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Gita Shlok: गीता के ये पांच श्लोक दिलाते हैं मानसिक शांति और गुस्से से छुटकारा, सभी को पढ़ना चाहिए

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Wed, 02 Jul 2025 11:58 AM IST
सार

हजारों वर्षों पुरानी भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक संघर्षों के समाधान का गहरा विज्ञान है। आइए जानते हैं गीता के ऐसे 5 श्लोक, जो मानसिक संतुलन, चिंता और क्रोध पर नियंत्रण के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं।

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Bhagavad Gita Shlok For Mental Health Treatment From Bhagavad Gita
मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवद गीता श्लोक - फोटो : adobe stock
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Bhagavad Gita Shlok For Mental Health: आज के इस भागदौड़ भरे दौर में हम सभी किसी न किसी रूप में तनाव, बेचैनी और गुस्से का सामना करते हैं। मोबाइल के नोटिफिकेशन, करियर का तनाव, रिश्तों में दूरियां और भीतर की असुरक्षा हमारे मन को बेचैन बना देती है। ऐसे में नींद न आना मानसिक अशांति और क्रोध जीवन का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आज जानते हैं कि हजारों वर्षों पुरानी भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक संघर्षों के समाधान का गहरा विज्ञान है। जब अर्जुन युद्ध के मैदान में मानसिक रूप से टूट चुके थे और तब श्रीकृष्ण ने उन्हें जो ज्ञान दिया, वह आज के समय में भी मेंटल हेल्थ थेरेपी की तरह काम कर सकता है। आइए जानते हैं गीता के ऐसे 5 श्लोक, जो मानसिक संतुलन, चिंता और क्रोध पर नियंत्रण के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवद गीता श्लोक - फोटो : freepik
1. आत्मोद्धार का संदेश (गीता 6.5)
श्लोक- “उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्...”
भावार्थ- व्यक्ति स्वयं अपना मित्र और स्वयं ही अपना शत्रु होता है। यदि मन को वश में किया जाए, तो आत्मा विकास करती है; अन्यथा विनाश निश्चित है।
अनुप्रयोग- ‘सोऽहम्’ ध्यान करें। हर दिन कुछ मिनट अकेले बैठकर खुद से पूछें, "मैं क्या चाहता हूं और क्यों?"
 
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मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवद गीता श्लोक - फोटो : freepik
2. क्रोध की उत्पत्ति (गीता 2.62-63)
श्लोक- “संगात्सञ्जायते कामः, कामात्क्रोधोऽभिजायते...”
भावार्थ- आसक्ति से इच्छा जन्म लेती है, इच्छा से क्रोध, फिर भ्रम और अंततः बुद्धि का नाश होता है।
अनुप्रयोग- क्रोध आने पर मौन रहें या 21 बार ‘ॐ शान्तिः’ का जप करें। "मैं प्रतिक्रिया नहीं, उत्तर दूंगा", यह संकल्प मन में दोहराएं।
 

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मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवद गीता श्लोक - फोटो : adobe stock
3. सुख-दुख की अस्थिरता (गीता 2.14)
श्लोक- “मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय...”
भावार्थ- सुख-दुख और गर्मी-सर्दी जैसे अनुभव क्षणिक हैं, इनसे विचलित न होकर उन्हें सहना सीखें।
अनुप्रयोग- जीवन की परेशानियों को अस्थायी मानकर उनसे सीखें। “यह भी बीत जाएगा” इस वाक्य को अपने डेस्क या स्क्रीन पर रखें।
 
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मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवद गीता श्लोक - फोटो : adobe stock
4. मन का नियमन (गीता 6.26)
श्लोक- “यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्...”
भावार्थ- जब भी मन भटके, उसे फिर से आत्मा में स्थिर करना चाहिए।
अनुप्रयोग- हर 3 घंटे में 5 मिनट का ‘लुक विदिन’ ब्रेक लें। आंखें बंद कर नाक की नोक पर ध्यान केंद्रित करें।
 
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