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Kharmas 2025: क्या है खरमास का पौराणिक महत्व, जानिए इस मास में क्या करें और किन कार्यों से बनाएं दूरी
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:51 AM IST
सार
हिंदू मान्यताओं के अनुसार खरमास का समय अच्छा नहीं माना जाता है। जब सूर्य धनु या मीन राशि में गोचर करते हैं तो एक माह के लिए सभी तरह के शुभ और मांगलिक काम वर्जित हो जाते हैं।
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Kharmas 2025: खरमास में सात्विक जीवनशैली अपनाना श्रेष्ठ माना गया है।
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
Kharmas 2025 Date Time Importance: हिंदू धर्म में समय की गणना सूर्य की गति के आधार पर की जाती है। जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तब से जिस एक माह की अवधि की शुरुआत होती है, उसे खरमास कहा जाता है। यह मास सामान्यतः मार्गशीर्ष अथवा पौष माह में पड़ता है। शास्त्रों में इसे संयम और साधना का काल माना गया है। इस अवधि में व्यक्ति को सांसारिक भोग-विलास से दूरी बनाकर धर्म और अध्यात्म की ओर अधिक ध्यान देने की परंपरा रही है।
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खरमास का धार्मिक महत्व
अनेक पुराणों में खरमास का विस्तृत उल्लेख मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस काल में सूर्य देव की गति मंद हो जाती है, इसलिए इसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना गया है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक संस्कार इस मास में नहीं किए जाते। पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि यह समय अशुभ नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वर भक्ति के लिए सर्वोत्तम है।
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खरमास में पूजा-पाठ और साधना का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस अवधि में विष्णु सहस्रनाम का पाठ, ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप और नारायण कवच का पाठ अत्यंत फलदायी होता है। प्रातःकाल स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना भी शुभ माना गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस मास में भगवान शिव की आराधना और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मानसिक शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है।
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खरमास में दान-पुण्य का विशेष महत्वपुराणों में खरमास को दान-पुण्य का श्रेष्ठ काल बताया गया है। इस दौरान अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, घी, कंबल और पात्र का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। गरीबों, असहायों और वृद्धों की सेवा करना विशेष पुण्यदायी माना गया है। साथ ही इस मास में सत्य, अहिंसा, करुणा और संयम जैसे गुणों को अपनाने पर बल दिया गया है, जिससे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
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खरमास में क्या करें
खरमास में सात्विक जीवनशैली अपनाना श्रेष्ठ माना गया है। नियमित पूजा-पाठ, जप, ध्यान और व्रत करने से मन और आत्मा शुद्ध होती है। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन, सत्संग और ईश्वर स्मरण करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस दौरान बड़ों का सम्मान और जरूरतमंदों की सहायता करने की भी विशेष सलाह दी गई है।
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खरमास में क्या न करें
शास्त्रों के अनुसार इस मास में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना, भूमि या वाहन खरीदना तथा किसी बड़े निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही तामसिक भोजन, मांसाहार, मद्यपान और अत्यधिक भोग-विलास से दूर रहना उचित माना गया है। क्रोध, झूठ, छल, अहंकार और दूसरों की निंदा से बचने की भी शास्त्रीय सलाह दी गई है।
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