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Shani Manta: शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन करें इन मंत्रों का जाप
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 20 Dec 2025 01:03 PM IST
सार
Shani Manta: कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए और दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना अच्छा माना जाता है।
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न्याय और कर्मफलदाता शनि पत्नी के नाम का मंत्र का जाप करने से बहुत ही प्रसन्न होते हैं।
- फोटो : adobe
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विस्तार
Shani Manta: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता और ग्रहों से संबंध होता है। शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा और उनकी कृपा के लिए समर्पित होता है। वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को कर्मफलदाता और न्यायाधीश कहा जाता है। शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। अच्छे काम करने पर शनिदेव शुभ फल जबकि गलत काम करने पर शनिदेव अशुभ समाचार प्रदान करते हैं। शनि की चाल और शनि की साढ़ेसाती-ढैय्या का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर जरूर पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ साबित होगा। शनि के मंत्रों के जाप से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं। आइए जानते हैं शनि के मंत्रों का प्रभाव।
शनि की पत्नी के नाम का मंत्र का जाप
शास्त्रों के अनुसार, न्याय और कर्मफलदाता शनि पत्नी के नाम का मंत्र का जाप करने से बहुत ही प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि की पत्नी नाम का मंत्र जाप हर शनिवार के दिन करने से शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है। शनि के मंत्रों का जाप करने से वैवाहिक जीवन काफी अच्छा और मधुर होता है। इस मंत्रों के जाप करने से जीवन साथी संग अच्छा तालमेल बना रहता है।
कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा ।।
शनेर्नामनि पत्नी नामेतानि संजपन पुमान्।
दुखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्मेघते सुखम।।
शनि देव के वैदिक मंत्र
शनिवार के दिन शनिदेव के वैदिक मंत्र का जाप करने से शनिदेव की विशेष कृपा मिलती है। इससे व्यक्ति को आरोग्यता की प्राप्ति होती है और शनिदोष से मुक्ति मिलती है।
ऊं शन्नोदेवी रभिष्टय आपो भवंतु पीपतये शनयो रविस्न वन्तुन
शनि गायत्री मंत्र
जिन जातकों की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है और नकारात्मक है जिससे चलते करियर-करियर में आपके रुकावटें आ रही है तो शनि गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊं भग- भवाय विद्दहे मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनि प्रचोदयात् ।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
शनि साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा और नकारात्मक स्थिति से बचने के लिए शनिवार के दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे शनिदेव की कृपा मिलती है और कार्यो में सफलता प्राप्ति होती है।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
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शास्त्रों के अनुसार, न्याय और कर्मफलदाता शनि पत्नी के नाम का मंत्र का जाप करने से बहुत ही प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि की पत्नी नाम का मंत्र जाप हर शनिवार के दिन करने से शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है। शनि के मंत्रों का जाप करने से वैवाहिक जीवन काफी अच्छा और मधुर होता है। इस मंत्रों के जाप करने से जीवन साथी संग अच्छा तालमेल बना रहता है।
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ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली।कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा ।।
शनेर्नामनि पत्नी नामेतानि संजपन पुमान्।
दुखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्मेघते सुखम।।
शनि देव के वैदिक मंत्र
शनिवार के दिन शनिदेव के वैदिक मंत्र का जाप करने से शनिदेव की विशेष कृपा मिलती है। इससे व्यक्ति को आरोग्यता की प्राप्ति होती है और शनिदोष से मुक्ति मिलती है।
ऊं शन्नोदेवी रभिष्टय आपो भवंतु पीपतये शनयो रविस्न वन्तुन
शनि गायत्री मंत्र
जिन जातकों की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है और नकारात्मक है जिससे चलते करियर-करियर में आपके रुकावटें आ रही है तो शनि गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊं भग- भवाय विद्दहे मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनि प्रचोदयात् ।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
शनि साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा और नकारात्मक स्थिति से बचने के लिए शनिवार के दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे शनिदेव की कृपा मिलती है और कार्यो में सफलता प्राप्ति होती है।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।