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NSE: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एनएसई पर हुए 40 करोड़ साइबर हमले, एक भी नहीं हुआ सफल
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 12 Oct 2025 03:31 PM IST
सार
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर हर दिन करीब 17 करोड़ साइबर हमले किए जाते हैं, लेकिन इनसे सुरक्षा के लिए एक खास टीम दिन-रात निगरानी करती है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान NSE ने एक दिन में रिकॉर्ड 40 करोड़ हमले झेले थे।
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एनएसई
- फोटो : ANI
देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज NSE (National Stock Exchange) हर दिन लगभग 150 से 170 मिलियन (17 करोड़) साइबर हमलों का सामना करता है। इनसे निपटने के लिए एक्सचेंज में 24 घंटे सक्रिय ‘साइबर वॉरियर्स’ की टीम तैनात है जो हमलों को तुरंत पहचानकर रोक देती है।

साइबर हमला (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : फ्रीपिक
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान 40 करोड़ हमले
NSE ने हाल ही में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एक दिन में ही रिकॉर्ड 40 करोड़ से ज्यादा साइबर हमले झेले। हालांकि, हमलावर NSE को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सके। एक्सचेंज की तकनीकी ढांचे, मशीनों और विशेषज्ञों की टीम ने सभी हमलों को निष्क्रिय कर दिया। बता दें कि औमतौर पर NSE पर हर दिन 15 से 17 करोड़ साइबर हमले होते हैं। टीमें 24 घंटे सतर्क रहकर इन हमलों को रोकती हैं।
NSE ने हाल ही में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एक दिन में ही रिकॉर्ड 40 करोड़ से ज्यादा साइबर हमले झेले। हालांकि, हमलावर NSE को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सके। एक्सचेंज की तकनीकी ढांचे, मशीनों और विशेषज्ञों की टीम ने सभी हमलों को निष्क्रिय कर दिया। बता दें कि औमतौर पर NSE पर हर दिन 15 से 17 करोड़ साइबर हमले होते हैं। टीमें 24 घंटे सतर्क रहकर इन हमलों को रोकती हैं।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : फ्रीपिक
कैसे काम करता है NSE का साइबर सुरक्षा सिस्टम?
NSE में दो साइबर डिफेंस सेंटर्स हैं जो लगातार निगरानी करते रहते हैं। यहां हर ट्रांजेक्शन और डिजिटल चैनल को सॉफ्टवेयर से स्कैन किया जाता है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके। सुरक्षा सेटअप में ईमेल, पेन ड्राइव, एक्सटर्नल डेटा और DDoS अटैक्स से बचाव के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू हैं। जैसे ही कोई संदिग्ध ट्रैफिक दिखता है, सिस्टम ऑटोमैटिक पॉप-अप और अलर्ट जारी कर देता है।
NSE में दो साइबर डिफेंस सेंटर्स हैं जो लगातार निगरानी करते रहते हैं। यहां हर ट्रांजेक्शन और डिजिटल चैनल को सॉफ्टवेयर से स्कैन किया जाता है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके। सुरक्षा सेटअप में ईमेल, पेन ड्राइव, एक्सटर्नल डेटा और DDoS अटैक्स से बचाव के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू हैं। जैसे ही कोई संदिग्ध ट्रैफिक दिखता है, सिस्टम ऑटोमैटिक पॉप-अप और अलर्ट जारी कर देता है।

DDoS क्या है और क्यों है खतरनाक?
- फोटो : Adobe Stock
DDoS क्या है और क्यों है खतरनाक?
DDoS (Distributed Denial of Service) हमला किसी सर्वर पर हजारों स्रोतों से एक साथ ट्रैफिक भेजकर उसे ठप कर देता है। अगर ऐसा हमला NSE जैसे वित्तीय संस्थान पर हो जाए, तो देशभर के लाखों निवेशकों के लिए सिस्टम ठप हो सकता है। इसी खतरे को देखते हुए NSE ने वल्नेरबलिटी असेसमेंट और पेनिट्रेशन टेस्टिंग (VAPT) जैसे सख्त सुरक्षा ऑडिट को सभी ट्रेडिंग मेंबर्स और स्टाफ के लिए अनिवार्य कर दिया है।
DDoS (Distributed Denial of Service) हमला किसी सर्वर पर हजारों स्रोतों से एक साथ ट्रैफिक भेजकर उसे ठप कर देता है। अगर ऐसा हमला NSE जैसे वित्तीय संस्थान पर हो जाए, तो देशभर के लाखों निवेशकों के लिए सिस्टम ठप हो सकता है। इसी खतरे को देखते हुए NSE ने वल्नेरबलिटी असेसमेंट और पेनिट्रेशन टेस्टिंग (VAPT) जैसे सख्त सुरक्षा ऑडिट को सभी ट्रेडिंग मेंबर्स और स्टाफ के लिए अनिवार्य कर दिया है।
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Cyber Attack
- फोटो : Freepik
बैकअप सिस्टम भी पूरी तरह तैयार
NSE के पास स्व-चालित बैकअप सिस्टम है, जो जरूरत पड़ने पर चेन्नई से रिमोटली एक्टिवेट किया जा सकता है। अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि अगर किसी कारण सिस्टम में गड़बड़ी होती है, तो चेन्नई वाला बैकअप तुरंत काम संभाल लेता है। हालांकि, एनएसई को अब तक ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा है।
NSE अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते डिजिटल नेटवर्क और ग्लोबल कनेक्टिविटी के कारण साइबर हमलों का जोखिम पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है,
लेकिन भारत का स्टॉक एक्सचेंज हर चुनौती के लिए तैयार है।
NSE के पास स्व-चालित बैकअप सिस्टम है, जो जरूरत पड़ने पर चेन्नई से रिमोटली एक्टिवेट किया जा सकता है। अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि अगर किसी कारण सिस्टम में गड़बड़ी होती है, तो चेन्नई वाला बैकअप तुरंत काम संभाल लेता है। हालांकि, एनएसई को अब तक ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा है।
NSE अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते डिजिटल नेटवर्क और ग्लोबल कनेक्टिविटी के कारण साइबर हमलों का जोखिम पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है,
लेकिन भारत का स्टॉक एक्सचेंज हर चुनौती के लिए तैयार है।