आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखे के विभिन्न शास्त्र आज भी लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। इनके द्वारा लिखे गए शास्त्रों में नीतिशास्त्र की बातें आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों जैसे रिश्ते, मित्रता, शत्रु, धन और व्यवसाय आदि के बारे में अपने विचार साझा किए हैं। कुछ लोगों को चाणक्य की नीतियां अत्यंत कठोर लगती हैं लेकिन ये नीतियां मनुष्य को जीवन की सत्यता से अवगत कराती हैं। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में कुछ ऐसे लोगों के बारे में जिक्र किया है, जिनसे हमेशा संतुलित व्यवहार रखना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि इन लोगों से न ज्यादा दूर रहना चाहिए और न ही इनसे ज्यादा निकट जाना चाहिए।
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आचार्य चाणक्य
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शक्तिशाली व्यक्ति-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शक्तिशाली व्यक्ति जैसे राजा आदि से न ज्यादा निकटता के संबंध रखने चाहिए और न ही ज्यादा दूर जाना चाहिए। शक्तिशाली व्यक्ति के अत्यधिक निकट जाने से आपको उसके वर्चस्व के कारण अधीन होकर कार्य करना पड़ सकता है तो वहीं अत्यधिक दूर बनाकर रखने से आपको उसके द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहना पड़ सकता है। राजा, मंत्री या शासन-प्रशासन के प्रभुत्वशाली व्यक्ति से सदैव संतुलित व्यवहार बनाकर रखना चाहिए।
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चाणक्य नीति
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अग्नि-
अग्नि जलाते समय या अग्नि से कोई भी कार्य करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यदि अग्नि से अत्यधिक दूर हो तो भोजन नहीं पक सकता, लेकिन तेज आग या ज्यादा करीब रखने पर भोजन जल सकता है। जहां संतुलित रूप से उचित दूरी बनाकर रखने से अग्नि आपको गर्माहट प्रदान कर सकती है तो वहीं ज्यादा निकट जाने से अग्नि जला भी सकती है। इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अग्नि से न ज्यादा दूरी रखनी चाहिए और न ही ज्यादा निकट जाना चाहिए।
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स्त्री-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुरुष को सदैव एक स्त्री के साथ संतुलित व्यवहार रखना चाहिए। स्त्री के अत्यधिक करीब जाने पर आपको ईर्ष्या और अपमान का सामना करना पड़ सकता है तो वहीं अत्यधिक दूरी से आपको नफरत का सामना करना पड़ सकता है।
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