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Amarnath Yatra 2025: अमरनाथ यात्रा शुरू, जानिए हिमालय की गोद में बर्फ से बना शिवलिंग और अमर रहस्य
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Thu, 03 Jul 2025 02:08 PM IST
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सार
Amarnath Yatra 2025: हिमालय की शांत और दिव्य पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित अमरनाथ गुफा हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में मानी जाती है। हर वर्ष जून-जुलाई में लाखों शिवभक्त कठिन यात्राएं तय करके यहां पहुंचते हैं।

अमरनाथ यात्रा 2025
- फोटो : Shri Amarnathji Shrine Board

विस्तार
Amarnath Yatra 2025: साल 2025 में 3 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा 38 दिनों तक चलेगी और रक्षाबंधन के दिन, 9 अगस्त 2025 को सम्पन्न होगी। हिमालय की शांत और दिव्य पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित अमरनाथ गुफा हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में मानी जाती है। हर वर्ष जून-जुलाई में लाखों शिवभक्त कठिन यात्राएं तय करके यहां पहुंचते हैं। यहां की विशेषता है कि इस गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग बनता है, जिसे 'हिमानी शिवलिंग' या 'बर्फानी बाबा' कहा जाता है।
1. अमरत्व का रहस्य जानने की जिज्ञासा
एक पौराणिक प्रसंग के अनुसार, माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से अमर होने के रहस्य के बारे में पूछा। उन्होंने जानना चाहा कि भोलेनाथ कैसे अजर-अमर हैं और उनके कंठ में पड़ी नरमुंड माला का रहस्य क्या है। इस पर शिवजी ने अमरकथा सुनाने के लिए एकांत और गुप्त स्थान की आवश्यकता बताई।
क्योंकि अमर कथा को कोई अन्य जीव नहीं सुन सकता था, इसलिए भगवान शिव ने अपने सभी प्रिय प्रतीकों और अंगों को अलग-अलग स्थानों पर छोड़ना आरंभ किया। उन्होंने नंदी को पहलगांव में, चंद्रमा को चंदनबाड़ी में, गंगा को पंचतरणी में, शेषनागों को शेषनाग झील में, गणेश को महागुणा पर्वत पर और पिस्सू को पिस्सू घाटी में छोड़ा।
3. अमरनाथ गुफा में प्रवेश और कथा की शुरुआत
इन सबको त्यागने के बाद भगवान शिव माता पार्वती को लेकर अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुंचे, जहाँ उन्होंने उन्हें अमरत्व की रहस्यमयी कथा सुनाना आरंभ किया। यह गुफा वह स्थल है जहाँ से अमरनाथ गुफा का पौराणिक महत्व आरंभ होता है।
जब भगवान शिव कथा सुना रहे थे, तब माता पार्वती निद्रा में लीन हो गईं, पर शिवजी को यह ज्ञात नहीं हुआ। उसी समय गुफा में पहले से मौजूद दो सफेद कबूतर ध्यानपूर्वक कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में ‘हूँ’ की ध्वनि कर रहे थे, जिससे शिवजी को लगा कि पार्वती कथा सुन रही हैं।
5. शिव का क्रोध और कबूतरों की विनती
कथा समाप्त होने पर शिवजी को पार्वती के सो जाने का आभास हुआ, जिससे उन्होंने सोचा कि कथा किसने सुनी। उन्होंने कबूतरों को देखा और उन्हें मारने लगे, पर कबूतरों ने प्रार्थना की कि यदि आप हमें मार देंगे तो अमर कथा का सत्य ही नष्ट हो जाएगा। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दे दिया।
शिवजी के आशीर्वाद से वह कबूतरों का जोड़ा अमर हो गया और आज भी अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले कई भक्त उन्हें देखने का दावा करते हैं। यही गुफा अमरकथा की साक्षी बनकर अमरनाथ नाम से विख्यात हो गई है, जहाँ शिवभक्त हर साल श्रद्धा से पहुँचते हैं।
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1. अमरत्व का रहस्य जानने की जिज्ञासा
एक पौराणिक प्रसंग के अनुसार, माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से अमर होने के रहस्य के बारे में पूछा। उन्होंने जानना चाहा कि भोलेनाथ कैसे अजर-अमर हैं और उनके कंठ में पड़ी नरमुंड माला का रहस्य क्या है। इस पर शिवजी ने अमरकथा सुनाने के लिए एकांत और गुप्त स्थान की आवश्यकता बताई।
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2. शिवजी ने अमर कथा के लिए बनाए विशेष प्रबंधक्योंकि अमर कथा को कोई अन्य जीव नहीं सुन सकता था, इसलिए भगवान शिव ने अपने सभी प्रिय प्रतीकों और अंगों को अलग-अलग स्थानों पर छोड़ना आरंभ किया। उन्होंने नंदी को पहलगांव में, चंद्रमा को चंदनबाड़ी में, गंगा को पंचतरणी में, शेषनागों को शेषनाग झील में, गणेश को महागुणा पर्वत पर और पिस्सू को पिस्सू घाटी में छोड़ा।
3. अमरनाथ गुफा में प्रवेश और कथा की शुरुआत
इन सबको त्यागने के बाद भगवान शिव माता पार्वती को लेकर अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुंचे, जहाँ उन्होंने उन्हें अमरत्व की रहस्यमयी कथा सुनाना आरंभ किया। यह गुफा वह स्थल है जहाँ से अमरनाथ गुफा का पौराणिक महत्व आरंभ होता है।
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4. कबूतरों ने सुनी जीवन-मृत्यु की अमरकथाजब भगवान शिव कथा सुना रहे थे, तब माता पार्वती निद्रा में लीन हो गईं, पर शिवजी को यह ज्ञात नहीं हुआ। उसी समय गुफा में पहले से मौजूद दो सफेद कबूतर ध्यानपूर्वक कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में ‘हूँ’ की ध्वनि कर रहे थे, जिससे शिवजी को लगा कि पार्वती कथा सुन रही हैं।
5. शिव का क्रोध और कबूतरों की विनती
कथा समाप्त होने पर शिवजी को पार्वती के सो जाने का आभास हुआ, जिससे उन्होंने सोचा कि कथा किसने सुनी। उन्होंने कबूतरों को देखा और उन्हें मारने लगे, पर कबूतरों ने प्रार्थना की कि यदि आप हमें मार देंगे तो अमर कथा का सत्य ही नष्ट हो जाएगा। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दे दिया।
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6. आज भी गूंजती है अमरकथा की अनुभूतिशिवजी के आशीर्वाद से वह कबूतरों का जोड़ा अमर हो गया और आज भी अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले कई भक्त उन्हें देखने का दावा करते हैं। यही गुफा अमरकथा की साक्षी बनकर अमरनाथ नाम से विख्यात हो गई है, जहाँ शिवभक्त हर साल श्रद्धा से पहुँचते हैं।
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