Sankat Nashan Ganesh Stotra Benefits: भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत प्रभावशाली मार्ग संकट नाशन गणेश स्तोत्र को माना जाता है। नारद पुराण में वर्णित 12 पवित्र श्लोकों वाला यह स्तोत्र जीवन के हर प्रकार की बाधा को दूर करने में अत्यंत सहायक माना जाता है। नौकरी में रुकावट हो, धन-संबंधी परेशानी, स्वास्थ्य समस्या या पारिवारिक कलह जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से यह पाठ करें। संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। आइए जानें इसके लाभ और सही पाठ-विधि।
Lord Ganesh: प्रतिदिन करें गणपति का ये शक्तिशाली पाठ, विघ्नहर्ता करेंगे सभी संकटों से रक्षा
Ganesh Stotra Benefits: गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा गया है। उनके आशीर्वाद के बिना कोई भी आरंभ पूर्ण नहीं माना जाता। रोज संकट नाशन गणेश स्तोत्र पढ़ने से छोटी-बड़ी बाधाएं दूर रहती हैं। आइए जानें इसके लाभ और सही पाठ-विधि।
संकट नाशन गणेश स्तोत्र के लाभ
इस स्तोत्र में गणेश जी के अलग-अलग रूपों का वर्णन मिलता है। पहला श्लोक बुद्धि से जुड़ी रुकावटें दूर करता है। तीसरा श्लोक आर्थिक बाधाओं को कम करता है। पांचवा श्लोक स्वास्थ्य सुधारने में सहायक है।
जो लोग लंबे समय से कोर्ट-कचहरी, कर्ज या शत्रुओं से परेशान हैं, वे भी 21 दिनों में इसका असर महसूस कर सकते हैं। अटके हुए कार्य पूर्ण होने लगते हैं और नकारात्मक लोग स्वयं पीछे हट जाते हैं।
धन-समृद्धि का मार्ग
माता लक्ष्मी, गणेश जी की मौसी मानी जाती हैं। इस कारण यह स्तोत्र धन आकर्षित करने में विशेष प्रभाव देता है। अगर आपको व्यवसाय में घाटा, आय में रुकावट या कर्ज के समाधान न मिलने की परेशानी हो रही है, तो सुबह नियमित स्तोत्र पाठ आपके लिए नए अवसरों के द्वार खोल सकता है।
गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा गया है। उनके आशीर्वाद के बिना कोई भी आरंभ पूर्ण नहीं माना जाता। रोज संकट नाशन गणेश स्तोत्र पढ़ने से छोटी-बड़ी बाधाएं दूर रहती हैं।
कैसे करें सही पाठ-विधि?
सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। आसन बिछाकर बैठें और घी का दीपक तथा धूप जलाएं। गणेश जी को लड्डू या मोदक अर्पित करें। इसके बाद‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 11 बार जप करें और पूरा संकट नाशन गणेश स्तोत्र पढ़ें। अंत में ‘ॐ गं गणपतये नमः’ 21 बार जपें, फिर आरती करें और प्रसाद बांटें।
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संकटनाशन गणेश स्तोत्र
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
संकट नाशन गणेश स्तोत्र
श्लोक 1
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थ सिद्धये ॥१॥
श्लोक 2
प्रथमं वक्रतुंडं च एकदंतं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्ण पिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥
श्लोक 3
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टकम् ॥३॥
श्लोक 4
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥
श्लोक 5
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥५॥
श्लोक 6
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥
श्लोक 7
जपेद् गणपति स्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥७॥
श्लोक 8
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥८॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्ट नाशन गणेश स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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