजे से 08:15 बजे तक रहेगा। इसी समय में भगवान की आराधना करने से व्रत और पूजा का अधिक फल प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, एकादशी के दिन दान-धर्म करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09:33 बजे से 10:52 बजे तक है, जो पुण्य प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

पितरों की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन पितरों की पूजा या तर्पण करने के लिए शुभ समय दोपहर 01:57 बजे से 02:39 बजे तक रहेगा। साथ ही, लगभग 11:30 बजे से 02:30 बजे के बीच विशेष योग बन रहा है, जिसमें पितरों के निमित्त दान या तर्पण करना अत्यंत फलदायक और श्रेष्ठ माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त
एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि पर समाप्त होता है। साल 2025 में यह व्रत 2 दिसंबर को पूरा होगा। व्रत पारण का सबसे शुभ समय सुबह 06:57 बजे से 09:03 बजे तक है। इस समय में व्रत का समापन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और धार्मिक लाभ अधिक होता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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