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स्वास्तिक सनातन परंपरा का मंगल प्रतीक, जो दूर करता है अमंगल और वास्तुदोष
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 20 Dec 2025 06:18 PM IST
सार
हिंदू धर्म में स्वास्तिक को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है। वास्तुदोष दूर करने के लिए स्वास्तिक को एक प्रभावी उपाय माना गया है।
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स्वास्तिक हिंदू धर्म का अत्यंत शुभ प्रतीक है।
- फोटो : AI Generated
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विस्तार
सनातन धर्म में ही नहीं, अपितु अन्य धर्मों में भी स्वास्तिक को परम पवित्र और मंगलकारी प्रतीक माना गया है। किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत स्वास्तिक बनाए बिना अधूरी मानी जाती है। स्वास्तिक सौभाग्य, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसलिए पूजा-पाठ से लेकर गृह प्रवेश, विवाह और अन्य संस्कारों में इसका विशेष स्थान है।
स्वास्तिक का धार्मिक और पौराणिक महत्व
स्वास्तिक को सातिया भी कहा जाता है और इसे सुदर्शन चक्र का प्रतीक माना गया है। स्वस्तिवाचन के बिना हिंदुओं का कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता। स्वास्तिक सत्य, शाश्वत, शांति, अनंत, दिव्य ऐश्वर्य एवं सौंदर्य का मांगलिक चिन्ह है। यह धनात्मक या प्लस को भी इंगित करता है, जो सम्पन्नता और उन्नति का प्रतीक माना गया है। स्वास्तिक के चारों ओर लगाए गए बिंदु चार दिशाओं के प्रतीक होते हैं, जो संतुलन और समरसता को दर्शाते हैं।
चार भुजाओं का रहस्य
शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक बनाते समय इसकी चारों भुजाएं समान और समानांतर होती हैं। इन चार भुजाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है। इन्हें चार दिशाओं के साथ-साथ चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा स्वास्तिक चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक स्वयं गणेशजी का ही स्वरूप है, इसलिए किसी भी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्य की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है। इसमें विघ्नों को हरने और अमंगल को दूर करने की शक्ति निहित मानी गई है।
वास्तुदोष दूर करने के लिए स्वास्तिक को एक प्रभावी उपाय माना गया है। चूंकि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं का प्रतीक होती हैं, इसलिए यह चिन्ह चारों दिशाओं की ऊर्जा को संतुलित करता है। यदि आपके घर के मुख्य द्वार के आसपास किसी प्रकार का वास्तुदोष है, तो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए दरवाजे पर 9 इंच लंबा और चौड़ा स्वास्तिक सिंदूर से बनाना चाहिए। इसके स्थान पर अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी लगाया जा सकता है।
यदि व्यापार में लगातार घाटा हो रहा हो, तो कार्यस्थल के ईशान कोण में लगातार सात गुरुवार तक सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना लाभकारी माना गया है। इसी प्रकार उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। नए घर या इमारत को बुरी नजर से बचाने के लिए प्रायः बाहर काले रंग का सातिया बनाया जाता है। मान्यता है कि काले कोयले से बना स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और भूत-प्रेत आदि को घर में प्रवेश करने से रोकता है तथा बुरी नजर से रक्षा करता है। स्वास्तिक का चिन्ह भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण के चरणों और भगवान बुद्ध के हृदय पर अंकित बताया गया है, जो इसकी दिव्यता और शक्ति को दर्शाता है।
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स्वास्तिक का धार्मिक और पौराणिक महत्व
स्वास्तिक को सातिया भी कहा जाता है और इसे सुदर्शन चक्र का प्रतीक माना गया है। स्वस्तिवाचन के बिना हिंदुओं का कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता। स्वास्तिक सत्य, शाश्वत, शांति, अनंत, दिव्य ऐश्वर्य एवं सौंदर्य का मांगलिक चिन्ह है। यह धनात्मक या प्लस को भी इंगित करता है, जो सम्पन्नता और उन्नति का प्रतीक माना गया है। स्वास्तिक के चारों ओर लगाए गए बिंदु चार दिशाओं के प्रतीक होते हैं, जो संतुलन और समरसता को दर्शाते हैं।
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चार भुजाओं का रहस्य
शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक बनाते समय इसकी चारों भुजाएं समान और समानांतर होती हैं। इन चार भुजाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है। इन्हें चार दिशाओं के साथ-साथ चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा स्वास्तिक चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक स्वयं गणेशजी का ही स्वरूप है, इसलिए किसी भी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्य की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है। इसमें विघ्नों को हरने और अमंगल को दूर करने की शक्ति निहित मानी गई है।
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स्वास्तिक से वास्तुदोष निवारण के उपायवास्तुदोष दूर करने के लिए स्वास्तिक को एक प्रभावी उपाय माना गया है। चूंकि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं का प्रतीक होती हैं, इसलिए यह चिन्ह चारों दिशाओं की ऊर्जा को संतुलित करता है। यदि आपके घर के मुख्य द्वार के आसपास किसी प्रकार का वास्तुदोष है, तो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए दरवाजे पर 9 इंच लंबा और चौड़ा स्वास्तिक सिंदूर से बनाना चाहिए। इसके स्थान पर अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी लगाया जा सकता है।
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व्यापार, सफलता और बुरी नजर से सुरक्षायदि व्यापार में लगातार घाटा हो रहा हो, तो कार्यस्थल के ईशान कोण में लगातार सात गुरुवार तक सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना लाभकारी माना गया है। इसी प्रकार उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। नए घर या इमारत को बुरी नजर से बचाने के लिए प्रायः बाहर काले रंग का सातिया बनाया जाता है। मान्यता है कि काले कोयले से बना स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और भूत-प्रेत आदि को घर में प्रवेश करने से रोकता है तथा बुरी नजर से रक्षा करता है। स्वास्तिक का चिन्ह भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण के चरणों और भगवान बुद्ध के हृदय पर अंकित बताया गया है, जो इसकी दिव्यता और शक्ति को दर्शाता है।
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