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ICAI करेगा सरकार की मदद: भारत के पहले AI मॉडल को देगा कंपनियों का वित्तीय डेटा, फरवरी 2026 तक लॉन्च की तैयारी

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Sun, 12 Oct 2025 04:18 PM IST
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सार

भारत के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) अब देश के पहले स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल को वित्तीय और आर्थिक डेटा उपलब्ध कराने की तैयारी में है। इसके लिए संस्थान की चर्चा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ चल रही है।

icai to provide financial data for india sovereign ai model meity
AI - फोटो : Freepik
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विस्तार
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भारत सरकार देश का पहला स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल तैयार कर रही है। इस मॉडल को विकसित करने की जिम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने उठाई है। अब इसमें एक बड़ा कदम उठाते हुए इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने इसमें सहयोग की इच्छा जताई है।


ICAI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि संस्थान भारत में विकसित होने वाले लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs) को कंपनियों के प्रमाणित वित्तीय और आर्थिक डेटा मुहैया कराने की योजना बना रहा है।
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कंपनियों के बैलेंस शीट और ऑडिट रिपोर्ट देंगे डेटा
ICAI के पास पहले से ही लिस्टेड कंपनियों के बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट और अन्य वित्तीय जानकारियों का विशाल डेटाबेस मौजूद है। अधिकारी के अनुसार, “हम देश में विकसित किए जा रहे AI मॉडलों को ऑथेंटिकेटेड फाइनेंशियल डेटा दे सकते हैं, ताकि उन्हें बेहतर और सटीक वित्तीय समझ मिल सके।”  ICAI के देशभर में चार लाख से अधिक सदस्य हैं, जो टैक्सेशन, ऑडिटिंग और वित्तीय मामलों में अहम भूमिका निभाते हैं।

फरवरी 2026 तक तैयार होगा भारत का AI मॉडल
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस. कृष्णन ने बताया कि भारत का स्वदेशी AI Model फरवरी 2026 में होने वाले ‘इंडिया एआई इमपैक्ट समिट’ से पहले तैयार हो जाएगा। यह दो दिवसीय कार्यक्रम 19 और 20 फरवरी को आयोजित किया जाएगा, जिसमें मॉडल का प्रदर्शन किया जा सकता है।

AI से ऑडिटिंग और फ्रॉड डिटेक्शन में मदद
ICAI खुद भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल अपने कार्यों में करने लगा है। संस्थान ने बताया कि AI टूल्स की मदद से ऑडिटिंग प्रक्रिया को ऑटोमेटेड किया जा सकता है, जिससे फर्जीवाड़े और जोखिमों की पहचान में आसानी होगी। अधिकारियों का मानना है कि यदि इस तकनीक का सही उपयोग किया जाए तो आने वाले समय में डिजिटल फ्रॉड्स को लगभग 25% तक घटाया जा सकता है।
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