सब्सक्राइब करें

Bhagavad Gita: गीता में लिखी ये पांच बातें, दूर करती है तनाव और चिंता

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सोनिया चौहान Updated Fri, 19 Dec 2025 09:21 PM IST
सार

Bhagavad Gita: श्रीकृष्ण के मुताबिक सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं, जो आते-जाते रहते हैं। इसलिए "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" इसका अर्थ है कि "कर्म करो फल की चिंता मत करो"। यहां दिए गए गीता के श्लोंको को अपने जिंदगी में शामिल करके आप भी अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

विज्ञापन
Bhagavad Gita Shlokas about life and happiness
भगवद गीता श्लोक - फोटो : adobe stock

Shlokas of Bhagavad Gita: जीवन में व्यक्ति कई बार असफलताओं का सामना करता है। इसके जरिए वह अपने मार्ग में सुधार और सीमाओं को समझकर आगे बढ़ता है। इसके अलावा असफलता इंसान को धैर्यवान भी बनाती है जिससे सफलता का मार्ग और भी खुबसूरत बन जाता है। हालांकि फिर भी मन नकारात्मकता और दिमाग तनाव से भर जाता है। श्रीकृष्ण के मुताबिक सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं, जो आते-जाते रहते हैं। इसलिए "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" इसका अर्थ है कि "कर्म करो फल की चिंता मत करो"

 

यदि आप ऐसे विचार के साथ अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती हैं। कहा जाता है कि जब अर्जुन के कदम युद्ध के लिए डगमगाने लगे थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का पाठ पढ़ाया था। तभी से जीवन के कठिन समय में गीता का अध्ययन करने की सलाह दी जाती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक शांति का एहसास और सही निर्णय लेने में सफल बनता है। ऐसे में आइए गीता में मौजूद श्लोंको से कुछ अहम के बारे में जानते हैं जिसका अध्ययन मनुष्य को अवश्य करना चाहिए।

Trending Videos
Bhagavad Gita Shlokas about life and happiness
भगवान श्रीकृष्ण गीता उपदेश - फोटो : Freepik
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

इस श्लोक का अर्थ है कि, जब भी हम कोई चीज देखते हैं, तो उसे लेने की इच्छा मन में जागृत होती हैं। धीरे-धीरे उस वस्तु के प्रति हमारा लगाव होने लगता है। परंतु जब वह इच्छा पूरी नहीं होती, तो मन क्रोधित भी हो जाता है, जिसका प्रभाव उचित नहीं है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। 

विज्ञापन
विज्ञापन
Bhagavad Gita Shlokas about life and happiness
भगवद गीता श्लोक - फोटो : freepik
"त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्॥"

श्री कृष्ण के अनुसार, कामना, क्रोध और लोभ यह तीनों ही नरक के द्वार हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें। ये तीनों मिलकर मनुष्य के विवेक और ज्ञान को नष्ट कर देते हैं। 

Bhagavad Gita Shlokas about life and happiness
भगवद गीता श्लोक - फोटो : adobe stock
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

गीता के इस श्लोक का अर्थ है कि, जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर विश्वास और नियंत्रण रखता है वह अपनी इच्छा से ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

विज्ञापन
Bhagavad Gita Shlokas about life and happiness
गीता उपदेश - फोटो : Freepik
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

श्री कृष्ण के मुताबिक, क्रोध व्यक्ति का दिल और दिमाग दोनों नष्ट करता है, क्योंकि जब भी क्रोध आता है तो सभी तर्क खो जाते हैं। इसलिए समय कैसा भी हो हमें अपने मन को शांत रखना चाहिए। 




 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। 

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स, परामनोविज्ञान समाचार, स्वास्थ्य संबंधी योग समाचार, सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed