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Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी आज, जानिए व्रत का महत्व, पूजा विधान और चावल त्याग का रहस्य

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Sat, 15 Nov 2025 02:23 PM IST
सार

मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अंश से एकादशी का प्रादुर्भाव हुआ था, इस देवी ने मुर जैसे भयंकर राक्षस से भगवान विष्णु के प्राण बचाए जिससे प्रसन्न होकर विष्णु ने इन्हें एकादशी नाम दिया

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Utpanna Ekadashi 2025 Date Importance in Hindi The Secret of Giving Up Rice Lord Vishnu Ekadashi Katha
Utpanna Ekadashi 2025 - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Utpanna Ekadashi 2025: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के निमित्त उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है।पुराणों में सभी व्रतों में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है। इस वर्ष यह व्रत 15 नवंबर,शनिवार को मनाया जाएगा। पद्मपुराण व अन्य ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अंश से एकादशी का प्रादुर्भाव हुआ था, इस देवी ने मुर जैसे भयंकर राक्षस से भगवान विष्णु के प्राण बचाए जिससे प्रसन्न होकर विष्णु ने इन्हें एकादशी नाम दिया और वरदान दिया कि इनका पूजन-व्रत करने वालों को लौकिक-परलौकिक सभी सुख प्राप्त होंगे। इस व्रत को करने से धर्म एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि इस व्रत को करने का फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होता है।
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पूजा विधि
इस दिन देवी एकादशी सहित भगवान श्री हरि की पूजा करने का विधान है। सूर्योदय से पूर्व स्न्नान करके भगवान विष्णु का पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, चन्दन,अक्षत,फल,तुलसी आदि से पूजन करने के बाद आरती उतारें एवं उत्पन्ना एकादशी की कथा सुनें।'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप एवं इस दिन विष्णु सहस्त्र्नाम का पाठ करना अति फलदाई माना गया है।इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु सहित देवी एकादशी की पूजा करने से इस जीवन में धन और सुख की प्राप्ति तो होती ही है। परलोक में भी इस एकादशी के पुण्य से उत्तम स्थान मिलता है।
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एकादशी व्रत का पुण्य फल
पदम् पुराण के अनुसार जो प्राणी एकादशी को श्री हरि का मन में स्मरण करते हुए नियम पूर्वक  उपवास करता है,वह वैकुण्ठधाम में,जहाँ साक्षात् भगवान पुण्डरीकाक्ष विराजमान हैं,जाता हैं।इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने के साथ व्रत रखने से सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही वह व्यक्ति सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है। जो मनुष्य एकादशी माहात्म्य का पाठ करता हैं,उसे सहस्त्र गोदानों के पुण्य का फल प्राप्त होता हैं।जो दिन या रात में भक्ति पूर्वक इस माहात्म्य का श्रवण करते हैं,वे निसंदेह सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं।एकादशी के समान पापनाशक व्रत कोई अन्य नहीं हैं ऐसा शास्त्रों का मत हैं।

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चावल खाने से बचें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी पाप ब्रह्महत्या आदि पके चावल में ही निवास करते हैं अतः जो प्राणी इस दिन चावल का सेवन करता है वह नरकगामी होता है। एकादशी के दिन चावल खाने से अगले जन्म में रेंगने वाले जीव (सरीसृप) की योनि मिल सकती है या व्यक्ति को चांडाल की योनि प्राप्त होती है। वहीं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चावल में जल तत्व की अधिकता होती है, जो चंद्रमा से प्रभावित होता है। चंद्रमा के प्रभाव से मन विचलित और चंचल हो सकता है, जिससे व्रत के सात्विक और पवित्र भाव में बाधा आती है।  

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